महामारी के बीच अब एक और खतरनाक बीमारी का खतरा बढ़ रहा है. अफ्रीकी देश कॉन्गो में ब्यूबोनिक प्लेग के 15 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 11 की मौत भी हो चुकी है. इसे 'काली मौत' या 'ब्लैक डेथ' के नाम से भी जाना जाता है. ब्यूबोनिक प्लेग ज्यादा संक्रामक है और ज्यादा जानलेवा बीमारी है, जो चूहों के जरिए इंसानों में फैलती है.
ब्रिटिश वेबसाइट 'द सन' की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्गो के इतुरी प्रांत में ब्यूबोनिक प्लेग के मामले सामने आए हैं. 23 अप्रैल से 8 मई के बीच 11 मौतें हो चुकी हैं. मरने वाले सभी लोगों को पहले खून की उल्टी आई और फिर मौत हो गई.
इतुरी के प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर डॉ. लुईस शुलो का कहना है, "मरीजों में सिरदर्द, बुखार, खांसी और खून की उल्टी के लक्षण दिखाई देते हैं. अब तक ब्यूबोनिक प्लेग के 15 मामले आ चुके हैं, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है."
डॉ. शूलो बताते हैं, "इस बीमारी से पहली मौत फताकी में एक महिला की हुई थी. उसके बाद इसी इलाके में 4 और लोगों की मौत हुई. उसके बाद दो लोग जो अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, वो जब लौटे तो बीमार हुए और उनकी भी मौत हो गई."
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उन्होंने बताया कि 19 मई को चार लोगों की मौत हुई थी. इनमें दो बुकाशेले और दो बुले में हुई थी. मरने वालों में एक झोलाछाप डॉक्टर भी था जो मरीजों का इलाज करता था. उन्होंने बताया है कि अभी भी 4 लोगों का इलाज चल रहा है. लोगों से मास्क पहनने, दूरी बनाए रखने और शवों से बचकर रहने की अपील की गई है. इतुरी में पिछले साल भी ब्यूबोनिक प्लेग के 461 मामले सामने आए थे और 31 लोगों की मौत हुई थी.
डब्ल्यूएचओ ने ब्यूबोनिक प्लेग में दिखने वाले लक्षण को फ्लू जैसे लक्षण ही बताया है क्योंकि इसमें भी एक से सात दिन के भीतर लक्षण सामने आते हैं. इस बीमारी में मरीज को ठंड लगना, बुखार आना, सिरदर्द, कमजोरी और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. ब्यूबोनिक प्लेग में डेथ रेट 30 से 60 फीसदी तक रहती है.
ब्यूबोनिक प्लेग सैकड़ों साल पहले यूरोप में फैली थी. उस वक्त इससे करोड़ों लोगों की मौत हुई थी. इस वजह से इसे काली मौत या ब्लैक डेथ भी कहा जाता है.