इजरायल और हमास की जंग शुरू हुए 20 से अधिक दिन हो गए हैं. दोनों तरफ से जंग में भारी तबाही हुई है. दुनिया दो खेमों में बंट चुकी है. अमेरिका खुले तौर पर इस जंग में हमास के खिलाफ इजरायल का समर्थन कर रहा है. ऐसे में ईरान ने एक बार फिर अमेरिका को चेतावनी दी है.
ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लहानिया ने कहा है कि अगर इजरायली सरकार गाजा में फिलिस्तीनियों के नरसंहार को जारी रखेगी तो इसकी आग से अमेरिका भी नहीं बचेगा.
उन्होंने कहा कि मैं अमेरिकी सरकार से कहना चाहता हूं जो फिलिस्तीन में नरसंहार की देखरेख कर रहे हैं. हम क्षेत्र में युद्ध नहीं चाहते लेकिन अगर गाजा में नरसंहार जारी रहा तो अमेरिका भी इस आग से नहीं बचेगा. अमेरिका शांति और सुरक्षा के लिए काम करें ना कि लोगों को जंग की आग में झोंकने के लिए.
उन्होंने कहा कि गाजा पर हमले के लिए रॉकेट, टैंक और बम भेजने के बजाए अमेरिका को इस नरसंहार का समर्थन करना बंद कर देना चाहिए. अमेरिका तीन हफ्ते से भी कम समय में 7000 से अधिक नागरिकों की हत्या का तमाशा देख रहा है. व्हाइट हाउस पूरी तरह से इजरायली सरकार का आर्थिक और राजनीतिक रूप से समर्थन कर रहा है. अमीर ने यह बयान गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक के दौरान दिया.
बता दें कि इस जंग में इजरायल के खिलाफ बयानबाजी को लेकर इससे पहले अमेरिका ने भी ईरान को धमकी दी थी. अमेरिका के विदेश मंत्री ने एंटनी ब्लिंकन ने सख्त लहजे में कहा था कि हम ईरान से जंग नहीं चाहते, लेकिन अगर ईरान या उसके नुमाइंदे कहीं भी अमेरिकी कर्मचारियों पर हमला करते हैं तो हमें (अमेरिका) अपने लोगों की रक्षा करना आता है.
उन्होंने कहा था कि हम अपने चैनलों के जरिए लगातार ईरान के अधिकारियों से कह चुके हैं कि ईरान के साथ अमेरिका किसी तरह की लड़ाई नहीं बढ़ाना चाहता है. लेकिन अगर ईरान कोई गलती करता है तो हम अपने लोगों की सुरक्षा करेंगे.
पहले अमेरिका भेज चुका है सैन्य जहाज
सात अक्टूबर को हमास के इजरायल पर आतंकी हमला करने के बाद से लेकर अब तक अमेरिका इजरायल के पीछे ढाल बनकर खड़ा है. दरअसल, हमास के हमले के बाद जब इजरायल ने गाजा में ताबड़तोड़ बमबारी शुरू की थी, तब ईरान ने भी इस जंग में कूदने की चेतावनी दे डाली थी. ईरान की इन धमकियों के बाद अमेरिका के यहूदी नेताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक मीटिंग की थी. इस बैठक में बाइडेन ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा था कि इजरायल के करीब भेजे गए अमेरिकी विमानों और सैन्य जहाजों की तैनाती को ईरान के लिए एक संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए.