उत्तराखंड में बॉर्डर पर तनाव, नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी हुई है. यहां काली नदी पर तटबंध निर्माण चल रहा था. जिसको लेकर ये विवाद बताया जा रहा है. इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे हैं. वहीं नेपाली सुरक्षाकर्मी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मूकदर्शक बने रहे.

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धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी हुई है धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी हुई है

अंकित शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:20 PM IST

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारत-नेपाल बॉर्डर पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है. कारण, रविवार शाम नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव किया गया. जिससे निर्माण कार्य में लगे मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई. जानकारी के मुताबिक धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी हुई है. यहां काली नदी पर तटबंध निर्माण चल रहा था. जिसको लेकर ये विवाद बताया जा रहा है. इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे हैं. वहीं नेपाली सुरक्षाकर्मी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मूकदर्शक बने रहे.

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यह पत्थरबाजी करीब 4 घंटे तक लगातार जारी रही. इस दौरान भारतीय क्षेत्र में तटबंध निर्माण के कार्य में जुटे मजदूरों को चोट भी पहुंची है. साथ ही तटबंध निर्माण का कार्य कर रही अरुण कंस्टक्शन के पॉकलैंड मशीन के शीशे भी टूट गये. इस दौरान तटबंध कार्य में लगे मजदूरों के द्वारा भागकर बमुश्किल जान बचाई. 

बता दें कि नेपाली नागरिकों द्वारा कई दिनों से भारतीय क्षेत्रों में पत्थरबाजी की जा रही है. जिससे भारतीय क्षेत्र में तटबंध का निर्माण कर रही कंपनी को बार-बार काम बंद करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि नेपाली नागरिक भारतीय क्षेत्र में बन रहे तटबंध का विरोध कर रहे हैं. लगातार पत्थरबाजी को देखते हुए एसएसबी और स्थानीय प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच कर मामले की जांच में जुट गयी है. 

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दरअसल, धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है. धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है, जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है. लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है. धारचूला में काली नदी के आरपार भारत और नेपाल की सीमा है. काली नदी के एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल. काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं. भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है. 

बता दें कि 2020 में भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में नेपाल ने काला पानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया था, जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उदघाटन किया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर फिर से अपना दावा किया था. इसको लेकर दोनों देशों में कई दिनों तक तनातनी बनी रही थी.

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2020 में नेपाल ने नोमैंस लैंड पर कब्जे का प्रयास किया

गौरतलब है कि जुलाई 2020 में नेपाल की तरफ से उत्तराखंड के टनकपुर से लगी सीमा पर विवादित नोमैंस लैंड पर कब्जे का प्रयास किया गया था. इसको लेकर इस इलाके में दोनों ओर से हंगामा भी हुआ था. इससे पहले बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में भी एक निर्माणाधीन बांध के नो मैंस लैंड में होने का दावा करते हुए नेपाली फोर्स ने निर्माण रुकवा दिया था.

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