महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई बीते पांच दिनों से मराठा समाज के आरक्षण की मांग को लेकर चल रही आंदोलन की वजह से ठप्प से पड़ गई थी. शहर की गिरती कानून-यातायात व्यवस्था को देखते हुए मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि आज़ाद मैदान को बुधवार सुबह तक खाली करना होगा. हाईकोर्ट के सख्ती और सरकार की ओर से शर्तों को मानने के बाद मनोज जरांगे ने आमरण अनशन को खत्म करने के ऐलान किया है.
सरकार ने कुछ शर्तों पर सहमति जताई है. सरकार ने हैदराबाद गजेटियर को जारी कर दिया है. यानि कि मराठाओं को कुनबी के रूप में पहचान दी जाएगी. बता दें कि महाराष्ट्र में कुनबी पहले से ही ओबीसी वर्ग में शामिल हैं, ऐसे में उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा.
आंदोलनकारियों पर दर्ज केस वापस होंगे
अंतरवली सराटी में आंदोलनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए केस को सरकार ने वापस लेने पर सहमति जताई है. यह वही जगह है जहां आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी.
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सरकार के जीआर के बाद मुंबई छोड़ेंगे जरांगे
मनोज जरांगे ने ऐलान किया है कि गवर्नमेंट रेजोल्यूशन (जीआर) जारी होने के बाद मुंबई रात नौ बजे खाली करेंगे. सरकार की ओर से अब गजट जारी हो गई है.
जरांगे ने कहा कि सरकार ने भरोसा दिया है कि सितंबर के अंत तक मराठा आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों का वापस ले लिया जाएगा. साथ ही आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों आर्थिक मदद और परिवहन निगम में नौकरी देने का आश्वासन सरकार की ओर से मिला है.
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जरांगे के आंदोलन पर सख्त टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा कि आंदोलनकारी आज़ाद मैदान की तय सीमा से बाहर निकलकर सीएसएमटी, चर्चगेट और मरीन ड्राइव जैसे अहम इलाकों को जाम कर रहे हैं. इससे पूरी शहर की व्यवस्था बिगड़ गई. हाईकोर्ट के सख्ती के बाद जरांगे ने आंदोलनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की.
जरांगे की क्या थी मांगें?
1. मराठा समाज को कुनबी दर्जा - मराठा समाज को “कुनबी” जाति में शामिल कर ओबीसी आरक्षण का लाभ देने की मांग.
2. सरकारी आदेश जारी हो - सरकार ऐसा आदेश जारी करे जिससे मराठाओं को सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण का सीधा फायदा मिले.
3. सभी पुरानी एफआईआर वापस लें - आंदोलन से जुड़े मराठा समाज के लोगों पर दर्ज सभी पुलिस मामले/एफआईआर वापस किए जाएं.
4. पुलिसकर्मियों की कार्रवाई - आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किए जाएं.
5. मराठा प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा - प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा और उनके खिलाफ पुलिसिया दमन न हो.
आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र में किसको कितना आरक्षण मिलता है.
अनुसूचित जनजाति (ST) को सात फीसदी, अनुसूचित जाति (SC/SC-Buddhist) को 13 फीसदी, विमुक्त जाति (VJNT-A) को तीन फीसदी, घुमंतू जनजाति 1 (NT-B) को 2.5 फीसदी, घुमंतू जनजाति 2 (NT-C) को 3.5 फीसदी, घुमंतू जनजाति 3 (NT-D) को 2 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 19 फीसदी, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी और सामाजिक/शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग (SEBC) को 10 फीसदी (कुछ नई जिलों में लागू) है.
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