scorecardresearch
 

पाकिस्तान से लड़ाई के बीच चीन पर गहराया शक, जानें एक्सपर्ट्स क्यों कह रहे- दुश्मन पहचानने की जरूरत

भारत के साथ लड़ाई में पाकिस्तान चीन में बने हथियारों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है. एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि यह पाकिस्तान को चीन का मूक समर्थन है. उन्हें संदेह है कि पाकिस्तान चीन के कहने पर इस युद्ध में आगे बढ़ रहा है.

Advertisement
X
पाकिस्तान और भारत की लड़ाई में चीन को फायदा होता दिख रहा है (Photo- Reuters)
पाकिस्तान और भारत की लड़ाई में चीन को फायदा होता दिख रहा है (Photo- Reuters)

कई इतिहासकारों का कहना है कि ब्रिटेन ने भारत का विभाजन करके एक बफर स्टेट बनाया लेकिन पाकिस्तान अंततः एक डफर स्टेट यानी नासमझ देश बनकर उभरा. भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा गतिरोध को देखते हुए यह बात और भी ज्यादा विश्वसनीय लगती है क्योंकि कई विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान को एक ऐसे संघर्ष में उलझाए रखने के लिए नासमझ प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जो उसकी अर्थव्यवस्था और सेना को कमजोर कर रहा है.

Advertisement

अब तक, कहा जा रहा था कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत को इस लड़ाई में घसीटा है. इसमें सच्चाई भी है क्योंकि भारत से लड़ाई की शुरुआत करने के मुनीर के अपने कारण थे. मुनीर को लेकर यह माना भी जाता है वो जिहादी मानसिकता रखता है जो भारत को वैचारिक और भू-राजनीतिक दुश्मन के रूप में देखता है.

मुनीर को इस वक्त पाकिस्तान में घरेलू चुनौतियों की सामना करना पड़ रहा है. चाहे वो बलूच विद्रोहियों का जाफर एक्सप्रेस को हाइजैक करना हो या फिर खैबर पख्तूनख्वा में तालिबान के हमले हो, इन घटनाओं ने मुनीर को एक कमजोर जनरल के रूप में पेश किया है. अपनी कमजोर छवि को मजबूत करने और अपनी खुद की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए मुनीर ने पहलगाम हमले को हरी झंडी देकर भारत पर एक संघर्ष थोपा है.

Advertisement

लेकिन इस जिहादी जनरल के अलावा और कौन भारत को संघर्ष में उलझाए रखने में दिलचस्पी ले सकता है? क्या पहलगाम हमला और उसके बाद की घटनाएं भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती हैं?

शुक्रवार को आज तक की सहयोगी वेबसाइट इंडिया टुडे से बात करते हुए सामरिक मामलों की विशेषज्ञ तारा कार्था ने कहा कि भारत को अपने असली दुश्मन को पहचानने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'आपको यह जानना होगा कि वह (पाकिस्तान) जो कर रहा है, वह क्यों कर रहा है, क्योंकि अभी जो घटनाएं हो रही हैं, उनका कोई तर्क नहीं है. यह पाकिस्तान के लिए भी अतार्किक है. भारत को अपने असली दुश्मन पहचानने की जरूरत है जो चाहता है कि आप युद्ध करें.'

तो फिर यह दुश्मन कौन है? भारत के अपने पड़ोसियों के साथ संघर्ष से किसे फायदा होगा?

संदेह के घेरे में चीन

भारतीय और पाकिस्तानी विमानों के बीच हवाई लड़ाई और गिरे हुए मिसाइलों और ड्रोन के मलबे से मिले सबूतों से पता चलता है कि पाकिस्तान भारत से लड़ने के लिए चीनी हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है. पंजाब और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के कुछ हिस्सों में आतंकी ढांचे पर भारतीय हमलों के जवाब में, पाकिस्तान ने JF-17 ब्लॉक III और J-10CE लड़ाकू विमानों के साथ PL-15E मिसाइलों को तैनात किया था. 

Advertisement

बाद में, भारतीय ठिकानों पर हमले के लिए पाकिस्तान ने HQ-9 मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल किया. HQ-9, और PL-15 E मिसाइलें और उनका प्लेटफॉर्म J-10CE सभी चीनी प्रोडक्ट्स हैं. भारत के खिलाफ इन चीनी हथियारों का इस्तेमाल सैन्य संघर्ष में पहली बार किया गया. इसी तरह, JF-17 को चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाया है जिसका इस्तेमाल हुआ है.

पाकिस्तान को यह मौन समर्थन कई चीनी हितों की पूर्ति करता है. यह पाकिस्तान को मजबूत तो करता ही है, साथ ही यह चीन को भारतीय प्रतिष्ठानों का आकलन करने में मदद करता है.

यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि संघर्ष शुरू होने के बाद से चीन की हथियार बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में उछाल आया है. इसका मतलब है कि चीनी शेयर बाजार मानता है कि अगर संघर्ष बढ़ता है तो चीन पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई करना जारी रखेगा.

बड़ा खेल कर रहा चीन

शुक्रवार 9 मई को, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत की 80वीं वर्षगांठ मनाने के लिए मास्को के रेड स्क्वायर पर एक भव्य परेड में भाग लिया. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि 'चीन और रूस को लंबे समय तक दोस्ती बनाए रखनी चहिए और सच्चे दोस्त बनना चाहिए जो सौ अग्नि परीक्षाओं से गुजर चुके हैं; पारस्पर लाभ और हमेशा जीत (Win-Win Outcome) का पीछा करना चाहिए. हमेशा अच्छे साझेदार बनना चाहिए जो एक-दूसरे को सफल होने में मदद करना चाहिए...'

Advertisement

जब से रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू किया है, चीन रूस के समर्थन में खड़ा रहा है. चीन खुद को अमेरिका विरोधी गठबंधन के केंद्र के रूप में देखता है जो भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था को आकार देगा. हालांकि, भारत अपने सबसे पुराने सहयोगी रूस के प्रति अपने नजरिए में संतुलित रहा है. लेकिन चीन भारत को क्वाड का सदस्य होने के कारण अमेरिका के नेतृत्व वाले खेमे का हिस्सा मानता है.

क्षेत्र में अमेरिका के कथित प्रभाव का मुकाबला करने के लिए, चीन चाहेगा कि भारत क्षेत्रीय संघर्षों में उलझा रहे, जिससे उसके वित्तीय और सैन्य संसाधन खत्म हो जाएंगे. इसलिए, भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय तक सैन्य टकराव बीजिंग के लिए एक Win-Win Situation है. अगर पाकिस्तान को नुकसान होता है, तो चीन को इसकी ज्यादा परवाह नहीं है. और अगर भारत को भारी नुकसान होता है, तो चीन निर्विवाद क्षेत्रीय आधिपत्य हासिल कर लेगा.

'बफर' जो एक डफर है

स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. इश्तियाक अहमद ने अपनी किताब पाकिस्तान - द गैरीसन स्टेट: ओरिजिन्स, इवोल्यूशन, कॉन्सिक्वेंसेस (1947-2011) में तर्क दिया है कि पाकिस्तान का जन्म अपने आकाओं के उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ था. अहमद का दावा है कि ब्रिटिश लोग जिन्ना की अलग देश की मांग पर सहमत हुए क्योंकि मुस्लिम लीग ने 'उन्हें कराची बंदरगाह और उत्तर में एक हवाई अड्डा देने' का वादा किया था.

Advertisement

अंग्रेजों का मानना था कि भारत और रूस से आने वाले खतरे से बचने के लिए उन्हें पाकिस्तान और उसकी सेना की जरूरत होगी. ब्रिटेन ने अमेरिका को इस बात का आश्वासन दिया कि रूस और भारत के खिलाफ पाकिस्तान एक सहयोगी हो सकता है.

एक बार जो गुलाम बन गया, वह हमेशा गुलाम ही रहता है. इसलिए, भले ही राजनीति में बदलाव हुआ हो, पाकिस्तान अपने असली आकाओं के हितों की सेवा करना जारी रखे हुए है और विडंबना यह है इस बार उसका आका चीन है.

चीन क्या चाहता है?

अगर भारत पाकिस्तान के साथ उलझता रहता है तो चीन को कई रणनीतिक लाभ होंगे. इससे लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन को चुनौती देने की भारत की क्षमता कम हो जाएगी. इससे एक और बड़ा फायदा यह भी होगा कि भारत अपने सैन्य संसाधनों को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से हटा देगा.

एक और बात कि, अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में चीन अपने बाजार का विस्तार करना चाहता है. पाकिस्तान के साथ लड़ाई में भारत कम प्रतिस्पर्धी हो जाएगा जिससे चीन क्षेत्र में व्यापार और निवेश पर हावी हो सकता है. वो भारत के पड़ोसी देशों के बंदरगाहों और व्यापारिक मार्गों जैसे अहम इंफ्रास्ट्रक्चर पर नियंत्रण कर सकता है जैसे कि वो अपने प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए कर रहा है.

Advertisement

इन सब बातों पर गौर करते हुए चीन एक छिपा हुए शत्रु हो सकता है जो भारत को युद्ध में घसीटना चाहता है. चीन खुद भारत से युद्ध नहीं करना चाहता बल्कि वो उस डफर स्टेट से युद्ध करा रहा है जो यह समझने से इनकार करता है कि वो अपने आकाओं का कठपुतली मात्र है.

Live TV

Advertisement
Advertisement