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अमेरिका-चीन के बाद भारत और थाईलैंड के बीच इस चीज को लेकर मची होड़

सेमीकंडक्टर यानी माइक्रोचिप सेक्टर में अपनी बादशाहत कायम करने के लिए चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में भारत एक ऑप्शन के रूप में उभर कर सामने आया है और इस क्षेत्र में एक प्रमुख सप्लायर बनने के लिए हर अवसर की तलाश कर रहा है. इसी बीच थाईलैंड ने भी इस बाजार में कूदने का संकेत दिया है.

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान ओचा (फाइल फोटो-रॉयटर्स)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान ओचा (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका और चीन के बीच जारी चिप युद्ध के बीच भारत और थाईलैंड के बीच भी इस छोटी सी चीज के लिए होड़ मच गई है. माइक्रोचिप यानी सेमीकंडक्टर का बाजार लगातार ग्रो कर रहा है. क्रूड ऑयल, मोटर व्हीकल और उनके कल-पुर्जों और खाने वाले तेल के कारोबार के बाद सेमीकंडक्टर दुनिया में चौथा सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाला प्रोडक्ट है.

भारत उन देशों में शामिल है जो अमेरिका और चीन के बीच जारी चिप युद्ध के कारण चिप कंपनियों के बदलते रुख से अवगत है. ऐसे में भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक प्रमुख सप्लायर बनने के लिए हर संभव अवसर की तलाश कर रहा है. लेकिन इसी बीच थाईलैंड ने भी इस बाजार में आने का संकेत दिया है.  

जापानी न्यूज वेबसाइट 'निक्केई एशिया' ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, "एशिया रीजन में चिप मेकिंग के रूप में जगह बनाने के लिए भारत और थाईलैंड भी सेमीकंडक्टर- मैन्युफेक्चरिंग की होड़ में शामिल हो चुके हैं."

एशियाई चिप मार्केट में प्रमुख प्लेयर बनने की कोशिश

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जुलाई को गुजरात के गांधीनगर में 'सेमीकॉनइंडिया 2023' ('SemiconIndia 2023') नामक एक कार्यक्रम को संबोधित किया था, जहां उन्होंने वैश्विक चिप उद्योग में भारत की ओर से ऑफर की जा सकने वाली ताकत की बात की थी. संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से अधिक विश्वसनीय भागीदार कौन हो सकता है? 

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पीएम मोदी ने कहा था कि जैसे-जैसे भारत रिफॉर्म की ओर बढ़ेगा, देश में नए अवसर पैदा होंगे. सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश के लिए भारत एक महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट संवाहक (कंडक्टर) बन रहा है.

भारत सरकार के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, भारत सरकार ने 2021 में सेमीकंडक्टर्स और डिस्पले मैन्युफैक्चरिंग के विकास के लिए 76 हजार करोड़ रुपये के आउटले कार्यक्रम की मंजूरी दी थी. इसका मकसद उन कंपनियों को आकर्षक प्रोत्साहन सहायता प्रदान करना है जो सिलिकॉन सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कम्पाउंड सेमीकंडक्टर या सिलिकॉन फोटोनिक्स या सेंसर और सेमीकंडक्टर डिजाइन में काम करती हैं.

चिप उद्योग में एक प्रमुख प्लेयर बनने के लिए भारत किस तरह पूरी कोशिश कर रहा है, इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सरकार ने 14 जून 2023 को ही सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक के 22,316 करोड़ यानी 2.75 बिलियन डॉलर के प्रस्ताव की मंजूरी दे दी है. 

थाईलैंड भी चिप मार्केट में कूदा

थाईलैंड के निवेश बोर्ड के महासचिव के रूप में विदेशी निवेश नीति के प्रभारी नारिट थेर्डस्टीरासुकडी (Narit Therdsteerasukdi) ने कहा है कि सेमीकंडक्टर सबसे महत्वपूर्ण वस्तुओं में से एक है. साथ ही थाईलैंड सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में छूट को आगे बढ़ा दिया है, जिससे चिप कंपनियां को लाभ मिलेगा. एक अपस्ट्रीम कंपनी जो सप्लाई चेन का काम करती है, थाईलैंड सरकार ने उसे अगले 13 साल तक के लिए कॉर्पोरेट टैक्स से छूट दे दी है. जबकि पहले अधिकतम 8 साल तक छूट दी जाती थी. 

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निक्केई एशिया की रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि थाईलैंड उन कंपनियों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है, जो फ्रंट-एंड प्रोसेस का हिस्सा हो. यानी वैसी कंपनियां जो सेमीकंडक्टर और नक्काशी वेफर्स डिजाइनिंग क्षेत्र में काम कर रही हो. फ्रंट-एंड प्रक्रिया को बैक-एंड प्रक्रिया की तुलना में तकनीकी रूप से अधिक एडवांस माना जाता है. बैक-एंड प्रोसेस में डाइसिंग और पैकेजिंग शामिल हैं. 

इसके अलावा थाईलैंड एक स्थानीय उद्योग भी विकसित कर रहा है जिसके तहत इलेक्ट्रिक-वाहन असेंबली प्लांट्स और सप्लायर को साथ लाया जा रहा है. इलेक्ट्रिक वाहन में गैसोलीन-इंजन कारों की तुलना में अधिक सेमीकंडक्टर डिवाइस इस्तेमाल होने की उम्मीद है. ऐसे में स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग थाईलैंड को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आगे बढ़ने में मददगार साबित होगा. 

नारिट थेर्डस्टीरासुकडी का मानना है कि  चीन और अमेरिकी तनाव से अलग थाइलैंड को एक तटस्थ (neutral) देश के रूप में देखा जाता है. 

दुनिया में चौथा सबसे ज्यादा कारोबार होने वाला प्रोडक्ट

सेमीकंडक्टर बनाने के लिए जरूरी चीजों का उत्पादन सिर्फ एक देश में नहीं, बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग कंपनियों द्वारा होता है. चिप का डिजाइन अमेरिका में तैयार किया जाता है, मोटे तौर पर इसका उत्पादन ताइवान में होता है, जबकि असेंबलिंग और टेस्टिंग का काम चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया में किया जाता है. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेमीकंडक्टर दुनिया में चौथा सबसे ज्यादा कारोबार होने वाला वस्तु है. 

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