गाजा में युद्ध को लेकर इस्लामिक देश इजरायल के खिलाफ एकजुट हो गए हैं और उसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं. मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बुधवार को हेग स्थित संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत, इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इजरायल की निंदा की है. इससे पहले सऊदी अरब ने कहा था कि इजरायल के अपराधों की कोई क्षमा नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने वेस्ट बैंक और गाजा पर इजरायली कब्जे के एक मामले में मंगलवार को दलीलें सुनना शुरू किया. फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने सोमवार को अदालत से इजरायली कब्जे को अवैध घोषित करने के लिए कहा जिसके बाद यह सुनवाई शुरू हुई है. सुनवाई में कुल 52 देश हिस्सा लेंगे जो 26 फरवरी तक अपनी दलीलें पेश करेंगे.
दलीलें पेश करने वालों में कई इस्लामिक देश शामिल हैं. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में यूएई की राजदूत लाना नुसेबीह ने तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून इजरायल और फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर लागू होना चाहिए और मामले में आईसीजे जो भी राय देता है, वो उचित मानी जाएगी.
उन्होंने अदालत में कहा, 'अंतरराष्ट्रीय कानून किसी एक के लिए विशेष नहीं हो सकता. इसे सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए.'
कठोर शब्दों में की इजरायल की आलोचना
यूएई की दूत ने अपने भाषण में युद्ध को लेकर अफसोस जताया और इजरायल-फिलिस्तीन विवाद समाधान के लिए टू-स्टेट रिजोल्यूशन की बात को दोहराया.
उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ महीनों में हमने जो भयावहता देखी है, सात अक्टूबर को इजरायल पर हमला उसके बाद गाजा पट्टी का विनाश, वेस्ट बैंक में उत्पीड़न... इससे स्पष्ट होता है कि टू-स्टेट सॉल्यूशन को साकार करने की सख्त जरूरत है.'
गाजा में चल रहे इजरायल के युद्ध और वेस्ट बैंक में उसके कब्जे के संदर्भ में यूएई की राजदूत ने कठोर शब्दों में कहा, 'आज हम बैठक कर रहे हैं और उधर फिलिस्तीनियों पर इजरायल अत्याचार कर रहा है, उसे कोई सजा नहीं हो रही.'
'कब्जे वाले क्षेत्र में इजरायली बस्तियां...'
वहीं, मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी की सलाहकार यासमीन मौसा ने अदालत में मिस्र की तरफ से दलील पेश की.
उन्होंने कहा, 'इजरायल का लंबे समय से कब्जा अवैध है, यह अंतरराष्ट्रीय रूप से गलत काम है और इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए.'
मौसा ने विशेष रूप से वेस्ट बैंक में इजरायली बस्तियों की आलोचना करते हुए कहा कि इजरायली बस्तियां टू-स्टेट सॉल्यूशन की संभावना को खत्म करने का काम कर रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायल ने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से हटाया है.
सऊदी अरब ने क्या कहा?
सऊदी अरब ने सुनवाई के पहले ही दिन यानी मंगलवार को अदालत में अपनी दलील पेश की. नीदरलैंड में किंगडन के राजदूत जियाद अल-अतियाह ने अदालत में सऊदी का पक्ष रखते हुए कहा कि फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजरायल की कार्रवाई क्षमा योग्य नहीं है.
इजरायल ने 1967 में वेस्ट बैंक और गाजा पर कब्जा कर लिया था. साल 2005 में गाजा फिलिस्तीनी लड़ाकों, हमास के नियंत्रण में आ गया था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजरायल इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में गवाही नहीं देगा, लेकिन उसने एक लिखित प्रतिक्रिया भेजकर कहा है कि इस तरह के सलाह संघर्ष को सुलझाने की कोशिशों को नुकसान पहुंचाएंगे.
हेग के प्रोग्राम के अनुसार, ईरान, इराक, कुवैत और लेबनान गुरुवार को कब्जे के मामले पर दलीलें पेश करेंगे. शुक्रवार को कतर और सोमवार को तुर्की समेत बाकी के क्षेत्रीय देश अपनी दलीलें देंगे.