सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कभी दुश्मन देश रहे सीरिया के साथ अपने संबंधों को फिर से बहाल करने की घोषणा कर दी है. रविवार को खबर आई कि सऊदी अरब 12 सालों तक सीरिया के साथ अपने संबंधों को निलंबित रखने के बाद राजधानी दमिश्क में अपने राजदूत की नियुक्ति कर रहा है. संबंधों को सुधारने के मकसद से एक साल पहले ही सीरिया को अरब लीग में भी शामिल किया गया था.
सऊदी अरब की सरकारी न्यूज एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी ने 2012 के बाद से सीरिया में सऊदी के पहले राजदूत के रूप में फैसल अल-मुजफेल की नियुक्ति की घोषणा की है. सऊदी ने राजदूत की नियुक्ति की घोषणा 22 देशों के समूह अरब लीग में सीरिया के दोबारा शामिल होने के एक साल से अधिक समय बाद की है.
साल 2011 में सीरिया में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे जिसे राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने क्रूरता से दबा दिया था. इसके विरोध में सऊदी अरब ने सीरिया के साथ अपने संबंधों को निलंबित कर दिया था. सऊदी ने साल 2012 में सीरिया के साथ अपने संबंध तोड़े थे.
अब जबकि राजनयिक संबंध दोबारा बहाल हो गए हैं, सीरिया की सरकारी मीडिया या फिर अधिकारियों ने फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
14 सालों से गृहयुद्ध की चपेट में है सीरिया
सीरिया का विद्रोह समय के साथ गृहयुद्ध में बदल चुका है और 14 सालों बाद इस गृहयुद्ध ने पांच लाख लोगों की जान ले ली है. गृहयुद्ध के कारण 2.3 करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. युद्ध लंबे समय से काफी हद तक रुका हुआ है और इसे खत्म करने के लिए राजनीतिक समाधान तलाशे जा रहे हैं.
फरवरी 2023 में तुर्की और उत्तरी सीरिया विनाशकारी भूकंप की चपेट में आए. 7.8 तीव्रता के इस भूकंप ने दोनों देशों में भयंकर तबाही मचाई. भूकंप से सीरियाई लोगों की बदहाली को देखते हुए अरब देशों ने राष्ट्रपति असद के साथ अपने संबंधों को बहाल करने की कोशिशें शुरू कर दीं.
मार्च 2023 में, सऊदी अरब और ईरान बीजिंग (चीन की राजधानी) में बातचीत के बाद राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित करने पर सहमत हुए. यह समझौता दोनों देशों के बीच संघर्ष को कम करने के मकसद से एक बड़ी राजनयिक सफलता थी. सीरिया में असद सरकार और लेबनानी हिजबुल्लाह समूह के लिए ईरान एक प्रमुख राजनीतिक और सैन्य सहयोगी रहा है.
उधर, यमन में सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को बहाल करने की कोशिश में 2015 से ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ गठबंधन सेना का नेतृत्व किया है. यह संघर्ष हाल के वर्षों में सऊदी अरब और ईरान के बीच छद्म युद्ध में बदल गया हालांकि, अभी दोनों ही पक्षों ने संबंध बहाल कर लिए हैं जिसे लेकर फिलहाल इस मोर्चे पर शांति है.