इजरायल के साथ जंग रुकते ही ईरान की संसद ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के साथ सहयोग रोकने से जुड़े एक अहम विधेयक को मंजूरी दे दी. ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी बमबारी के बाद यह कदम उठाया गया है. ऐसे में सवाल है कि क्या अब बिना किसी निगरानी के ईरानी का परमाणु कार्यक्रम बेकाबू हो जाएगा. इजरायल और अमेरिका किसी भी कीमत पर तेहरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना चाहते हैं और इसी वजह से उसकी न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया था.
ठिकानों की जांच अब आसान नहीं
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बिल को कानून बनने के ईरान की गैर-निर्वाचित संरक्षक परिषद की मंजूरी की जरूरत होगी. इसमें यह प्रावधान है कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की ओर से किए जाने वाले किसी भी निरीक्षण के लिए सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मंजूरी लेनी होगी. सरकारी मीडिया ने संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कलीबाफ के हवाले से कहा कि ईरान अपने असैन्य परमाणु कार्यक्रम में अब तेजी लाएगा.
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तेहरान ने परमाणु हथियार बनाने की बात से हमेशा इनकार किया है और कहा है कि इस महीने IAEA के एक प्रस्ताव में ईरान को उसके अप्रसार दायित्वों का उल्लंघन करने वाला बताया गया है, जिससे इजरायल के हमले आसान हो गए. कलीबाफ के हवाले से कहा गया कि आईएईए ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की निंदा करने से भी इनकार कर दिया है और अपनी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को दांव पर लगा दिया है.
सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए
उन्होंने कहा, 'इस कारण से अब ईरान का परमाणु ऊर्जा संगठन, न्यूक्लियर फैसिलिटी की सुरक्षा की गारंटी न मिलने तक एजेंसी के साथ अपने सहयोग को रोक कर देगा और देश के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाएगा.' संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने इस सप्ताह विधेयक की रूपरेखा को मंजूरी दे दी और समिति के प्रवक्ता ने कहा कि विधेयक निगरानी कैमरे लगाने, निरीक्षण करने और IAEA को रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगा देगा.
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आईएईए ने ईरानी संसद की ओर से विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की. आईएईए प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने बुधवार को कहा कि वह ईरानी ठिकानों पर निरीक्षकों की वापसी की मांग कर रहे हैं, जिसमें वे प्लांट भी शामिल हैं, जहां 13 जून को इजरायली हमले से पहले तक ईरानी यूरेनियम का एनरिचमेंट कर रहे थे.
अमेरिका ने ठिकानों पर की बमबारी
इजरायली हमलों और अंडरग्राउंड ईरानी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी बमबारी के दौरान साइट को हुए नुकसान के बारे में अब तक कोई साफ जानकारी नहीं है. विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस सप्ताह कहा, 'मुझे लगता है कि हमारे परमाणु कार्यक्रम और अप्रसार व्यवस्था पर हमारे विचारों में बदलाव आएगा, लेकिन यह कहना संभव नहीं है कि यह किस दिशा में जाएगा.'
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अमेरिका ने पिछले दिनों ईरान की तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर भीषण बमबारी की थी. अमेरिका का दावा है कि इन हमलों में साइट पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं. लेकिन दूसरी ओर ईरान का कहना है कि हमले से पहले ही ज्यादातर न्यूक्लियर मैटेरियल सीक्रेट साइट पर ट्रांसफर कर दिया गया था और सिर्फ मामूली नुकसान हुआ है. कुछ सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात के साफ संकेत भी मिले हैं.
न्यूक्लियर वॉचडॉग कही जाने वाली परमाणु ऊर्जा एजेंसी से अगर ईरान सहयोग खत्म करता है तो इसका मतलब अब वह अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम के साथ आगे क्या करेगा और कैसे करेगा, इस बात की कोई भी जानकारी और डेटा एजेंसी को नहीं दिया जाएगा. साथ ही एजेंसी की ओर से विजिट करने वाले ऑब्जर्वर्स अब ईरान की न्यूक्लियर साइट का दौरा नहीं कर पाएंगे. पहले ही यह जानकारी थी कि ईरान ने 70-80 फीसदी तक यूरेनियम एनरिच कर लिया है जो कि परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी 90 फीसदी स्तर के काफी करीब है.