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'US में कीपैड फोन का करें यूज', जासूसी की आशंका के चलते EU का अपने अफसरों को निर्देश

यूरोपियन कमीशन ने पुष्टि की है कि उसने अपनी साइबर सिक्योरिटी को हाल में अपडेट किया है. लेकिन उसने अमेरिका द्वारा जासूसी की संभावनाओं पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. यूरोपियन कमीशन ने कहा कि उसकी डिप्लोमेटिक सर्विस हमेशा से ऐसे सिक्योरिटी अपडेट में शामिल रही है.

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 यूरोपियन कमीशन की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेन. (Photo: Reuters)
यूरोपियन कमीशन की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेन. (Photo: Reuters)

यूरोपियन कमीशन को डर सता रहा है कि अमेरिका उसके कर्मचारियों की जासूसी कर सकता है. इसलिए कमीशन ने अमेरिका जाने वाले अपने कर्मचारियों को बर्नर फोन (कीपैड वाले साधारण फोन) और बेसिक लैपटॉप जारी किए हैं. ब्रिटिश न्यूजपेपर फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया है. रिपोर्ट में यूरोपियन कमीशन के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है, 'अमेरिका जाने वाले कर्मचारियों को ब्रिटेन की सीमा से बाहर जाते ही अपने स्मार्ट फोन बंद कर देने चाहिए तथा उन्हें विशेष कवर में रखना चाहिए ताकि सर्विलांस से बचा जा सके.'

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फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में मामले से परिचित चार लोगों के हवाले से लिखा है, 'अगले सप्ताह आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की बैठकों के लिए अमेरिका जाने वाले यूरोपियन कमीशन के आयुक्तों और वरिष्ठ अधिकारियों को इस सुरक्षा उपाय के तहत रखा जाएगा.' उपरोक्त लोगों ने बताया कि चीन और यूक्रेन की यात्रा के दौरान इस तरह के प्रोटोकॉल का पालन पहले से ही होता रहा है. इन दोनों देशों में जासूसी के जोखिम के कारण विदेशी मेहमान स्टैंडर्ड आईटी किट लेकर नहीं आ सकते. एक अधिकारी ने कहा, 'डर है कि अमेरिका द्वारा यूरोपियन कमीशन के सिस्टम को हैक करने की कोशिश की जा सकती है.'

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यूरोपियन कमीशन ने पुष्टि की है कि उसने अपनी साइबर सिक्योरिटी को हाल में अपडेट किया है. लेकिन उसने अमेरिका द्वारा जासूसी की संभावनाओं पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. यूरोपीयन कमीशन ने कहा कि उसकी डिप्लोमेटिक सर्विस हमेशा से ऐसे सिक्योरिटी अपडेट में शामिल रही है. व्हाइट हाउस और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इस घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

यूरोपियन यूनियन और अमेरिका के बीच जारी है ट्रेड वॉर

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने के बाद से यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है. ट्रंप ने दावा किया है कि यूरोपीय संघ की स्थापना अमेरिका को परेशान करने के लिए की गई थी. उन्होंने यूरोपीय संघ के निर्यात पर 20 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था. बाद में उन्होंने 90 दिनों के लिए इस पर रोक लगाने की घोषणा की और फिर टैरिफ को 20 से घटाकर 10 फीसदी कर दिया.

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हालांकि, यूरोपीय संघ ने अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाए जाने के बाद 21 अरब यूरो के अमेरिकी निर्यात के विरुद्ध अपने जवाबी उपायों को फिलहाल के लिए रोक दिया है. यूरोपीय संघ के ट्रेड कमिश्नर मारोस सेफ्कोविक व्यापार युद्ध को सुलझाने के प्रयास में सोमवार को वाशिंगटन डीसी में अमेरिका के कॉमर्श सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक के साथ बातचीत की.

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ब्रुसेल्स इंस्टीट्यूट फॉर जियोपॉलिटिक्स नामक थिंक टैंक के डायरेक्टर लूक वान मिडलार ने कहा कि अमेरिका की यात्रा करने वाले यूरोपीय आयोग के अधिकारियों पर सुरक्षा उपाय आश्चर्यजनक नहीं हैं. फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में मिडलार के हवाले से कहा, 'वाशिंगटन, बीजिंग या मॉस्को नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा विरोधी है जो अपने हितों और शक्ति को बढ़ाने के लिए गैर-कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने के की प्रवृत्त रखता है.'

USA पर लगा था जर्मन चांसलर की जासूसी का आरोप

लूक वान मिडलार ने याद दिलाया कि अमेरिका में बराक ओबामा प्रशासन पर 2013 में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के फोन की जासूसी करने का आरोप लगा था. उन्होंने कहा, 'लोकतांत्रिक सरकारें भी यही रणनीति अपनाती हैं. यूरोपीय आयोग द्वारा अपने कर्मचारियों को जासूसी के संभावित खतरे को लेकर आगाह करना, वास्तविकता की स्वीकृति है.' अमेरिका में बॉर्डर स्टाफ को ​विजिटर्स और टूरिस्ट के फोन और कंप्यूटर जब्त कर उनमें मौजूद कॉन्टेंट की जांच करने का अधिकार है.

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हाल के दिनों में यूरोप से आने वाले पर्यटकों और शिक्षाविदों को अमेरिका में प्रवेश से वंचित करने के कई मामले सामने आए हैं. क्योंकि अमेरिका की सीमाओं पर बॉर्डर स्टाफ द्वारा उनके फोन या लैपटॉप पर उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच की गई और उनमें ट्रंप प्रशासन की नीतियों की आलोचना करने वाली टिप्पणियां या पोस्ट पाए गए. इस कारण उन्हें अमेरिका में एंट्री नहीं दी गई और बॉर्डर से ही वापस लौटा दिया गया.

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