हिरोशिमा में गिरे बम से 100 गुना ताकतवर, दुनिया के 80% तटीय शहर रेंज में... खतरनाक है पुतिन का पोसाइडन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पोसाइडन नामक न्यूक्लियर-पावर्ड अंडरवॉटर सुपर टॉरपीडो का सफल परीक्षण किया. यह हिरोशिमा बम से 100 गुना ताकतवर 2 मेगाटन वॉरहेड ले जाता है. 185 km/hr की स्पीड और अनलिमिटेड रेंज से दुनिया के 80% तटीय शहरों को निशाना बना सकता है. रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा कर सकता है. ये कयामत का टॉरपीडो कहलाता है.

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ये है पोसाइडन सुपर टॉरपीडो जो किसी तटीय शहर को पूरा तरह बर्बाद कर सकता है. (Photo: ITG) ये है पोसाइडन सुपर टॉरपीडो जो किसी तटीय शहर को पूरा तरह बर्बाद कर सकता है. (Photo: ITG)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 29 अक्टूबर को एक बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि रूस ने पोसाइडन नाम का एक न्यूक्लियर-पावर्ड विशालकाय टॉरपीडो का सफल परीक्षण किया है. यह पानी के अंदर चलने वाली मिसाइल है. पुतिन ने इसे 'दुनिया में बेजोड़' बताया और कहा कि यह सरमत आईसीबीएम से भी ज्यादा ताकतवर है.

यह हथियार एक परमाणु वारहेड ले जा सकता है.इसे 'कयामत का टॉरपीडो' कहा जाता है. लेकिन आखिर यह क्या है? इसकी पूरी स्पेसिफिकेशन क्या है? कौन-कौन से देश इसके रेंज में आते हैं? यह कितना खतरनाक है? आइए, समझते हैं.

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पोसाइडन क्या है?

पोसाइडन को पहले स्टेटस-6 या कैनियन कहा जाता था. यह रूस का पानी के नीचे चलने खुद चलने वाला एक तरह का वाहन है. यह एक तरह का ड्रोन है जो समुद्र में लंबी दूरी तय कर सकता है. यह पनडुब्बी से लॉन्च होता है. न्यूक्लियर इंजन से चलता है. अगर यह भारत के पास होता और इसका उपयोग पाकिस्तान के खिलाफ किया जाता तो पूरा कराची बंदरगाह और शहर साफ हो जाता है. 

इसका मकसद दुश्मन के तटीय इलाकों पर हमला करना है. रूस इसे अमेरिका जैसे देशों की मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए बनाया है. यह हथियार 2015 से डेवलप हो रहा है. पुतिन ने कहा कि इसका सफल परीक्षण बड़ी सफलता है. इससे पहले, रूस ने बुरेवेस्तनिक मिसाइल का भी परीक्षण किया था. ये दोनों हथियार रूस की न्यूक्लियर ताकत को दिखाने के लिए हैं.

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पोसाइडन की पूरी स्पेसिफिकेशन

पोजीडन कोई साधारण टॉरपीडो नहीं है. यह बहुत बड़ा और एडवांस्ड है. यहां इसकी मुख्य विशेषताएं ...

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  • लंबाई: लगभग 24 मीटर (एक बड़ा बस जितना लंबा).
  • चौड़ाई: 2 मीटर.
  • वजन: करीब 100 टन.
  • स्पीड: पानी के नीचे 185 किलोमीटर प्रति घंटा. यह इतनी तेज है कि कोई सामान्य नौसेना इसे पकड़ नहीं पाएगी.
  • गहराई: 1,000 मीटर तक डाइव कर सकता है. सामान्य टॉरपीडो इससे आधी गहराई ही जाते हैं.
  • रेंज: अनलिमिटेड! न्यूक्लियर पावर से चलता है, इसलिए महीनों तक समुद्र में घूम सकता है. यह 14,000 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक जा सकता है.
  • वारहेड (विस्फोटक): 2 मेगाटन न्यूक्लियर बम (हिरोशिमा बम से 100 गुना ज्यादा ताकतवर). इसमें कोबाल्ट जोड़ा जा सकता है, जो रेडियोएक्टिव धूल फैलाएगा.
  • इंजन: लिक्विड मेटल कूल्ड न्यूक्लियर रिएक्टर, जो इसे सालों तक बिना रिफ्यूल के चलाता है.
  • नेविगेशन: जीपीएस और ऑटोनॉमस सिस्टम से खुद का रास्ता ढूंढता है.

यह सब मिलाकर, पोसाइडन एक 'सुपर टॉरपीडो' है जो पारंपरिक हथियारों से कहीं आगे है.

पोसाइडन की रेंज: कौन-कौन से देश खतरे में?

पोसाइडन की सबसे डरावनी बात इसकी रेंज है. यह इंटरकॉन्टिनेंटल है यानी महाद्वीपों के बीच की दूरी तय कर सकता है. रूस की पनडुब्बी से लॉन्च होने पर यह...

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  • अमेरिका: पूरे पूर्वी और पश्चिमी तट (जैसे न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, वॉशिंगटन) पर हमला कर सकता है. रूस इसे खासतौर पर अमेरिकी शहरों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया बताता है.
  • यूरोप: ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों के तटीय इलाके (लंदन, पेरिस के पास).
  • एशिया: जापान, दक्षिण कोरिया, चीन के तटीय शहर.
  • अन्य: भारत, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बड़े बंदरगाह भी खतरे में.

कुल मिलाकर, दुनिया के 80% तटीय शहर इसके रेंज में आते हैं. यह आर्कटिक सागर से लॉन्च होकर प्रशांत महासागर तक पहुंच सकता है. रूस के पास 30 ऐसे हथियार बनाने की योजना है.

पोसाइडन कितना खतरनाक है?

यह हथियार इतना खतरनाक है कि इसे 'डूम्सडे वेपन' कहा जाता है...

  • परमाणु विस्फोट: 2 मेगाटन बम से लाखों लोग मर सकते हैं. लेकिन असली खतरा तो उसके बाद है.
  • रेडियोएक्टिव सुनामी: यह तटीय इलाकों में विस्फोट करेगा, जो 500 मीटर ऊंची रेडियोएक्टिव लहरें पैदा करेगा. यह लहरें शहरों को डुबो देंगी और रेडियोएक्टिव पानी फैलाएंगी. इससे इलाके सालों तक रहने लायक नहीं रहेंगे.
  • कोबाल्ट सॉल्टेड: अगर कोबाल्ट मिलाया जाए, तो यह डर्टी बम बनेगा. यह हवा में जहर फैलाएगा, जो कैंसर और बीमारियां पैदा करेगा. पूरी सभ्यता को खत्म करने की ताकत.
  • ट्रैकिंग मुश्किल: इतनी गहराई और स्पीड से चलता है कि कोई रडार या सोनार इसे नहीं पकड़ पाएगा. यह चुपचाप दुश्मन के पास पहुंच जाता है.
  • दुनिया के लिए खतरा: अगर इस्तेमाल हुआ, तो सिर्फ एक देश नहीं, पूरी दुनिया प्रभावित होगी. समुद्री जीवन नष्ट, जलवायु बदलाव और न्यूक्लियर विंटर हो सकता है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि यह हथियार युद्ध को और डरावना बना देगा. अमेरिका और नाटो इसे रोकने के लिए नई तकनीकें बना रहे हैं, लेकिन अभी यह रूस का सबसे बड़ा हथियार है. पुतिन का यह ऐलान यूक्रेन युद्ध के बीच आया है, जो दुनिया को चेतावनी है. लेकिन सवाल यह है – क्या ऐसे हथियार शांति लाएंगे या बर्बादी? पोसाइडन जैसी तकनीक दिखाती है कि न्यूक्लियर हथियार अब और घातक हो गए हैं. 

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