
पूर्व पीएम शेख हसीना को बांग्लादेश की कंगारू कोर्ट से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देश में कई जगहों से हिंसा की खबरें है. वहां रात भर तनाव की स्थिति बनी रही. हिंसा में अबतक 2 व्यक्ति की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हैं. ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के घर को दंगाइयों ने जलाने की कोशिश की. इसके अलावा शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद कुछ लोग मिठाई बांट रहे थे. इस दौरान दो गुटों में झड़प हो गई. इस लड़ाई में एक व्यक्ति की मौत हो गई. और कई लोग जख्मी हो गए.
इसके अलावा कई जगह बम धमाके हुए हैं. पूरे मुल्क में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. कोटलीपारा में बम धमाके में पुलिस के 3 जवान जख्मी हो गए.
सुरक्षा एजेंसियों ने सोमवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के राजधानी स्थित घर को गिराने की कोशिश की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े.
पुलिस उपायुक्त मसूद आलम के हवाले से कहा, "प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए कई ध्वनि ग्रेनेड इस्तेमाल किए गए."
रिपोर्ट के अनुसार लाठीचार्ज और ईंट-पत्थर फेंकने की झड़पों के दौरान कई प्रदर्शनकारी और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.
सोमवार को हसीना को पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की कथित 'क्रूर' कार्रवाई के लिए "मानवता के विरुद्ध अपराध" के एक विशेष कोर्ट ने उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई.
फैसला सुनाए जाने से पहले ही प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने दो बुलडोजर को धानमंडी 32 की ओर ले जाने की कोशिश की. ये वही जगह है जहां शेख मुजीबुर्रहमान का घर स्थित है. रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठियां चलाई. धानमंडी में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.
कुछ प्रदर्शनकारी पंथपथ स्थित स्क्वायर अस्पताल के पास फिर से इकट्ठा हो गए जहां पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे.
ढाका के मीरपुर रोड और आसपास के इलाकों में यातायात रोक दिया गया और आस-पड़ोस की ज़्यादातर दुकानें बंद रहीं.
दोपहर करीब 2:45 बजे प्रदर्शनकारियों के भारी दबाव के बीच कानून प्रवर्तन अधिकारी पीछे हट गए.

कुछ ही मिनटों बाद, सेना, पुलिस और आरएबी ने लाठियों और ध्वनि ग्रेनेडों का इस्तेमाल शुरू कर दिया, जिससे इलाके पर पूरी तरह से नियंत्रण हो गया.
पुलिस ने परिसर के सामने बैरिकेड्स लगा दिए हैं और फिलहाल किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है. धानमंडी डिवीजन के अतिरिक्त उपायुक्त ज़िसानुल हक के हवाले से कहा, "हम किसी भी परिस्थिति में किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं देंगे."
वहीं बांग्लादेश के बरीसाल में शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद मिठाई बांटी जा रही थी. इस दौरान हिंसा भड़क गई, इस दौरान फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई. यहां जातीय छात्र लीग के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों से भिड़ गए. यहां दोनों समूहों के बीच झड़प में कई लोग घायल हो गए. उन्हें शेर-ए-बांग्ला मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया. इस हिंसा में कुल 1लोगों की मौत की खबर है.
वहीं ढाका के पलाबी इलाके में जुबो दल के नेता की अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी.
पुलिसकर्मियों पर देसी बमों से हमला
वहीं गोपालगंज के कोटालीपारा पुलिस स्टेशन में रात हुए एक देसी बम विस्फोट में तीन पुलिस अधिकारी घायल हो गए.
घायलों में कोटालीपारा पुलिस स्टेशन की कांस्टेबल आइरीन नाहर (31), नज़रुल इस्लाम (52) और आरिफ हुसैन (33) शामिल हैं.
कोटालीपारा उपजिला में इनका इलाज किया जा रहा है.
कोटालीपारा उपजिला के स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन अधिकारी डॉ. कुमार मृदुल दास ने संवाददाताओं को बताया कि घायलों ने उन्हें बताया कि वे पुलिस स्टेशन में ड्यूटी के दौरान हुए एक देसी बम विस्फोट में घायल हो गए.
बांग्लादेश में अवामी लीग ने आज भी बंद का आह्वान किया है. इसे देखते हुए देश में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं.
शेख हसीना का बयान न दिखाएं
इस बीच यूनुस सरकार की साइबर एजेंसी ने मीडिया को हिदायत भरे शब्दों में कहा है कि वे सजा पा चुकीं और अपराधी शेख हसीना के बयान को ना दिखाएं. बांग्लादेश की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसीने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए ख़तरे का हवाला देते हुए सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन समाचार माध्यमों से "दोषी और भगोड़ा शेख हसीना" के बयानों को प्रसारित करने से बचने का आग्रह किया है.
आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में एजेंसी ने कहा कि वह इस बात से "बेहद चिंतित" है कि कुछ मीडिया संगठन दोषी भगोड़े शेख हसीना के बयानों का प्रसारण या प्रकाशन कर रहे हैं. एनसीएसए के अनुसार, इन बयानों में ऐसे निर्देश या आह्वान शामिल हैं जो "हिंसा, अव्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों" को भड़का सकते हैं और साथ ही सामाजिक सद्भाव को भी बिगाड़ सकते हैं. इसलिए ऐसे बयानों को नहीं दिखाया जाना चाहिए.