रूस की खतरनाक न्यूक्लियर पनडुब्बी खबरोवस्क लॉन्च, अमेरिका-नाटो में चिंता

रूस ने खबरोवस्क नाम की नई न्यूक्लियर पनडुब्बी लॉन्च की, जो पोसाइडन न्यूक्लियर ड्रोन दागेगी. सेवमाश शिपयार्ड्स में डिफेंस मिनिस्टर आंद्रेई बेलौसोव की मौजूदगी में हुआ इस पनडुब्बी का लॉन्च हुआ. ये ड्रोन तटीय देशों को मिटाने में सक्षम है. तेज रफ्तार वाला न्यूक्लियर हथियार है. ये पनडुब्बी रूस की समुद्री सीमाओं और हितों की रक्षा मजबूत करेगी.

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ये है रूस की नई सबमरीन खबरोवस्क. (Photo: X/@HEMemarian) ये है रूस की नई सबमरीन खबरोवस्क. (Photo: X/@HEMemarian)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

रूस ने अपनी ताकत दिखाने के लिए एक नया कदम उठाया है. खबरोवस्क नाम की एक नई न्यूक्लियर पनडुब्बी लॉन्च की है. ये पनडुब्बी 'पोसाइडन' न्यूक्लियर ड्रोन को ले जाने के लिए बनी है, जिसे 'कयामत का मिसाइल' भी कहा जाता है. ये ड्रोन इतना खतरनाक है कि ये तटीय देशों को मिटा सकता है. ये लॉन्च रूस की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने का बड़ा कदम है. 

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खबरोवस्क पनडुब्बी क्या है?

खबरोवस्क एक भारी न्यूक्लियर-पावर्ड मिसाइल क्रूजर है. ये पूरी तरह से पानी के नीचे चलने वाली पनडुब्बी है, जो रूस की नौसेना के लिए बनी है. इसका डिजाइन रूस के सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ऑफ मरीन इंजीनियरिंग रुबिन ने किया है. 

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  • मुख्य काम... ये आधुनिक पनडुब्बी पानी के नीचे हथियारों और रोबोटिक सिस्टम्स को ले जाएगी. 

सबसे खास बात ये है कि ये पनडुब्बी पोसाइडन न्यूक्लियर ड्रोन का कैरियर बनेगी. पोसाइडन को नाटो कैनियन कहता है. ये कोई साधारण टॉरपीडो नहीं, बल्कि एक न्यूक्लियर-पावर्ड अंडरवॉटर ड्रोन है. ये बहुत तेज रफ्तार से चल सकता है. इसकी स्पीड 186 km/hr है. गहरे समुद्र में और महाद्वीपों के बीच की दूरी तय कर सकता है. रूसी अधिकारियों का कहना है कि ये ड्रोन रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा कर सकता है, जो तटीय इलाकों को तबाह कर दे.

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लॉन्च कैसे हुआ?

ये लॉन्च शनिवार रात को हुआ. जगह थी सेवमाश शिपयार्ड्स, जो सेवरोडविंस्क शहर में है. रूसी डिफेंस मिनिस्टर आंद्रेई बेलौसोव ने खुद इस समारोह की अगुवाई की. रूसी नेवल चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर मोइसेयेव और शिपबिल्डिंग के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे. 

बेलौसोव ने टीवी पर कहा कि आज हमारे लिए एक बड़ा दिन है. खबरोवस्क नाम की ये भारी न्यूक्लियर पनडुब्बी सेवमाश के स्टर्न से लॉन्च हो रही है. सेवमाश शिपयार्ड्स पहले भारत के लिए आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर को अपग्रेड कर चुका है. लॉन्च के बाद पनडुब्बी को टेस्टिंग के लिए तैयार किया जाएगा.

तकनीकी खासियतें: सरल शब्दों में

खबरोवस्क को बनाने में रूस ने कमाल किया है. आइए, इसके मुख्य फीचर्स समझें...

  • न्यूक्लियर पावर: ये न्यूक्लियर रिएक्टर से चलती है, जो इसे लंबे समय तक पानी के नीचे रख सकती है.
  • हथियार सिस्टम: इसमें पानी के नीचे चलने वाले हथियार और रोबोटिक सिस्टम्स लगे हैं. ये रूस की समुद्री सीमाओं की रक्षा करेंगे और दुनिया के महासागरों में राष्ट्रीय हितों की हिफाजत करेंगे. 
  • पोसाइडन ड्रोन: ये ड्रोन इसी पनडुब्बी से लॉन्च होगा. हाल ही में रूस ने इसका टेस्ट किया. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि ये एक मदर-सबमरीन से लॉन्च हुआ. इसमें स्ट्रैटेजिक सबमरीन के रिएक्टर से 100 गुना छोटा न्यूक्लियर पावर प्लांट है.
  • तेज और गहरा: पोसाइडन सबमरीन्स और टॉरपीडोज से तेज चलता है. ये गहरे समुद्र में इंटरकॉन्टिनेंटल दूरी पर जा सकता है. रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने इसे 'डूम्सडे मिसाइल' कहा है. दूमा डिफेंस कमिटी के चेयर एंड्रेई कार्टापोलोव ने कहा कि ये पूरे तटीय देशों को मिटा सकता है.  

पिछले हफ्ते रूस ने पोसाइडन का सफल टेस्ट किया था. इससे पहले बुरेवेस्तनिक मिसाइल का भी टेस्ट हुआ. ये सब रूस की न्यूक्लियर ताकत को दिखाने के लिए हैं.

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रूस के लिए क्यों महत्वपूर्ण?

आज के समय में समुद्री जंगें बढ़ रही हैं. यूक्रेन युद्ध के बीच रूस अपनी नौसेना को मजबूत कर रहा है. खबरोवस्क जैसी पनडुब्बी से...

  • सीमा सुरक्षा: रूस की समुद्री बॉर्डर्स सुरक्षित होंगे.
  • राष्ट्रीय हित: दुनिया के महासागरों में रूस के इंटरेस्ट्स की रक्षा होगी.
  • डर का हथियार: पोसाइडन जैसे ड्रोन दुश्मनों को डराएंगे. ये न्यूक्लियर डिटरेंस (रोकथाम) का नया तरीका है. 
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