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क्या आतंकी हमले में शिकार लोगों को मिलता है इंश्योरेंस का क्लेम? जानिए देश में क्या है नियम

Insurance Policy Cover You Against Terror Attacks: पत्नी के सामने पति को गोली मार दी गई. कहा जा रहा है कि आतंकियों की गोली के अधिकतर शिकार पुरुष हुए हैं, कुछ तो अपने परिवार के मुखिया थे, यानी पूरे परिवार के साथ छुट्टी मनाने घाटी पहुंचे थे.

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pahalgam attack
pahalgam attack

आतंकवाद दुनिया के लिए अभिशाप है, भारत दशकों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ता आया है. एक बार फिर कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने निहत्थे पर्यटकों पर गोलियां बरसाकर पूरे देश को झकझोर दिया है. हमले में करीब 28 लोगों की मौत हुई है. इससे पहले 26/11 मुंबई आतंकी हमले में करीब 166 बेगुनाह मारे गए थे. उसके बाद भी देश में अलग-अलग जगहों पर आतंकवादी हमले हुए जिसमें निर्दोष लोग मारे गए. 

जिन परिवारों ने ताजा हमलों में अपनों को खोया है, उनके लिए ये जिंदगीभर का सदमा है. इस हमले को लेकर लोगों में जितना आक्रोश है, वो तो धीरे-धीरे शांत हो जाएगा लेकिन पीछे रह जाएंगे अपनों की याद में बिलखते, सिसकते परिजन. पहलगाम हमने में कई परिवारों के तो इकलौते कमाने वालों को खोया है. महज कुछ लाख का सरकारी मुआवजा उनके लिए ज्यादा काम का नहीं होगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि देश में आतंकी हमलों का शिकार हुए लोगों के लिए जीवन बीमा के क्या नियम-कायदे हैं. 

दरअसल, पिछले कुछ वर्षों के दौरान इंश्योरेंस नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं. जिसके बाद अब ज्यादातर जीवन बीमा पॉलिसियों में आतंकवाद से हुए नुकसान को शामिल किया जाता है, यानी इंश्योरेंस क्लेम मिलता है. लेकिन इसकी कुछ शर्तें हैं. बीमा रेगुलेटरी बॉडी Insurance Regulatory and Development Authority (IRDA) के मुताबिक, अब लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में कंपनियां आतंकवाद से होने वाली मौत को भी कवर करती हैं. यानी अगर किसी व्यक्ति की मौत आतंकवादियों की गोली से होती है, तो यह सामान्य रूप से बीमा के दायरे में आता है. 

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पॉलिसी लेने से पहले जरूर करें जिक्र
हालांकि अगर किसी व्यक्ति की मौत आतंकवाद के कारण होती है, तो उसे दुर्घटना से हुई मौत के लिए जो अतिरिक्त राशि तय है, वह नहीं मिलेगी. उदाहरण के लिए अगर किसी शख्स ने 50 लाख का बीमा करवाया है और दुर्घटना की स्थिति में अतिरिक्त 10 लाख रुपये का बीमा है, तो ऐसी स्थिति में अगर उस शख्स की मौत आतंकी हमले में होती है तो फिर परिवार को 50 लाख रुपये के बीमा के तहत ही भुगतान किया जाएगा. दुर्घटना के लिए जो अलग से 10 लाख रुपये का प्रावधान था, वो नहीं मिलेगा. 

यही नहीं, अगर कोई अलग से आतंकवाद में हुए नुकसान के लिए बीमा करवाना चाहता है, तो 'न्यू इंडिया एश्योरेंस' ने कई कंपनियां के साथ मिलकर एक आतंकवाद बीमा पॉलिसी पेश की है.  

मकान और गाड़ी के लिए भी है ऐसा ही बीमा
कई बीमा कंपनियां साधारण जीवन बीमा पॉलिसी में भी आतंकवाद को कवर करती हैं और यह अतिरिक्त कवर के तौर पर होता है. आज के दौर में लोगों को जीवन बीमा के साथ-साथ हेल्थ इंश्योरेंस, मकान और संपत्ति के लिए भी बीमा योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए. कई बार आतंकी हमले में पूरा मकान ध्वस्त हो जाता है, गाड़ियों के परखच्चे उड़ जाते हैं. ऐसे में अगर आप मकान और गाड़ी का इंश्योरेंस करवाते हैं तो क्लेम करते ही राशि मिल जाएगी. 

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हालांकि हर शख्स की जरूरतें अलग-अलग होती हैं. इसलिए कोई भी पॉलिसी लेने से पहले दस्तावेज को गौर से जरूर पढ़ें, किन स्थितियों में कवरेज मिल सकता है और अगर क्लेम करना हो तो क्या करना चाहिए. क्योंकि एक तो परिवार में किसी शख्स की मौत से पहले ही दुखों का पहाड़ टूटा होता है और अगर ऐसे में वित्तीय मोर्चों पर भी भागदौड़ करनी पड़े तो परेशानी और बढ़ जाती है. 

क्लेम के लिए कौन-कौन से दस्तावेज चाहिए होंगे
अगर दस्तावेज की बात करें तो बीमा क्लेम के लिए पीड़ित परिवार को पुलिस रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. आतंकवाद हमले में क्लेम करने की प्रक्रिया काफी सरल होती है. क्लेम करते ही जल्द से जल्द भुगतान की व्यवस्था होती है. क्योंकि आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों की लिस्ट सरकार के पास उपलब्ध होती है. सरकार या नगर निगम के किसी भी रिकॉर्ड में आतंकवादी हमले के कारण हुई मौत का उल्लेख हो, तो उसे ही मृत्यु का प्रमाणपत्र समझ लिया जाता है, जहां दूसरी बीमा योजनाओं में व्यक्ति की मौत के बाद जांच पड़ताल की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

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