भारत में चने की खेती व्यापक रूप से की जाती है और यह एक महत्वपूर्ण फसल है. चना भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उच्चतम उत्पादन वाली फसलों में से एक है. उत्तर भारत के राज्यों में अधिकतर इसका उत्पादन किया जाता है, जैसे कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, और गुजरात. चना रबी सीजन में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. चना उच्च वित्तीय मूल्य और पोषण में भी धनी होती है, जिससे यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत बनती है.
चने की फसल में कई बार खरपतवार लग जाते हैं. ऐसे में विशेष परिस्थितियों में उचित प्रबंधन की जरूरत होती है. चने की फसल में अनेक प्रकार के खरपतवार जैसे बथुआ, खरतुआ, मोरवा, मोथा और दूब आदि उग जाते हैं. ये खरपतवार फसल के पौधों के साथ पोषक तत्वों को नष्ट करके उपज को प्रभावित करते हैं. इसके अतिरिक्त खरपतवारों के द्वारा फसल में अनेक प्रकार की बीमारियों एवं कीटों का भी प्रकोप होता है जो फसल की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं. खरपतवारों के द्वारा होने वाली हानि को रोकने के लिए समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है.
रासायनिक विधि है कारगर
चने की फसल में उगी हानिकारक खरपतवार को नष्ट करने के लिए हम रासायनिक विधि का उपयोग करते हैं, जिसमें हम रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल खरपतवार को नष्ट करने के लिए करते हैं. ऐसे में चने की फसल में इस एक अकेली दवा का छिड़काव करके खरपतवार से बचाया जा सकता है. तो आइए जानते हैं दवा के बारे में और इसका छिड़काव कैसे करना है?
खरपतवार से ऐसे करें बचाव
खरपतवार को कम करने के लिए फसल बुवाई के 30 से 35 दिनों के भीतर फसल की दो बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. पहली गुड़ाई फसल बुवाई के 30 से 35 दिनों के भीतर करनी चाहिए. इसके अलावा दूसरी निराई-गुड़ाई 50 से 55 दिनों में करनी चाहिए. Pendimethalin की 2.50 लीटर दवा को 500 लीटर पानी में घोलकर चने की फसल में छिड़काव करना चाहिए. चने के लिए यह दवा क्रांतिकारी मानी जाती है क्योंकि यह सभी खरपतवारों को नष्ट कर देती है.