विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति को लेकर भारत ने चिंता जाहिर की है. अफगानिस्तान में तेजी से बढ़ रही हिंसा पर चिंता जताते हुए भारत ने शुक्रवार को कहा कि युद्धग्रस्त देश पर किसका शासन होना चाहिए, इसका वैधता पहलू महत्वपूर्ण है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. भारत ने अफगानिस्तान में हिंसा को तत्काल रोकने का आह्वान किया है.
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रूस के दौरे पर मॉस्को पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा, 'हमारा जोर हिंसा रोकने पर है. अफगानिस्तान में हालात का समाधान हिंसा नहीं हो सकती. आखिर में अफगानिस्तान पर कौन शासन करता है यह इसका वैध पहलू है. मुझे लगता है कि इसे नजरअंदाज नहीं किए जाना चाहिए.'
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'बेशक हम अफगानिस्तान की स्थिति से चिंतित हैं.'
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भारतीय विदेश मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय सामने आई है जब अफगानिस्तान से अमेरिकी और अन्य सहयोगी देशों के सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान ने कई जिलों पर कब्जा जमा लिया है. बताया जा रहा है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के एक तिहाई जिलों और जिला केंद्रों पर कब्जा कर लिया है. उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा बढ़ने के बाद कई देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए हैं.
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एस. जयशंकर ने कहा, 'तीस वर्ष से ज्यादा समय से अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने पर चर्चा के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुए, समूह बने, कई रूपरेखा पेश की गईं. अगर हम अफगानिस्तान और उसके आसपास शांति चाहते हैं तो भारत और रूस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करें कि आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में प्रगति बरकरार रखी जाए. हम एक स्वतंत्र, सम्प्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
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भारत, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की प्रक्रिया का स्टेकहोल्डर है. भारत अफगानिस्तान में राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है जो अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित है.
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तालिबान के साथ एक समझौते के तहत, अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी आतंकियों से शांति की प्रतिबद्धता के बदले में सैनिकों की वापसी पर सहमत हुए थे. युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति लाने और अमेरिकी सैनिकी की स्वदेश वापसी के लिए कई दौर की बातचीत के बाद अमेरिका और तालिबान ने 29 फरवरी, 2020 को दोहा में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
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अमेरिका की तरफ से तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत अफगानिस्तान की स्थिति पर नजर रखे हुए है. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान के साथ 20 वर्षों से जारी अमेरिकी जंग खत्म हो जाएगी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन 31 अगस्त तक समाप्त हो जाएगा.
भारत ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के विकास के लिए समर्थन देने को प्रतिबद्ध है. सभी 34 प्रांतों को कवर करने वाली 550 से अधिक सामुदायिक विकास परियोजनाओं सहित 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की भारत की विकास साझेदारी का मकसद अफगानिस्तान को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना है.
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भारत-रूस संबंधः रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव संग बैठक के बाद जयशंकर ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. विदेश मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर आर्थिक साझेदारी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी की हमारी भावना बहुत सकारात्मक है. यह बहुत अच्छी चर्चा थी. विदेश मंत्री ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि हमारी दुनिया में बहुत सी चीजें बदल रही हैं. कुछ पहले से तो कुछ कोरोना के चलते बदली हैं. मगर इसके बावजूद भारत और रूस के संबंध बहुत मजबूत बने हुए हैं. रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं.
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जयशंकर ने कहा, अगर हमें अफगानिस्तान और उसके आसपास शांति चाहिए तो भारत और रूस के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आर्थिक, सामाजिक प्रगति बनी रहे. हम एक स्वतंत्र, संप्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के लिए प्रतिबद्ध हैं.
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रूस में विदेश मंत्री ने कहा, अफगानिस्तान की स्थिति ने हमारा बहुत ध्यान खींचा क्योंकि इसका क्षेत्रीय सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ता है. हम मानते हैं कि आज की तत्काल आवश्यकता वास्तव में हिंसा में कमी है.
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भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं कोविड की दूसरी लहर के दौरान रूस से मिले समर्थन के लिए उनकी तारीफ करता हूं. अब भारत स्पुतनिक वी वैक्सीन के उत्पादन और उपयोग में रूस का भागीदार बन गया है. और हम मानते हैं कि यह न केवल हम में से दो के लिए अच्छा है बल्कि शेष विश्व के लिए इसके सकारात्मक प्रभाव होंगे.'
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