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इंडिया से अरब, फिर यूरोप... चीन के BRI प्रोजेक्ट की काट बनेगा भारत का IMEC? समंदर, सड़क और रेल बनेंगे ट्रेड के गेम चेंजर

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) को वर्ष 2013 में चीन द्वारा बेल्ट एंड रोड पहल-BRI के शुरू किए जाने के बाद से विश्व की सबसे साहसिक भू-आर्थिक पहल मानना गलत नहीं होगा. ये प्रोजेक्ट न सिर्फ विस्तारवादी चीन के मंसूबे को धराशायी कर देगा बल्कि इस पूरे क्षेत्र में व्यापार और सांस्कृतिक कनेक्टिविटी का पूरा परिदृश्य ही बदल देगा. सऊदी अरब की यात्रा पर निकले पीएम मोदी ने कहा कि यह गलियारा आने वाली सदियों के लिए सभी रूपों में कनेक्टिविटी के भविष्य को परिभाषित करेगा.

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भारत की IMEC पहल को चीन के BRI का जवाब बताया जा रहा है.
भारत की IMEC पहल को चीन के BRI का जवाब बताया जा रहा है.

स्थान- भारत के राष्ट्रपति भवन का प्रांगण, मेहमान थे- सऊदी अरब क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान. इस दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा- "मैं और पीएम मोदी भाई हैं. मोदी मेरे बड़े भाई हैं, मैं उनका छोटा भाई हूं, मैं उनकी बहुत प्रशंसा करता हूं." PM नरेंद्र मोदी को "बड़ा भाई" कहना भारत-सऊदी अरब संबंधों में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और भावनात्मक मील का पत्थर है. यह बयान दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत विश्वास, निजी केमिस्ट्री, वर्तमान मैत्री और सालों से चले आ रहे एतिहासिक जुड़ाव और लगाव को दर्शाता है.

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भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सऊदी अरब की महत्वपूर्ण भूमिका तो है ही. भारत ने सऊदी अरब के साथ मिलकर मिडिल ईस्ट से आगे यूरोप तक एक ऐसे आर्थिक गलियारे का निर्माण करने की साहसिक पहल की है जो न सिर्फ विस्तारवादी चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव (BRI) मंसूबे को धराशायी कर देगा बल्कि इस पूरे क्षेत्र में व्यापार और सांस्कृतिक कनेक्टिविटी का पूरा परिदृश्य ही बदल देगा. 

अपने पैमाने, दायरे, दबदबे और प्रभाव की वजह से India-Middle East–Europe Corridor-IMEC गेम-चेंजर सिद्ध हो सकता है. क्योंकि यह प्रोजेक्ट न सिर्फ ग्लोबल सप्लाई चेन, प्रोडक्शन नेटवर्क में दबदबा करने वाले देशों को एक कड़ी में जोड़ता है बल्कि चीनी की अत्यधिक महात्वाकांक्षी सप्लाई लाइन परियोजना BRI को भी चुनौती देता है. इस प्रोजेक्ट के जरिये भारत सीधे मध्य-पूर्व के जरिये यूरोप से जुड़ जाएगा.इस प्रोजेक्ट को नाम दिया गया है.  भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा- India-Middle East–Europe Corridor-IMEC (IMEC). 

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BRI के बाद सबसे साहसिक भू-आर्थिक पहल

IMEC को वर्ष 2013 में चीन द्वारा बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative- BRI) के अनावरण करने के बाद से विश्व की सबसे साहसिक भू-आर्थिक पहल मानना गलत नहीं होगा. इस प्रोजेक्ट को 9 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था. इस प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर करने वाले 8 देशों में शामिल हैं- भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ्रांस और जर्मनी.

पीएम मोदी की सऊदी अरब यात्रा के दौरान इस प्रोजेक्ट को बड़ा पुश मिलने की उम्मीद है. पीएम नरेंद्र मोदी दो दिनों की सऊदी यात्रा पर 22 अप्रैल को सऊदी अरब पहुंच चुके हैं. 

सऊदी अरब के दौरे पर रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने गल्फ के अखबार अरब न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि यह परियोजना “संपूर्ण क्षेत्र में वाणिज्य, संपर्क और विकास का एक प्रमुख उत्प्रेरक होगी.”

सदियों के लिए कनेक्टिविटी के भविष्य को परिभाषित करेगा IMEC

अरब न्यूज की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा गया कि IMEC के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत सऊदी अरब के साथ किस प्रकार काम कर रहा है?

इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि, 'यह गलियारा आने वाली सदियों के लिए सभी रूपों में कनेक्टिविटी के भविष्य को परिभाषित करेगा. यह पूरे क्षेत्र में वाणिज्य, कनेक्टिविटी और विकास का प्रमुख उत्प्रेरक बन जाएगा. यह गलियारा सभी रूपों में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा, चाहे वह भौतिक हो या डिजिटल. 

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पीएम मोदी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट लचीली और भरोसेमंद सप्लाई चेन के विकास की सुविधा प्रदान करेगा, व्यापार सुलभता बढ़ाएगा और बिजनेस फैसिलिटी में सुधार करेगा. यह गलियारा दक्षता बढ़ाएगा, लागत कम करेगा, आर्थिक एकता को बढ़ाएगा, रोजगार पैदा करेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा, जिसके परिणामस्वरूप एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का परिवर्तनकारी एकीकरण होगा. 

नरेंद्र मोदी का मानना है कि इस गलियारे की सफलता में भारत और सऊदी अरब दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. पीएम मोदी ने कहा कि हम मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी, डेटा कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिकल ग्रिड कनेक्टिविटी सहित कनेक्टिविटी के विजन को साकार करने के लिए अपने सऊदी भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

क्या करेगा IMEC

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा  (IMEC) क्या करेगा इसे समझिए. 

IMEC एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है जो समंदर, रेल और सड़क के जरिये भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ेगा. इसके माध्यम से महादेशों के बीच व्यापार, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी स्थापित की जा सकेगी.

IMEC में दो गलियारे होंगे. पूर्वी गलियारा- ये भारत को अरब खाड़ी (UAE और सऊदी अरब) से जोड़ता है, जिसमें भारतीय बंदरगाह जैसे मुंद्रा, कांडला और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट शामिल हैं. ये समुद्री मार्ग होगा. 

उत्तरी गलियारा: अरब खाड़ी को यूरोप (ग्रीस, इटली और फ्रांस) से जोड़ता है, जिसमें रेलवे लाइन UAE के फुजैराह बंदरगाह से इजराइल के हाइफा बंदरगाह तक सऊदी अरब और जॉर्डन के माध्यम से जाती है. ये सड़क मार्ग होगा. 

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सबसे अहम यह है कि इस गलियारे का इस्तेमाल करते हुए भारत समेत दूसरे दूसरे देश स्वेज नहर का इस्तेमाल किए बिना यूरोप तक पहुंच सकेंगे.

इसमें रेलमार्ग, शिप-टू-रेल नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे जो दो गलियारों—पूर्वी (East corridor) और उत्तरी (North corridor) के बीच फैले होंगे. पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ेगा, जबकि उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा. IMEC रेल एवं शिपिंग विकल्पों के अलावा बिजली और ऊर्जा (गैस एवं हाइड्रोजन) पाइपलाइन कनेक्टिविटी का विकल्प भी प्रदान करेगा. बिजनेस का ये रास्ता व्यापार को 40 फीसदी तेज और 30 फीसदी सस्ता कर देगा. 

पीएम मोदी की चर्चा के संभावित बिंदू

ये प्रोजेक्ट साझेदार देशों में बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए 2027 तक 600 बिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखता है. पीएम मोदी और सऊदी नेतृत्व के बीच इस प्रोजेक्ट के आर्थिक, इंजीनियर समेत इन्हीं अन्य चुनौतियों पर बात होगी. 

चर्चा का केंद्र IMEC को लागू करने के लिए सऊदी अरब की प्रतिबद्धता को मजबूत करना होगा. सऊदी अरब ने पहले ही $20 बिलियन के निवेश की घोषणा की है, मुख्य रूप से रेल नेटवर्क के लिए. रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए सऊदी अरब के डम्मम और रास अल खैर बंदरगाहों को IMEC के प्रमुख नोड्स के रूप में विकसित किया जा सकता है. 

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इसके अलावा पीएम के एजेंडे में क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना भी अहम होगा क्योंकि ये IMEC की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी फिलीस्तीन मसले के शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश करेंगे. खासकर इजराइल-सऊदी संबंधों को सामान्य करने के लिए कूटनीतिक प्रयास भी जरूरी है तभी IMEC पर भारत बात आगे बढ़ा सकता है.

बता दें कि यह गलियारा जॉर्डन और इजरायल से होकर गुरेगा, जो लंबे समय से भू-राजनीतिक चुनौतियों जैसे युद्ध, राजनीतिक गोलबंदी का सामना कर रहे हैं. इस परियोजना की सफलता के लिए जरूरी है कि भारत और सऊदी अरब एक सधी हुई आर्थिक एवं कूटनीतिक चाल चलें. 

चीन के BRI पर ब्रेक

IMEC को चीन के BRI का जवाब माना जा रहा है. लिहाजा दोनों के बीच प्रतियोगिता को नकारा नहीं जा सकता है. क्योंकि दोनों ही प्रोजेक्ट के प्राथमिक उद्देश्य एकसमान हैं. लेकिन अगर चीन की विस्तारवादी नीति और कर्ज देकर घेरने की नीति पर नजर डालें तो IMEC कही ज्यादा विश्वसनीय, पारदर्शी और व्यापार के लिए सहज और भरोसेमंद विकल्प लगता है.

 IMEC को डिजाइन करते समय किसी भी देश की संप्रभुता पर अतिक्रमण की नीति पर दूर दूर तक सोचा भी नहीं किया गया. इस प्रोजेक्ट में राष्ट्रों की संप्रभुता का सम्मान मूल है. BRI को चीन ने अपनी प्राथमिकता और अपने हितों के लिए डिजाइन किया और वह इसी उद्देश्य के साथ इस पर आगे बढ़ रहा है. लेकिन IMEC साझा लाभ के फलसफे पर आधारित है. 

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लिहाजा भारत-सऊदी अरब का IMEC चीनी महात्वाकांक्षा और कम्युनिस्ट विस्तार के प्रतीक BRI के बरक्श व्यापार का आकर्षक विकल्प पेश करता है. 

भारत के लिए क्या फायदा है

ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर एक उभरती हुई शक्ति के रूप में IMEC वो प्रोजेक्ट है जहां अपने तकनीकी कौशल और दूरदर्शी दृष्टिकोण के जरिये भारत अपने अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सकता है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले साल कहा था कि "भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक महत्वपूर्ण पहल है, जो भारत की समुद्री सुरक्षा और यूरोप और एशिया के बीच माल की तेज आवाजाही में योगदान दे सकती है."

IMEC के पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाने से भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत होने के साथ-साथ यूरोप और एशिया के बीच माल की आवाजाही में तेजी 
आएगी. उदाहरण के लिए, मुंबई से ग्रीस के पिराईस बंदरगाह तक माल भेजने में लगभग 15 से 16 दिन लगते हैं. IMEC के जरिये इस समय को घटाकर 10 से 11 दिन किया जा सकता है, जिससे 5 से 6 दिनों की बचत होगी. 

यह पहल न केवल भारत की शिपिंग क्षमताओं और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को बढ़ाती है, बल्कि चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के लिए एक रणनीतिक जवाबी उपाय के रूप में भी काम करती है. 

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IMEC भारत के लिए एक रणनीतिक और व्यापारिक अवसर है, जो इसे यूरोप और मध्य पूर्व के साथ जोड़कर वैश्विक व्यापार और भू राजनीति में भारत के दम और दखल को मजबूत करता है. PM मोदी की सऊदी अरब यात्रा IMEC को धरातल पर उतारने, सऊदी निवेश को सुरक्षित करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगी.
 

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