भारतीय मूल के काश पटेल जब अमेरिकी खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के निदेशक बने तब यूएस में बसे भारतीय मूल के प्रवासी हिंदुओं में काफी खुशी देखी गई. काश पटेल ने शपथ ग्रहण के मौके पर जय श्रीकृष्ण का नारा लगाया था, माता-पिता के चरण छुए और गीता की शपथ ली थी. लेकिन अब वो एक हैंडशेक की वजह से भारतीय प्रवासियों के गुस्से का शिकार हो रहे हैं. भारतीय प्रवासियों को पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ पटेल का हाथ मिलाना रास नहीं आया और अब वो निशाने पर हैं.
व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से हाथ मिलाते हुए काश पटेल की तस्वीर वायरल हुई जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया. पटेल का मुनीर के साथ हंसकर हाथ मिलाना कई लोगों को अखर गया. भारत के बहुत से लोगों और प्रवासी भारतीयों के लिए यह तस्वीर किसी धोखे से कम नहीं लगी.
पटेल और मुनीर की यह तस्वीर हाल ही की है जब पाकिस्तानी आर्मी चीफ पीएम शहबाज शरीफ के साथ ट्रंप से मिलने के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे थे. इस मुलाकात में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी मौजूद थे.
मुलाकात के दौरान काश पटेल ने मुनीर से हाथ मिलाया और तस्वीरें सार्वजनिक होते ही बवाल खड़ा हो गया. आलोचक कहने लगे कि पटेल खुद को गुजराती जड़ों वाला आस्थावान हिंदू बताते हैं लेकिन उन्होंने उससे हाथ मिलाया जो हिंदुओं से नफरत करता है.
मुनीर हमेशा से टू-नेशन-थ्योरी का समर्थन करते रहे हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम हमले से ठीक पहले मुनीर ने हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा था, 'हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम हर नजरिए से हिंदुओं से अलग हैं. हमारा धर्म अलग है. हमारी परंपराएं अलग हैं. हमारे रीति-रिवाज, हमारे विचार, हमारी महत्वाकांक्षाएं- सब कुछ अलग है. यही दो राष्ट्र के सिद्धांत की नींव थी.'
टू नेशन थ्योरी के आधार पर ही मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग रखी थी और मुनीर भी इस सिद्धांत का खुलकर समर्थन करते हैं.
दूसरी ओर, पटेल लंबे समय से हिंदू पहचान के पक्षधर रहे हैं और अयोध्या में राम मंदिर बनाने का उन्होंने खुलकर समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का इतिहास 500 साल से भी पुराना है जिसे गिरा दिया गया था. उन्होंने बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर बनाने को बिल्कुल सही ठहराया था.
ऐसे में काश पटेल का मुनीर से हाथ मिलाना कई लोगों को अखर रहा है. राजनीतिक विज्ञान के एक्सपर्ट क्रिस्टोफर क्लैरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, 'यह बहुत अजीब है कि काश पटेल जाकर मुनीर से हाथ मिलाए.'
एक अन्य यूज़र ने लिखा, 'जय श्रीकृष्ण से लेकर अब खुलेआम जिहाद की बातें करने वाले आसिम मुनीर से गर्मजोशी से हाथ मिलाना- काश पटेल का यह बदलाव सिर्फ अमेरिकी राजनीति और ट्रंप प्रशासन की दक्षिण एशिया नीति को दिखाता है. जिसका केवल एक ही मकसद है- पाकिस्तान को क्रिप्टो और रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए खुश करना.'
अमेरिका में रहने वाले प्रवासियों के एक एक्स हैंडल इंडियन अमेरिकन्स की तरफ से किए ट्वीट में लिखा गया, 'विश्वास नहीं होता कि ये हो रहा है! एफबीआई निदेशक काश पटेल आखिर उस नरसंहार समर्थक आसिम मुनीर से क्यों मिल रहे हैं, जिसने कुछ महीने पहले ही हिंदुओं के जनसंहार की खुली वकालत की थी? शर्म की बात है. ट्रंप प्रशासन बेहद खराब है.'
कुछ लोगों ने हालांकि पटेल का बचाव किया. उनका कहना है कि भारतीय प्रवासियों का गुस्सा बेवजह है क्योंकि एक अमेरिकी अधिकारी के रूप में पटेल की पहली जिम्मेदारी अमेरिका के हितों की रक्षा करना है.
कुछ लोगों ने कहा कि पटेल की व्यक्तिगत आस्था और उनकी आधिकारिक भूमिका को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए. एक यूजर ने लिखा, 'उनके व्यक्तिगत विश्वास को उनकी सरकारी नीति से मत मिलाइए.'
दूसरे ने कहा, 'आसिम मुनीर से हाथ मिलाने में क्या गलत है? वह अमेरिकी नागरिक हैं और अपनी सरकार के लिए काम करते हैं. उन्हें वही करना होगा जो उनकी सरकार के हित में है, चाहे पाकिस्तान से कुछ मिले या न मिले.'