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दिल्ली की हवा में घुलने लगा जहर! नहीं कम हो रहे पराली जलाने के मामले, लगातार बढ़ रहा AQI

पर्यावरणीय पूर्वानुमानों के मुताबिक, आने वाले दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता और खराब होने वाली है, क्योंकि पराली जलाने की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही है. इसकी वजह से 22 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2024 तक दिल्ली की हवा "बहुत खराब" श्रेणी में बनी रहेगी.

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Air Pollution in Delhi
Air Pollution in Delhi

अक्टूबर के महीने में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का खतरा मंडराने लगता है, क्योंकि इसी समय पंजाब, हरियाणा और यूपी में पराली जलाई जाती है, जिसकी वजह से दिल्ली में वायु प्रदूषण होता है. पर्यावरणीय पूर्वानुमानों के मुताबिक, आने वाले दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता और खराब होने वाली है, क्योंकि पराली जलाने की मात्रा में और वृद्धि होने वाली है. 

दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट आने का अनुमान है, जो 22 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2024 तक "बहुत खराब" श्रेणी में बनी रहेगी. पर्यावरणीय पूर्वानुमानों के अनुसार, बाद के दिनों में कोई सुधार नहीं देखा जाएगा, क्योंकि वायु गुणवत्ता के उसी श्रेणी में बने रहने का अनुमान है या प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण स्थिति और भी खराब हो सकती है. 

पराली बनी दुश्मन

प्रदूषण को बढ़ाने वाला एक मुख्य कारक रात के समय देखी जाने वाली शांत हवा की स्थिति है, जो प्रदूषकों के फैलाव में बाधा डालती है. पूर्वानुमानित अवधि में साफ आसमान के नीचे, मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाओं से आने वाली हवा की गति हल्की होने की उम्मीद है, जिसकी गति 6-14 किमी/घंटा के बीच होगी. वहीं 23 अक्टूबर को सुबह के समय हवा की गति शांत रहने की उम्मीद है, जिससे वायु प्रदूषकों का ठहराव और सांद्रता बढ़ेगी. 

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दरअसल, वायु प्रदूषण के कारकों में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और खासतौर से दिल्ली के अपने क्षेत्र में कचरा जलाने से होने वाले उत्सर्जन भी शामिल हैं. इन उत्सर्जनों से वायु की गुणवत्ता में गिरावट आने की संभावना है, जिससे पहले से ही गंभीर स्थिति और भी खराब हो सकती है. 

बता दें कि अधिकतम मिश्रण गहराई और वेंटिलेशन इंडेक्स जैसे वायुमंडलीय फैलाव पैरामीटर प्रदूषण परिदृश्य में और जानकारी प्रदान करते हैं. अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 21 अक्टूबर को 3050 मीटर से घटकर 24 अक्टूबर को 1400 मीटर हो गई है, जो वायु प्रदूषकों के ऊर्ध्वाधर मिश्रण की कम क्षमता को दर्शाता है. इस बीच वेंटिलेशन इंडेक्स में उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन लगातार खराब वेंटिलेशन परिदृश्य को दर्शाता है, जो विशिष्ट दिनों में 6000 m²/s की महत्वपूर्ण सीमा से नीचे गिर जाता है, जिससे लगातार खराब वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमान की आशंका जताई जा रही है. 

कैसे मापी जाती है एयर क्वालिटी?

अगर किसी क्षेत्र का AQI जीरो से 50 के बीच है तो AQI ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 AQI होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’माना जाता है, अगर किसी जगह का AQI 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का AQI ‘खराब’ माना जाता है. अगर AQI 301 से 400 के बीच हो तो ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI होने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

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