Guru Gobind Singh Jayanti 2025: क्या हैं 5 ककार, जिनको गुरु गोबिंद सिंह ने बनाया सिखों की शान, जानें महत्व

Guru Gobind Singh Jayanti 2025: आज गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती है. सिख धर्म के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती को बहुत धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन घरों और गुरुद्वारों में कीर्तन होता है. खालसा पंथ की झांकियां निकाली जाती हैं. इस दिन खासतौर पर लंगर का आयोजन किया जाता है

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गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025 गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

Guru Gobind Singh Jayanti 2025: आज सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती है. उनका जन्म पटना साहिब में हुआ था. उनके पिता गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे. साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की. उन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया.

माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने अपना पूरा जीवन सच्चाई की राह पर चलते हुए और लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया. गुरु गोबिंद सिंह की कई ऐसी शिक्षाएं हैं जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं. साथ ही, गुरु गोबिंद सिंह ने 5 ककारों के बारे में बताया था जो सिख धर्म के लिए बहुत ही खास माने जाते हैं. 

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सिख धर्म के 5 ककार

गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना के दौरान सिखों के लिए 5 ककार (पांच धार्मिक चिन्ह) केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा अनिवार्य किए थे. ये 5 ककार सिख धर्म के अनुयायियों के धार्मिक अनुशासन और पहचान का प्रतीक हैं.

1. केश

बिना कटे बाल, जो ईश्वर की दी हुई प्राकृतिक देन को स्वीकारने और सम्मान देने का प्रतीक हैं. यह सिखों की आध्यात्मिकता और ईश्वर में विश्वास को दर्शाता है.

2. कड़ा

लोहे का कड़ा, जो सिखों की ईश्वर के साथ अटूट बंधन और सदा अच्छे कर्म करने की याद दिलाता है. 

3. कंघा

लकड़ी की कंघी, जो बालों की सफाई और अनुशासन का प्रतीक है. यह सिखों के जीवन में स्वच्छता और व्यवस्था की अहमियत को दर्शाता है.

4. कच्छा

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कच्छा सिख धर्म का चौथा ककार है. घुटनों तक का अधोवस्त्र, जो सिखों की पवित्रता और शारीरिक व मानसिक नियंत्रण का प्रतीक है. 

5. कृपाण

एक छोटा कृपाण (तलवार), जो सिखों के साहस और धर्म की रक्षा के कर्तव्य का प्रतीक है. यह अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है. 

गुरु गोबिंद सिंह ने दी ये सीख

गुरु गोबिंद सिंह ने कहा धरम दी किरत करनी यानि अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं. किसी का अहित ना करें. अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे दें और गुरुबानी को कंठस्थ कर लें. काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर कोताही न बरतें. अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंड ना करें. दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें. किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें.

किसी भी विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद शख्स की मदद जरूर करें. अपने सारे वादों पर खरा उतरने की कोशिश करें. खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी की प्रैक्टिस जरूर करें. आज के संदर्भ में नियमित व्यायाम जरूर करें.

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