रूस दुनिया का सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ट्रायम्फ को और मजबूत बनाने की योजना बना रहा है. यूक्रेन युद्ध में इस सिस्टम के इस्तेमाल से मिली सीखों को अपनाकर रूस इसे नई चुनौतियों के खिलाफ और प्रभावी बनाने पर काम कर रहा है.
यह अपग्रेड न सिर्फ रूस की सेना के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि भारत जैसे खरीदार देशों के लिए भी खुशखबरी है. भारत ने 2018 में 5.43 अरब डॉलर के सौदे में पांच S-400 स्क्वाड्रन खरीदे हैं, जिनमें से तीन पहले ही तैनात हैं. बाकी दो 2026 तक मिलने की उम्मीद है.
S-400 एक मोबाइल सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के विमान, मिसाइल, ड्रोन और यहां तक कि हाइपरसोनिक हथियारों को 400 किलोमीटर दूर से नष्ट कर सकता है. यह 600 किलोमीटर तक टारगेट को डिटेक्ट कर सकता है. इसकी खासियत यह है कि यह एक साथ 80 टारगेट ट्रैक कर सकता है. 36 को एक साथ मार गिरा सकता है. भारत में इसे 'सुदर्शन चक्र' नाम दिया गया है.
यह भी पढ़ें: थाईलैंड से गाजा और फिर यूक्रेन तक... दुनिया के तीन अटके हुए सीजफायर्स की कहानी
यह सिस्टम अमेरिकी पैट्रियट या इजरायली आयरन डोम से भी ज्यादा एडवांस्ड माना जाता है. रूस का दावा है कि कोई विदेशी सिस्टम अभी तक इसके मुकाबले नहीं टिक पाया.
यूक्रेन युद्ध (जिसे रूस 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन' कहता है) में S-400 ने कमाल कर दिखाया. रूसी सेना ने इसे अमेरिकी ATACMS मिसाइलों और यूक्रेनी ड्रोन हमलों को रोकने के लिए इस्तेमाल किया. अगस्त 2025 से इसकी प्रभावशीलता में इजाफा हुआ है. नवंबर 2025 में रूसी सीमा पर ATACMS हमलों को सफलतापूर्वक रोका गया.
युद्ध ने कमजोरियां भी उजागर कीं. यूक्रेन ने ड्रोन और क्रूज मिसाइलों से कई S-400 रडार और लॉन्चर नष्ट किए, जैसे सितंबर 2025 में क्रीमिया में. इससे रूस को एहसास हुआ कि सिस्टम को जैमिंग और लो-फ्लाइंग थ्रेट्स के खिलाफ मजबूत बनाना जरूरी है. युद्ध से मिली सीखों से S-400 को नई क्षमताएं दी जा रही हैं, जो एयर डिफेंस सिस्टम में आमतौर पर नहीं होतीं.
यह भी पढ़ें: भारत ने मिसाइल परीक्षण के लिए NOTAM जारी किया... 2520 किमी तक नो-फ्लाई जोन
अल्माज-एंटे ग्रुप के सीईओ यान नोविकोव ने हाल ही में कहा कि तकनीकी क्रांति की रफ्तार से हम नई चुनौतियों का तुरंत जवाब दे सकते हैं. S-400 का अपग्रेड पोटेंशियल इतना बड़ा है कि हम युद्ध के दौरान ही उभरती धमकियों को खत्म कर सकते हैं.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अपग्रेड में ये बदलाव हो सकते हैं...
भारत के लिए यह अपग्रेड किसी तोहफे से कम नहीं. 2018 के सौदे के तहत भारत को पांच स्क्वाड्रन मिलने हैं. तीन आ चुके हैं जो पंजाब, राजस्थान और पूर्वोत्तर सीमाओं पर तैनात हैं. लेकिन मई 2025 में हुए Operation Sindoor ने S-400 की ताकत साबित कर दी.
यह भी पढ़ें: कैसे करते हैं दुश्मन के फाइटर जेट का फायर कंट्रोल रडार लॉक? चीन ने जापान को फंसाया
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी कैंपों पर मिसाइल हमले किए. चार दिनों (7-10 मई) की इस जंग में S-400 ने चमत्कार किया...
भारतीय वायुसेना के चीफ एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा सरफेस-टू-एयर किल रिकॉर्ड है. Operation Sindoor के बाद भारत ने और S-400 खरीदने का फैसला किया. दिसंबर 2025 में PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात में पांच और स्क्वाड्रन और 10,000 करोड़ रुपये के मिसाइल डील पर बात होगी.
साथ ही, S-500 (S-400 का अपग्रेड वर्जन) खरीदने की चर्चा भी है. रूस ने आश्वासन दिया है कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद बाकी डिलीवरी 2026 तक हो जाएगी. भारत S-400 को Akash, Spyder और MRSAM से जोड़कर लेयर्ड डिफेंस बना रहा है.
S-400 की कीमत और रखरखाव महंगा है. अमेरिका ने CAATSA सैंक्शंस की धमकी दी थी, लेकिन भारत ने इसे नजरअंदाज किया है. यूक्रेन युद्ध ने दिखाया कि कोई सिस्टम परफेक्ट नहीं – यूक्रेन ने कई S-400 नष्ट किए. लेकिन अपग्रेड से यह कमजोरी दूर हो सकती है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि यह अपग्रेड भारत-पाक और भारत-चीन बॉर्डर पर गेम-चेंजर बनेगा. रूस का दावा है कि S-400 अब असामान्य क्षमताओं वाला हो गया है. अगर भारत को अपग्रेड वर्जन मिला, तो हमारी एयर डिफेंस दुनिया की सबसे मजबूत हो जाएगी.
ऋचीक मिश्रा