नेपाल में इन दिनों स्टडी टूर पर आए पाकिस्तान सेना के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा को लेकर संसद में बहस छिड़ गई है. यह प्रतिनिधिमंडल छह दिनों के दौरे पर नेपाल में है. एक निर्दलीय सांसद ने इस यात्रा पर सवाल उठाए.
'क्या संदेश देना चाहती है नेपाल सरकार?'
निर्दलीय सांसद अमरेश कुमार सिंह ने मंगलवार को संसद में इस मुद्दे को उठाया और इस दौरे पर आपत्ति जताई. सांसद ने सवाल किया, 'नेपाल सरकार पाकिस्तान सेना को बुलाकर आखिर किस प्रकार का संदेश देना चाहती है?'
उन्होंने संसद में शून्यकाल के दौरान कहा, 'पाकिस्तानी सेना का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को नेपाल सरकार के निमंत्रण पर नेपाल आया है, जबकि इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और कभी भी युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है.'
भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इसका बड़ा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलने लगा है. परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान का खजाना युद्ध से पहले ही लगातार खाली होता जा रहा है. पहलगाम हमले के बाद भारत ने सख्त एक्शन दिखाते हुए पाकिस्तान को युद्ध से पहले ही थकाने और कंगाल बना देने की रणनीति अपनाई है.
कंगाली में पाकिस्तान का आटा गीला
सिंधु जल समझौता रद्द करने से लेकर ट्रेड बंद होने तक पाकिस्तान पर पहले ही वॉटर स्ट्राइक और फाइनेंशियल स्ट्राइक कर दी गई है. दरअसल, इस रणनीति का ये असर हुआ है कि लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सिर्फ अलर्ट रहने के लिए ही हर रोज करीब 4 अरब पाकिस्तानी रुपये फूंकने पड़ रहे हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीमा पर फौज की तैनाती, विमानों का तेल, सरहद पर साजो-सामान भेजने पर हर दिन पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार करीब 13 मिलियन डॉलर (लगभग 4 अरब PKR) खर्च करने को मजबूर है.