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दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना लाहौर, पंजाब सरकार कराएगी आर्टिफिशियल रेन

पाकिस्तान के सांस्कृतिक शहर लाहौर को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, AQI 394 तक पहुंच चुका है. पंजाब सरकार ने धुआं कम करने के लिए आर्टिफिशियल वर्षा की योजना बनाई है. हैरानी की बात है कि यहां की मुख्यमंत्री ने भारत को इसका जिम्मेदार ठहराया है.

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लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर
लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर

पाकिस्तान के पंजाब के शहर लाहौर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, जहां AQI 394 तक पहुंच चुका है. पूरे शहर में धुंध छाया हुआ है और हालात ऐसे हैं कि हर तरफ-तरफ धुआं-धुआं सा लग रहा है. एक्यूआई की इस रिपोर्ट पर चर्चा के बीच पंजाब सरकार ने धुआं कम करने के लिए आर्टिफिशियल वर्षा की योजना बनाई है. हैरानी की बात है कि यहां की मुख्यमंत्री ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है.

पाकिस्तान के पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने इस महीने की शुरुआत में भारत के साथ "क्लाइमेट डिप्लोमेसी" की पहल करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि भारत के पंजाब में जलाई जाने वाली पराली का प्रभाव सीमा पार भी पड़ता है. उन्होंने कहा, "इस मुद्दे को भारत के साथ तत्काल उठाया जाना चाहिए." हालांकि, खबर लिखे जाने तक भारत की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. 

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लोगों को हो रही स्वास्थ्य समस्याएं

AQI प्रदूषण के विभिन्न स्तरों को बताता है और 100 से ऊपर का AQI स्वास्थ्य के लिए हानिकारकर माना जाता है, और 150 से ऊपर "बहुत हानिकारक" की श्रेणनी में होता है. आमतौर पर खेतों में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता तेजी से खराब होती है. खतरनाक धुंध की वजह से स्थानीय लोगों को खांसी, सांस संबंधी समस्याएं, आंखों में जलन जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं.

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'एंटी-स्मॉग स्क्वाड' का गठन

इस मामले पर बात करते हुए पंजाब की सूचना मंत्री अजमा बोखारी ने बताया कि सरकार ने इस मुद्दे का हल निकालने के लिए कई उपाय किए हैं और अब शहर में आर्टिफिशियल वर्षा की योजना बनाई गई है. मरियम नवाज के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने 'एंटी-स्मॉग स्क्वाड' का गठन किया है, जो धुंध प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा. ये स्क्वाड किसानों को पराली जलाने के खतरों के बारे में जागरूक करेंगे, सुपर सीडर्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे, और पराली से निपटने के वैकल्पिक तरीकों को पेश करेंगे. 

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पंजाब की वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि धुंध से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के सकारात्मक प्रभाव 8 से 10 वर्षों में दिखने शुरू होंगे. पर्यावरण संरक्षण को इस प्रांत के सिलेबस में शामिल किया गया है और उन्होंने इसे धुंध से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने पर जोर दिया है.

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