
ईरान और इजरायल के बीच 12 बाद आखिरकार जंग थम चुकी है. जंग में अमेरिका की एंट्री ने इसे ज्यादा घातक बना दिया था, जब बंकर बस्टर बमों ने ईरानी के तीन अहम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर का ऐलान कर दिया और चेतावनी भी दी कि कोई भी पक्ष इसका उल्लंघन न करे. लेकिन ईरान की तरफ से जिस परमाणु खतरे को लेकर जंग की शुरुआत हुई थी, क्या वह खतरा अब पूरी तरह खत्म हो चुका है.
जंग के बाद उठे अहम सवाल
क्या ईरान-इजरायल की जंग अमेरिका ने फिक्स की थी? क्या अमेरिका का टारगेट ईरान के 3 परमाणु ठिकाने थे? क्या न्यूक्लियर डील में नाकाम अमेरिका ने लिमिटेड जंग कराई? क्या ईरान की परमाणु क्षमता अब खत्म हो गई? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब सीजफायर के बाद जरूर खोजे जाएंगे. आखिर 12 दिन तक चली इस जंग का मकसद क्या था और क्या उसे हासिल कर लिया गया है. जंग में ईरान से लेकर इजरायल तक सैकड़ों टन गोला-बारूद फूंकने के बाद क्या इजरायल को ईरान से पैदा हुआ एटमी खतरा खत्म हो गया?
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इजरायल पर सीजफायर के ठीक पहले तक किये गए प्रहार और उसमें गई चार लोगों की जान से क्या ईरान का बदला पूरा हो गया है. जंग में ईरान के एक हजार से ज्यादा नागरिकों की जान चली गई. उसके टॉप सैन्य कमांडर्स से लेकर प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों को इजरायल ने मौत के घाट उतार दिया. ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने फोर्डो, नतांज और इस्फहान को अमेरिकी बमबारी से काफी नुकसान पहुंचा है. क्या यही राष्ट्रपति ट्रंप के लिए इस जंग का हासिल है?

अमेरिका ने चलाई मनमर्जी
इजरायल से ईरान पर हमला कराकर ट्रंप शायद ईरान को अपनी न्यूक्लियर डील वाली शर्तों पर झुकाने में नाकाम रहे. लेकिन ईरान की ओर से पैदा हुए एटमी खतरे को फिलहाल टालने का गुमान ट्रंप को जरूर है. ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर लाखों किलो बारूद बरसाकर अमेरिका ने मान लिया कि ईरान की परमाणु क्षमता अब खत्म हो गई है. लेकिन अमेरिका की इस खुशफहमी के पीछे कोई ठोस बुनियाद नजर नहीं आती.
अमेरिका के हमले में 90 फीसदी तक संवर्धित यूरेनियम वाला ईरानी भंडार कहां गया, यह किसी को पता नहीं है. ईरान के यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट्स को कितना नुकसान हुआ, इसका अभी तक पुख्ता अंदाजा नहीं लगाया गया है. फिर भी ईरान में हमला करके अमेरिका ने ये जरूर साबित कर दिया कि दुनिया में उसकी मनमर्जी अब भी चलती है.
जंग से इजरायल को क्या हासिल?
इजरायल ने ईरान पर इस दावे के साथ हमला किया था कि ईरान ने जो परमाणु क्षमता हासिल की है वो इजरायल के वजूद के लिए खतरा है. इजरायल ने जंग के शुरुआती हफ्ते में ही ईरान के सभी न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स और सेना के बड़े अधिकारियों को मार गिराने का दावा किया. इजरायल ने अपने इन हमलों में ईरान की न्यूक्लियर क्षमता को बढ़ाने वाले सुपर ब्रेन्स को ढेर कर बड़ी कामयाबी हासिल करने का दावा किया.
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इजरायली मीडिया के मुताबिक हमले के पहले हफ्ते में ईरान के 10 न्यूक्लियर साइंटिस्ट मारे गए थे, जबकि दूसरे हफ्ते में 7 और न्यूक्लियर साइंटिस्ट मारे गए हैं. इसके अलावा इजरायल के सटीक आसमानी हमले में ईरानी सेना के कई टॉप मिलिट्री कमांडर भी मारे गए हैं जो इस जंग में इजरायल का हासिल हैं.

ईरान को क्या मिला?
इस जंग से ईरान में फिलहाल खामेनेई की सत्ता को दोबारा जान हासिल हो गई है. इस जंग के युद्ध विराम के बाद ईरान की झोली में सबसे बड़ी कामयाबी यही है कि अमेरिका और इजरायल के डबल अटैक के आगे खामेनेई की हुकूमत ने झुकने से इनकार कर दिया. दुनिया के सुपर पावर और सुपर डिस्ट्रक्टर अमेरिका के खुले तौर पर जंग में शामिल होने के बावजूद ईरान ने न तो सरेंडर किया और न ही कोई शर्तें मानीं. ईरान अपनी पीठ इस बात पर भी थपथपा सकता है कि अकेले इजरायल के लिए उसे काबू कर पाना मुमकिन नहीं था, इसी वजह से आखिर में अमेरिका को भी जंग में कूदना पड़ा.
परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा
इस जंग से ईरान का दूसरा सबसे बड़ा हासिल उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम है, जो तमाम हमलों के बावजूद बदस्तूर जारी रहेगा. ईरान की संसदीय समिति ने इस जंग के बाद ये फैसला किया है कि अब तक अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी जो ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के बारे में जानकारी ले रही थी वो अब बंद कर दी जाएगी.
ईरान की संसद ने नेशनल सिक्योरिटी कमेटी के उस बिल को मंजूरी देने जा रही है जिसमें यूएन की ओर से ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम की आईएईए की निगरानी को नामंजूर कर दिया गया है. कमेटी के प्रवक्ता इब्राहिम रेजेई के हवाले से बताया गया कि अब न तो सर्विलांस कैमरे लगेंगे, न निरीक्षण की मंजूरी मिलेगी और न रिपोर्ट सबमिट की जाएगी.
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ईरान का कहना है कि जब तक ये गारंटी नहीं दी जाती कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर भविष्य में कभी कोई हमला नहीं होगा, तब तक ईरान IAE को कोई निगरानी नहीं करने देगा. क्योंकि तमाम सहयोग के बावजूद अमेरिका ने ईरानी संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए उसके न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है.