'ऑपरेशन सिंदूर शब्द को अब तक नहीं मिला ट्रेडमार्क', सरकार ने राज्यसभा में बताया

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि मंत्रालय इन शब्दों से जुड़े सभी ट्रेडमार्क आवेदनों पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि अब तक कोई भी आवेदन मंजूर नहीं हुआ है. हालांकि एक आवेदन वापस ले लिया गया है. वापस लिया गया आवेदन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने दायर किया था.

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सरकार ने राज्यसभा में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर शब्द को अब तक नहीं ट्रेडमार्क नहीं मिला है. (Photo: ITG) सरकार ने राज्यसभा में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर शब्द को अब तक नहीं ट्रेडमार्क नहीं मिला है. (Photo: ITG)

नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:57 PM IST

भारत सरकार ने राज्यसभा में जानकारी दी है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' या 'Ops Sindoor' शब्दों के लिए अब तक कोई ट्रेडमार्क आवेदन स्वीकृत नहीं हुआ है. ये जानकारी सांसद सागरिका घोष द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में सामने आई है.

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि मंत्रालय इन शब्दों से जुड़े सभी ट्रेडमार्क आवेदनों पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि अब तक कोई भी आवेदन मंजूर नहीं हुआ है. हालांकि एक आवेदन वापस ले लिया गया है. वापस लिया गया आवेदन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने दायर किया था. 

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बीते कुछ दिनों से 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम का उपयोग कर ट्रेडमार्क आवेदन करने की होड़ सी मच गई थी. कई कंपनियों और व्यक्तियों ने इस नाम से जुड़े शब्दों पर ट्रेडमार्क लेने की कोशिश की, चाहे वह उत्पाद हों, फिल्में, टीवी प्रोग्राम, मीडिया या फिर अन्य व्यावसायिक वस्तुएं हों.

सरकार ने बताया कि ऐसे 46 ट्रेडमार्क आवेदन अभी लंबित हैं, जिनमें ‘Operation Sindoor’, ‘Ops Sindoor’, और ‘Mission Sindoor’ जैसे शब्दों को रजिस्टर्ड कराने की मांग की गई है. इन आवेदकों में निजी कंपनियां, टीवी निर्माता, खाद्य उत्पादक, ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां और अन्य कारोबारी शामिल हैं. ये आवेदन अलग-अलग वर्गों में दर्ज किए गए हैं. इनके अलावा 'Mission Sindoor', 'Sindoor TV', 'Sindoor: The Revenge' जैसे नाम और लोगो के साथ कई वैरिएशन वाले ट्रेडमार्क भी दर्ज किए गए हैं.

राज्यसभा में जवाब देते हुए सरकार ने ये भी स्पष्ट किया कि सैन्य अभियानों के नामों को लेकर ट्रेडमार्क संबंधी कोई आंतरिक सलाह, दिशा-निर्देश या परिपत्र जारी नहीं किए गए हैं. सभी आवेदन मौजूदा ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 और ट्रेड मार्क्स नियम, 2017 के तहत ही देखे जाते हैं.

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इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक अहम बात यह भी सामने आई कि रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लोगो को विशेष कानूनी सुरक्षा देने की मांग की है. ये सुरक्षा 'एम्बलम्स एंड नेम्स (प्रिवेन्शन ऑफ इम्प्रॉपर यूज़) एक्ट, 1950' के तहत मांगी गई है.

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