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अमेरिका में कैसे शुरू हुआ इजरायल के विरोध में प्रोटेस्ट, जानिए कौन हैं इनके पीछे, क्या है डिमांड

पिछले साल सात अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया था, जिसमें 1200 से अधिक इजरायली नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके बाद इजरायल ने बदला लेते हुए गाजा पर हमला कर दिया था. अब तक गाजा पर इजरायली हमले में 34000 से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई है, जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या सबसे अधिक है. 

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protest in US
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इजरायल और हमास की जंग के बाद से वैश्विक तनाव बना हुआ है. गाजा पर इजरायली हमले का विरोध अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में जोरों-शोरों से हो रहा है. बीते कुछ हफ्ते से हो रहे इन प्रोटेस्ट में अब तक कई छात्रों को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन अमेरिका में ये छात्र किन संगठनों की अगुवाई में सड़कों पर उतरे हैं और आखिर किन मांगों के साथ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. 

अमेरिका के दो दर्जन से ज्यादा कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में छात्रों का प्रोटेस्ट जारी है. ये छात्र गाजा में सीजफायर जैसे प्रमुख मांग के साथ इजरायल के हमले का विरोध कर रहे हैं. 

अमेरिका में छात्रों का प्रोटेस्ट कैसे शुरू हुआ?

पिछले साल सात अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया था, जिसमें 1200 से अधिक इजरायली नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके बाद इजरायल ने बदला लेते हुए गाजा पर हमला कर दिया था. अब तक गाजा पर इजरायली हमले में 34000 से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई है, जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या सबसे अधिक है. 

गाजा पर इजरायल के इसी हमले को लेकर अमेरिकी छात्र भड़के हुए हैं. इस मुद्दे पर बीते कई महीनों से कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ओपन डिबेट हो रही हैं. कई यूनिवर्सिटी के छात्र संगठनों ने इजरायल के हमले को लेकर बयान भी जारी किए थे, जिसमें गाजा पर हमले को तुरंत रोकने की मांग की गई थी. 

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हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के 30 से अधिक छात्र संगठनों ने संयुक्त बयान में कहा था कि हम गाजा में इस हिंसा के लिए इजरायली सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हैं. 

अमेरिका में सालों से फिलिस्तीन और यहूदी ग्रुप इजरायल की नीतियों का विरोध कर रहे हैं और अब इन्होंने गाजा में सीजफायर की मांग की है. ये ग्रुप पहले भी इजरायल समर्थक समूहों से झड़प करते रहे हैं और अमेरिका में ऐसा एक बार फिर देखने को मिल रहा है. अमेरिका में इजरायल विरोधी इन प्रोटेस्ट की जड़ Boycott, Divestment, Sanctions यानी BDS नाम के एक मूवमेंट से जुड़ी है. ये सगंठन इजरायल विरोधी और फिलिस्तीन समर्थक है. यह इजरायल के बहिष्कार की पैरवी करता है.

अमेरिका में छात्रों के प्रोटेस्ट से कौन से ग्रुप जुड़े हैं?

अमेरिका में इजरायल के विरोध में हो रहे इन प्रोटेस्ट से कई ग्रुप जुड़े हैं. इनमें सबसे पहला नाम Jewish Voice for Peace का है. यह ग्रुप खुद को सबसे बड़ा यहूदी विरोधी संगठन बताता है, जो अमेरिका में फिलिस्तीन के संघर्ष में खड़ा है. इस ग्रुप का दावा है कि इसके तीन लाख से अधिक समर्थक हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो रहे प्रोटेस्ट में इस ग्रुप की एक बड़ी भूमिका है.

IFNOTNOW

IFNOTNOW ग्रुप की स्थापना 2014 में इजरायल और हमास जंग के दौरान हुई थी. उस समय इस जंग में 2000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए थे. इस ग्रुप का कहना है कि इसका मकसद इजरायल के लिए अमेरिका के समर्थन को खत्म करना है और सभी फिलिस्तीनी और इजरायली नागरिकों के लिए समानता और न्याय की मांग करना है. 

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स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन

यह संगठन कई दशकों से अमेरिकी विश्वविद्यालयों में एक्टिव हैं. इसका मुख्य उद्देश्य फिलिस्तीन की आजादी और इजरायल का बहिष्कार करना है.इस संगठन की अमेरिका और कनाडा में 200 से अधिक इकाइयां हैं.

अमेरिका में कहां-कहां हो रहे प्रोटेस्ट?

इजरायल के विरोध में अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हो रहे हैं. ये प्रोटेस्ट राजधानी वॉशिंगटन सहित देशभर के 22 से ज्यादा राज्यों में हो रहे हैं.

- कोलंबिया यूनिवर्सिटी

- कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी

- येल यूनिवर्सिटी

- न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी

- जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी

- ब्राउन यूनिवर्सिटी

- अमेरिकन यूनिवर्सिटी

- यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड

- कॉर्नैल यूनिवर्सिटी

- यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया

- प्रिंसटन यूनिवर्सिटी

-टेम्पल यूनिवर्सिटी

- नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी

- यूनिवर्सिटी ऑफ पीटर्सबर्ग

- यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफॉर्निया

- यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन

- इंडियाना यूनिवर्सिटी

- यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन

- यूनिवर्सिटी ऑफ मिनिसोटा

- यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो

- मियामी यूनिवर्सिटी

- यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया

- यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास

प्रदर्शनकारी छात्रों की मांगें क्या हैं?

अमेरिका में प्रदर्शन कर रहे हजारों छात्रों ने गाजा में स्थायी सीजफायर की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका की ओर से इजरायल को दी जा रही सैन्य सहायता रोकने की भी मांग की है. 

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