गुजरात के जूनागढ़ के केसर आम दुनियाभर में मशहूर हैं, लेकिन इस साल ग्लोबल वार्मिंग के असर के चलते और तेज गर्मी के कारण आम बड़े होने से पहले ही गिर रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इस बार केसर आम की पैदावार कम रहने की आशंका है. जूनागढ़, तलाला, ऊना, कोडिनार समेत सभी इलाकों में आम की फसल को नुकसान पहुंचा है. आम के बगीचे में नए पत्ते आ गए हैं और आम के लिए आवश्यक पोषक तत्व पत्तियों में जा रहे हैं, जिसकी वजह से आम गिरने लगे हैं. लिहाजा आम के बागों में भारी नुकसान हो रहा है.
ग्लोबल वार्मिंग के चलते फीकी पड़ी आम की फसल
इस बारे में कृषि यूनिवर्सिटी के डॉक्टर जी आर गोहिल कहते हैं कि इस वर्ष मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन के कारण आम की संरचना में असंतुलन हो गया है, जिसकी वजह से हर वर्ष की तरह इस साल आम की गुठली दिखाई नहीं दे रही है. वहीं जो आम आए थे वह भी सूखकर गिर गए हैं. केसर आम के हब माने जाने वाले सोरठ में भी पिछले साल की तुलना में आम के उत्पादन में काफी कमी आई है और इसका कारण है नई विकसित पत्तियों में पोषक तत्वों की कमी होना.
वर्तमान समय में सोरठ पंथ में आम को बाजार में आने में अभी भी एक माह और लग सकता है. इस साल आम की फसल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 20 से 30 फीसदी कम है क्योंकि इस साल अंबावाड़ी में फूल आने में 40 से 50 दिन की देरी हुई है. फल लगने की प्रक्रिया में फसल को वांछित तापमान नहीं मिला और तापमान का अंतर अधिक हो गया, जिसके कारण छोटा आकार होने के बावजूद आम गिरने लगे हैं.
पिछले साल भी आम 15 अप्रैल के आसपास आए थे, लेकिन इस साल एक महीने बाद आएंगे यानी 15 मई के आसपास बाजार में आम आ सकते हैं. हालांकि, इस साल आम के दाम बहुत ज्यादा रहेंगे क्योंकि उत्पादन कम हुआ है. वहीं इस साल आम की मिठास में भी कमी आएगी क्योंकि आम ऋतु के मुताबिक नहीं पक रहा है.
बेमौसम बारिश से बर्बाद हुई केसर आम की फसल
ग्लोबल वार्मिंग के असर के चलते देश के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश भी देखने को मिल रही है. गुजरात के कच्छ में बेमौसम बारिश और तेज हवाओं की वजह से केसर आम की फसल बर्बाद हो गई, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
कच्छ की अंजार तहसील में तेज हवाओं से केसर आम गिर गए, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. इस साल किसानों को 50-60 प्रतिशत आम की पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन बेमौसम बारिश कारण इस साल 20 प्रतिशत आम की फसल बर्बाद हो चुकी है. कच्छ के किसानों को इस साल भी लाखों का नुकसान झेलना पड़ेगा. वहीं किसानो ने सरकार से सहायता राशि की मांग की है.