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पाकिस्तान और रूस के बीच हुई बड़ी डील, भारत की बढ़ेगी टेंशन

रूस और पाकिस्तान के बीच एक बड़ी डील हुई है. ये डील कराची से लाहौर के बीच बनाई जा रही एक गैस-पाइपलाइन के लिए हुई है. कराची के पोर्ट कासिम से लेकर लाहौर तक एक 1100 किमी की गैस पाइपलाइन बनाई जा रही है. जिसकी कीमत 2.5-3 अरब डॉलर तक आंकी गई है. इस गैस-पाइपलाइन प्रोजेक्ट के साल 2023 तक पूरे होने की संभावना है.

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रूस और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा समझौता
रूस और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा समझौता
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियां
  • कराची-लाहौर के बीच 1 हजार km से बड़ी गैस पाइपलाइन
  • 2.5-3 अरब डॉलर तक आएगा खर्चा

भारत-पाकिस्तान के बीच की प्रतिद्वंदिता और रूस के साथ भारत की दोस्ती जगजाहिर है. लेकिन बीते वर्षों में जिस तरह भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ बढ़ा है, उसी गति में रूस और पाकिस्तान के संबंधों में भी नजदीकी देखने को मिल रही है.

रूस अब पाकिस्तान के साथ सैन्य संबंधों के साथ-साथ आर्थिक विकास के पहलुओं पर भी समझौते कर रहा है जो भारत की दृष्टि से बहुत अच्छी खबर नहीं है. ऐसी ही एक डील रूस और पाकिस्तान के बीच हुई है. ये डील कराची से लाहौर के बीच बनाई जा रही एक गैस-पाइपलाइन के लिए हुई है. कराची के पोर्ट कासिम (Port Qasim) से लेकर लाहौर तक 1100 किमी की एक गैस पाइपलाइन बनाई जा रही है. इसकी लागत 2.5-3 अरब डॉलर तक आंकी गई है. इस गैस-पाइपलाइन प्रोजेक्ट के साल 2023 तक पूरे होने की संभावना है.

अफगानिस्तान में तालिबान पर भारत और रूस में क्या बात हुई?

कराची-लाहौर गैस-पाइपलाइन को लेकर रूस और पाकिस्तान ने हेड्स ऑफ टर्म्स (Heads of Terms) समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. हेड्स ऑफ टर्म्स समझौते दरअसल लीगली बाउंड नहीं होते, ये लैटर ऑफ इंटेंट की तरह ही होते हैं यानी ये समझौते किसी प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने की इच्छा प्रदर्शित करने वाले होते हैं. हालांकि, ये समझौते भी कानूनी रूप से बाध्य हो सकते हैं अगर इसकी भाषा इस तरह का कमिटमेंट देती हो कि अमुक समझौता बाध्य होगा.

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रूस को साझेदारी से हटने का भी है ऑप्शन 

पाकिस्तान और रूस इस प्रोजेक्ट के स्पेशल प्रोजेक्ट व्हीकल (special purpose vehicle) में क्रमशः 74:26 प्रतिशत की साझेदारी के लिए सहमत हुए हैं. इसके अलावा रूस को 'put option' और 'call option' की सुविधा दी गई है यानी रूस इस प्रोजेक्ट के बीच से हट भी सकता है और इस प्रोजेक्ट में अपने शेयर बढ़ा भी सकता है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि रूस को ये प्रोजेक्ट अपने लिए फायदेमंद लगता है कि नहीं. हालांकि, समझौते में ये स्पष्ट रखा गया है कि बहुसंख्यक शेयर (majority shareholding) पाकिस्तान के पास ही रहेंगे. यानी इस प्रोजेक्ट में रूस केवल 49 प्रतिशत तक की ही साझेदारी पा सकता है.

रूस और पाकिस्तान की बढ़ती करीबी

रूस और पाकिस्तान के बीच हुए इस समझौते में पाकिस्तान की तरफ से पेट्रोलियम डिविजन सेक्रेटरी डॉ.अरशद महमूद (Dr Arshad Mahmood) रहे और रूस की तरफ से रूसी ऊर्जा मंत्रालय के विदेशी आर्थिक सहयोग और ईंधन बाजार विकास विभाग के उप निदेशक एलेक्ज़ेंडर तोलपरोव (Alexander Tolparov) मौजूद रहे. वहीं रूस और पाकिस्तानी टीम को कानूनी सहायता देने के लिए क्रमशः M/O ऑर्डिग्नम के जहीर रियाज और लिंकन लॉ चैंबर के बैरिस्टर असगर खान रहे.

दोनों देशों ने पाकस्ट्रीम गैस पाइपलाइन परियोजना के कार्यान्वयन के लिए रूस-पाकिस्तान संयुक्त तकनीकी समिति (Russia-Pakistan Joint Technical Committee) की तीसरी मीटिंग की रिपोर्ट (minutes) पर भी हस्ताक्षर किए. इस परियोजना को नॉर्थ-साउथ गैस प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है.

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