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तेल, सोना, GDP और फूड... BRICS की बढ़ती ताकत से ट्रंप क्यों बेचैन?

अमेरिका को इस समूह से कितना खतरा महसूस हो रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल की शुरुआत में डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी तक दे दी थी. सवाल यही है कि आखिर अमेरिका BRICS से इतना असहज क्यों है.?

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अमेरिका बनाम BRICS: वैश्विक ताकत की नई जंग
अमेरिका बनाम BRICS: वैश्विक ताकत की नई जंग

भारत एक जनवरी 2026 से BRICS की अध्यक्षता संभालने जा रहा है. ये ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका की नीतियों ने अनजाने में ही भारत, चीन और रूस को एक-दूसरे के और करीब ला दिया है. नतीजा ये है कि BRICS जैसे अंतर-सरकारी समूह की ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है.

अमेरिका को इस समूह से कितना खतरा महसूस हो रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल की शुरुआत में डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी तक दे दी थी. सवाल यही है कि आखिर अमेरिका BRICS से इतना असहज क्यों है.?

वैश्विक ताकत का ‘पावर क्लब’

भू-राजनीति में किसी भी देश या समूह की मोलभाव की ताकत कुछ बुनियादी चीजों जैसे कच्चे तेल का उत्पादन, सोने का भंडार, अर्थव्यवस्था का आकार और भोजन में आत्मनिर्भरता से तय होती है. इन चारों मोर्चों पर BRICS के 11 सदस्य देश मिलकर दुनिया की एक बड़ी ताकत बन चुके हैं. यही वजह है कि ये समूह न सिर्फ वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि डॉलर के वर्चस्व को भी लगातार चुनौती देता रहा है.

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तेल: तेल उत्पादन की बात करें तो BRICS देशों की पकड़ बेहद मजबूत है. सऊदी अरब और रूस अकेले ही दुनिया के कुल कच्चे तेल का 11-11 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन करते हैं. इनके अलावा ईरान, चीन और यूएई भी बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल हैं. Statistical Review of World Energy 2025 के मुताबिक, साल 2024 में BRICS देशों ने मिलकर दुनिया का करीब 42 प्रतिशत कच्चा तेल पैदा किया.

ये आंकड़ा तब का है जब कुछ देशों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए थे. अगर ये प्रतिबंध हटते हैं तो BRICS का तेल उत्पादन और ज्यादा बढ़ सकता है, जो वैश्विक ऊर्जा बाजार में उसकी ताकत को और मजबूत करेगा.

सोना: सोने के मामले में भी BRICS की स्थिति कमजोर नहीं है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, चीन और रूस के केंद्रीय बैंकों के पास मिलाकर दुनिया के कुल सोने का 14 प्रतिशत से ज्यादा भंडार है. सभी BRICS देशों को मिलाकर ये हिस्सा करीब 20 प्रतिशत तक पहुंच जाता है.

अगर केंद्रीय बैंकों के अलावा घरेलू स्तर पर जमा सोने को भी शामिल कर लिया जाए तो भारत का आंकड़ा कई विकसित देशों से कहीं आगे निकल जाता है.

आर्थिक ताकत के लिहाज से भी BRICS लगातार मजबूत हुआ है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक साल 2024 में चीन, भारत, ब्राजील और रूस दुनिया की टॉप 11 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल थे.

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अर्थव्यवस्था: इन सभी को मिलाकर देखें तो BRICS देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्था साल 2024 में दुनिया की कुल GDP का करीब 29 प्रतिशत थी. पिछले कुछ वर्षों में सदस्य देशों के तेज विकास और नए देशों के जुड़ने से BRICS की आर्थिक ताकत में तेज उछाल देखने को मिला है.

फूड: भोजन के मोर्चे पर भी BRICS की स्थिति अमेरिका और पश्चिमी देशों को चिंता में डालने वाली है. युद्ध, प्राकृतिक आपदा, महंगाई या प्रतिबंध जैसी परिस्थितियों में सबसे पहले असर भोजन पर पड़ता है. ऐसे में जो देश खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर होते हैं, वे बाहरी दबावों से काफी हद तक बचे रहते हैं. भारत और चीन जैसे बड़े खाद्य उत्पादकों की वजह से BRICS दुनिया के लगभग आधे खाद्य उत्पादन का प्रतिनिधित्व करता है. रिपोर्ट लिंकर के अनुसार, चीन अकेले वैश्विक खाद्य उत्पादन का 24 प्रतिशत हिस्सा पैदा करता है, जबकि भारत करीब 12 प्रतिशत उत्पादन करता है.

ट्रंप की टैरिफ नीति और BRICS की रणनीति

डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति के बाद BRICS देशों ने अपनी रणनीतियों को नए सिरे से संतुलित करना शुरू किया और समूह के भीतर व्यापार व सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया. ये बदलाव अमेरिका की नजरों से नहीं बचा.

अमेरिका के भीतर से ही उठी आलोचना

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इसी महीने हुई यूएस-इंड‍िया स्ट्रेटजिक पार्टनरश‍िप बैठक के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधि सिडनी कैमलेगर-डोव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक तस्वीर दिखाते हुए ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भारत के प्रति ट्रंप की नीति अपने ही हितों को नुकसान पहुंचाने जैसी है और किसी रणनीतिक साझेदार पर दबाव बनाकर रिश्ते नहीं चलाए जा सकते.

फिलहाल BRICS देशों के पास आपसी सहयोग और व्यापार बढ़ाने से जुड़े 40 से ज्यादा बड़े कार्यक्रम चल रहे हैं. इनमें फाइनेंस, कृषि, उद्योग, बैंकिंग, स्टार्टअप, व्यापार, महिलाओं और युवाओं से जुड़े कई अहम सेक्टर शामिल हैं. यही वजह है कि BRICS अब सिर्फ देशों का एक मंच नहीं, बल्कि एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है, और यही बात अमेरिका को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है.

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