रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर हैं और इस दौरे पर दुनिया भर की निगाहें हैं. खासकर अमेरिका की. जो इन दिनों यूक्रेन संकट सुलझाने के लिए रूस से बातचीत कर रहा है. इस दौरे से ठीक पहले पुतिन ने ‘आजतक’ को दिए अपने वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अमेरिका से चल रही बातचीत और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस युद्ध को खत्म करने के प्रयासों पर भी विस्तार से बात की.
कुश्नर और विटकॉफ के साथ मीटिंग में क्या हुआ
पुतिन ने जवाब दिया कि अभी इस बातचीत के मायने निकालना थोड़ी जल्दबाजी होगी. मुझे नहीं लगता आप वहां होते भी तो उस चर्चा को सुनकर आपको कुछ हासिल होता. ये बैठक पांच घंटे चली. मैं खुद इतनी लंबी बैठक से ऊब गया था पर ये बैठक जरूरी थी. जरा सोचिए इस पूरी बैठक में विटकॉफ और कुश्नर के साथ मैं अकेला था. लेकिन सच कहूं तो ये एक बेहद अहम बैठक थी. हालांकि इस बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का में हुई बैठक से पहले हुए समझौते और उससे जुड़े बिंदुओं पर ही बातचीत हुई. हां, इस बार हमने एक एक बिंदु पर सिलसिलेवार बातचीत की जो कुल मिला कर काफी सार्थक रहा.
कहां आगे नहीं बढ़ पाई बात?
रूसी राष्ट्रपति ने बताया कि कई मुद्दे रहे जिन्हें लेकर विरोधाभास था. ये एक बेहद पेचीदा विषय है जिसकी जिम्मेदारी राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद पर ली है. मैं इसे लेकर कटाक्ष नहीं कर रहा. मगर दोनों पक्षों को एकमत करना एक बहुत जटिल काम है. मैं मानता हूं कि राष्ट्रपति ट्रंप सचमुच इसका हल चाहते हैं और तभी हमने एक एक बिंदु पर सिलसिलेवार बात की. ऐसे हर मुद्दे पर जिसे लेकर हम सहमत या असहमत थे. फिलहाल अभी इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. वजह, इसका कुछ भी निष्कर्ष निकालना राष्ट्रपति ट्रंप की देखरेख में हो रही बातचीत में बाधा डाल सकता है. उनके कूटनीतिक प्रयास जारी हैं. उन्होंने पहले यूक्रेन के प्रतिनिधियों से बात की, इसके बाद वो यूरोप गए, फिर वो हमारे पास आए और इसके बाद वो यूरोपीय हितधारकों और यूक्रेन के प्रतिनिधियों से दोबारा बात करेंगे.
अलास्का में क्या हुआ?
अलास्का में पुतिन शांति समझौते को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप से मिले थे, वहां क्या हुआ था? क्या उससे कुछ हासिल हुआ? क्या सचमुच कोई स्पष्ट और ईमानदार इरादा दिखाई दिया? इसके जवाब में पुतिन ने बताया कि हां, बिलकुल ऐसा ही था. हमें एक एहसास था...बल्कि एहसास से भी ज़्यादा. मुझे कोई शक नहीं था कि ये राष्ट्रपति ट्रंप की एक सच्ची इच्छा है. खैर, आइए इस बारे में बात न करें कि इसका कारण क्या है, या किसने इस सच्ची इच्छा को प्रेरित किया, लेकिन ये निश्चित है कि वो अभी भी है.
ट्रंप के पास समझ है...
राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप, वास्तव में उनके पास ये समझ है कि ये सब क्यों खत्म होना चाहिए और जितना हो सके, उतनी जल्दी. इसी कड़ी में मानवीय मुद्दों की बात करें तो मेरा पूरा विश्वास है कि ये उन वजहों में से एक है, जिसके पीछे राष्ट्रपति ट्रंप का व्यवहार है. क्योंकि वह हमेशा कहते रहे हैं और मुझे यक़ीन है कि यह सच है कि वे नुकसान को कम से कम रखना चाहते हैं. मुझे यकीन है कि उनके मन में इसे लेकर मानवीय पहलू भी हैं, लेकिन इसके अलावा भी राजनीतिक और आर्थिक वजहें हैं. मुझे यकीन है कि अमेरिका कोई न कोई समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है.
क्या ट्रंप एक पीसमेकर हैं?
राष्ट्रपति ट्रंप कई बार ये दावा करते रहे हैं कि उन्होंने युद्ध खत्म किए. वैसे भारत के लिए निराशाजनक रहा जब उन्होंने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर सीजफायर कराया. अब वो रूस-यूक्रेन तो कभी इजरायल को देख रहे हैं. पुतिन इस बात पर ट्रंप का पक्ष लेते नजर आए, उन्होंने कहा कि यूक्रेन को लेकर तो निश्चित रूप से पीसमेकर हैं. मैं फिर से कह सकता हूं कि इसे लेकर मैं सकारात्मक हूं. मुझे कोई शक नहीं है कि वो पूरी ईमानदारी से एक शांतिपूर्ण समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं.
'पीस' के पीछे अमेरिका के पास आर्थिंक वजहें
पुतिन ने माना कि रूस यूक्रेन शत्रुता खत्म कराने के पीछे अमेरिका के अलग कारण हो सकते हैं. वो मानवीय कारण भी हो सकते हैं या राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तिगत मानवीय विचार भी हो सकते हैं. वास्तव में वो शत्रुता और जनहानि का अंत चाहते हैं. रूस और यूक्रेन के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए उनके राजनीतिक हित भी हो सकते हैं. वैसे आर्थिक कारण भी हैं. उदाहरण के लिए, ऊर्जा या अन्य क्षेत्रों में भी. कई ऐसे पहलू हैं जहां अमेरिका और रूस के बीच आर्थिक संबंधों की बहाली दोनों देशों यानी रूस और अमेरिका के लिए फायदे का सौदा हो सकता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध और वो चिट्ठियां...
राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि उन्होंने (ट्रंप) मुझे कुछ चिट्ठियां दिखाईं. ये वो पत्र थे जो कुछ प्रमुख अमेरिकी कंपनियों ने हमारे लिए लिखे थे. कंपनियों ने लिखा था कि अगर सभी मुद्दे खत्म हो जाएं तो वो वापसी के लिए तैयार हैं.
गौरतलब है कि ये साक्षात्कार ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था और कूटनीति को प्रभावित कर रहा है. पुतिन के बयानों से साफ है कि ट्रंप की पहल में मानवीय, राजनीतिक और आर्थिक आयाम जुड़े हैं, लेकिन अंतिम नतीजे अभी दूर हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ये वार्ताएं अगर सफल रहीं तो रूस-अमेरिका संबंधों में नई शुरुआत हो सकती है.