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तेजस्वी यादव की RJD को BJP और JDU से ज्यादा वोट शेयर मिला, लेकिन सीटें कम, जानिए क्यों

RJD Vote Share In Bihar Election 2025: RJD ने बिहार चुनाव में मात्र 25 सीटें जीतीं, लेकिन 23% के साथ सबसे अधिक वोट शेयर हासिल किया. पार्टी ने 143 सीटों पर लड़कर 1.15 करोड़ वोट पाए, जबकि BJP और JDU ने कम सीटों पर लड़कर अधिक जीत दर्ज की. NDA का कुल वोट शेयर 46–47% रहा, जिससे RJD का बढ़ा वोट शेयर भी सीटों में नहीं बदल सका. कमजोर सहयोगियों और रणनीति की कमी से RJD अपेक्षित जीत नहीं दर्ज कर पाई.

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RJD ने 143 सीटों पर लड़ा था चुनाव. (File Photo: ITG)
RJD ने 143 सीटों पर लड़ा था चुनाव. (File Photo: ITG)

बिहार विधानसभा चुनाव में हारी हुई पार्टी होने के बावजूद तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल के लिए एक बड़ी सांत्वना उभरी है. महज 25 सीटें जीतने के बावजूद RJD इस चुनाव में सबसे अधिक वोट पाने वाली पार्टी बनकर सामने आई है. तेजस्वी यादव, जो लगातार लालू प्रसाद यादव की परछाईं से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, उन्होंने बेहद ऊर्जावान और भीड़ खींचने वाले अभियान चलाए, लेकिन ये बड़ी भीड़ सीटों में तब्दील नहीं हो सकी. फिर भी, यह साफ दिखा कि RJD को जनता का समर्थन अब भी बड़े पैमाने पर मिल रहा है. 

RJD ने 143 सीटों पर लड़ा था चुनाव 
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, RJD ने इस बार 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और कुल 23% वोट हासिल किए, जो इस चुनाव में किसी भी पार्टी का सबसे बड़ा वोट शेयर है. यह आंकड़ा 2020 के 23.11% से थोड़ा कम जरूर है, लेकिन तब पार्टी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि इस बार सिर्फ 25 सीटें ही हासिल कर सकी.

भाजपा और JDU को कितने वोट मिले?
इस चुनाव में RJD को कुल 1.15 करोड़ (1,15,46,055) वोट मिले. इसके मुकाबले, BJP इस बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने 101 सीटों पर चुनाव लड़कर 20.08% वोट शेयर और 89 सीटें हासिल कीं. 2020 के 19.46% से यह वृद्धि दर्ज की गई है और BJP को इस बार 1,00,81,143 वोट मिले. NDA की दूसरी बड़ी पार्टी, नीतीश कुमार की JDU ने 101 सीटें लड़कर 85 पर जीत दर्ज की और 19.25% वोट शेयर पाया. यह 2020 के 15.39% से काफी अधिक है. इससे यह साफ होता है कि तमाम राजनीतिक उतार-चढ़ाव और बार-बार गठबंधन बदलने के आरोपों के बावजूद नीतीश कुमार का एक मजबूत और वफादार वोट बैंक अब भी कायम है.

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NDA के सभी दलों ने मिलकर 46–47% वोट शेयर हासिल किए
NDA के सभी दल BJP, JDU, LJP, HAM और Rashtriya Lok Morcha ने मिलकर 46–47% वोट शेयर तक पहुंच गए. यही वजह रही कि RJD को मिले सबसे अधिक वोट भी सीटों में तब्दील नहीं हो सके. इसके उलट, महागठबंधन जिसमें RJD के साथ कांग्रेस, VIP और वाम दल शामिल थे, कुल 35.89% वोट शेयर ही जुटा सका. यानी RJD की सबसे बड़ी कमजोरी उसके सहयोगी दल ही बन गए, क्योंकि उनका प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा और इसका सीधा असर RJD की सीटों के आंकड़े पर पड़ा.

ज्यादा सीटों पर लड़ा चुनाव लेकिन सीटें कम मिलीं 
अब बड़ा सवाल यह है कि RJD को सबसे अधिक वोट मिलते हुए भी जीत कम क्यों मिली? वोट शेयर का मतलब यह होता है कि कोई पार्टी चुनाव में कुल पड़े वोटों का कितना प्रतिशत बटोर पाई. इससे यह साफ होता है कि RJD की लोकप्रियता बिहार की जनता में कम नहीं हुई है. बल्कि यह संकेत देता है कि कई सीटों पर RJD ने कड़ी टक्कर दी, दूसरे नंबर पर आई, पर जीत की लाइन पार नहीं कर सकी. ऐसी सभी हारें कुल वोट तो बढ़ाती हैं, लेकिन सीटें नहीं. इसके अलावा RJD ने सबसे ज्यादा 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, यानी BJP और JDU की तुलना में 42 ज्यादा सीटें. स्वाभाविक रूप से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने से कुल वोट तो बढ़ते हैं, लेकिन अगर जीत नहीं मिलती, तो यह वोट शेयर तो बढ़ाता है पर सीटें नहीं.

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आगे क्या करेगी RJD?
इस तरह, यह चुनाव RJD के लिए सीटों के लिहाज से पिछले डेढ़ दशक का सबसे खराब प्रदर्शन साबित हुआ, क्योंकि 2010 में भी उसे 22 सीटें मिली थीं. फिर भी एक बात साफ है तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव पूरी तरह निराशाजनक नहीं है. सबसे बड़ा संदेश यह है कि पार्टी की लोकप्रियता जनता में अब भी बनी हुई है, लेकिन उसे सीटों में बदलने की रणनीति कमजोर रही. RJD के लिए आगे की राजनीति यही तय करेगी कि वह इस वोट शेयर को वास्तविक जीत में कैसे बदलती है.

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