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बिहार चुनाव से पहले 282 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड बिके, राजनीतिक दलों को फायदा 

भारतीय स्टेट बैंक द्वारा की गयी 14वें चरण की बिक्री में करीब 282 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गये हैं. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देते हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं.

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चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड में ​अच्छा निवेश
चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड में ​अच्छा निवेश
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इलेक्टोरल बॉन्ड की हुई अच्छी बिक्री
  • बिहार चुनाव से पहले हुई बिक्री
  • इससे राजनीतिक दलों को फायदा

भारतीय स्टेट बैंक द्वारा की गयी 14वें चरण की बिक्री में करीब 282 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गये हैं. यह बिक्री 28 अक्टूबर तक है, यानी बिहार चुनाव से ठीक पहले हुई है. 

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के लिए चुनाव 28 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच हुए थे. इससे ऐसा लगता है कि इन इलेक्टोरल बॉन्ड की मदद से बिहार चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को अच्छी नकदी हासिल हुई है. भारतीय स्टेट बैंक से आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार ये बॉन्ड नई दिल्ली, पटना, गांधी नगर, भुवनेश्वर आदि ब्रांच से बेचे गये हैं. 

वित्त मंत्रालय ने 19 अक्टूबर को बताया था कि चुनाव आयोग ने आचार संहिता के मुताबिक शर्तों के साथ इन बॉन्ड की बिक्री को मंजूरी दी है. इलेक्टोरल बॉन्ड एसबीआई की 29 अध‍िकृत शाखाओं द्वारा बेचे जाते हैं. इसके द्वारा सिर्फ रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है.

क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड

सरकार ने इस दावे के साथ साल 2018 में इस बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं.

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 इसे देखें: आजतक LIVE TV 

कैसे काम करते हैं ये बॉन्ड

बॉन्ड जारी करने वाले महीने के 10 दिनों के भीतर कोई व्यक्ति, लोगों का समूह या या कॉरपोरेट एसबीआई की निर्धारित शाखाओं से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. जारी होने की तिथि से 15 दिनों की वैधता वाले बॉन्ड 1000 रुपए, 10000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में जारी किए जाते हैं. ये बॉन्ड नकद में नहीं खरीदे जा सकते और खरीदार को बैंक में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) फॉर्म जमा करना होता है.

सियासी दल एसबीआई में अपने खातों के जरिए बॉन्ड को भुना सकते हैं. यानी ग्राहक जिस पार्टी को यह बॉन्ड चंदे के रूप में देता है वह इसे अपने एसबीआई के अपने निर्धारित एकाउंट में जमा कर भुना सकता है. पार्टी को नकद भुगतान किसी भी दशा में नहीं किया जाता और पैसा उसके निर्धारित खाते में ही जाता है.

 

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