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'हम कचराघर नहीं हैं...', जानें- ट्रंप के किस फैसले पर भड़के हैं इस अफ्रीकी देश के लोग

अमेरिका ने अपने यहां के विदेशी अपराधियों को अफ्रीकी देशों में निर्वासित करना शुरू कर दिया है. इसके लिए वो गरीब अफ्रीकी देशों को चुन रहे हैं. अफ्रीकी देश एस्वातिनी में भी ट्रंप अपराधियों को भेज रहे हैं जिससे वहां के लोगों में गुस्सा है.

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ट्रंप के निर्वासन प्लान को लेकर एस्वातिनी के लोगों में गुस्सा है (File Photo- SABC-News Swazi Reuters)
ट्रंप के निर्वासन प्लान को लेकर एस्वातिनी के लोगों में गुस्सा है (File Photo- SABC-News Swazi Reuters)

अमेरिका का ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई तो कर ही रहा है, साथ ही वो अमेरिका की जेलों में बंद विदेशी अपराधियों को अफ्रीकी देशों में भेज रहा है. अफ्रीका के एक छोटे से देश एस्वातिनी में तो ट्रंप के फैसले पर भारी नाराजगी है और लोग कह रहे हैं कि हमारा देश ट्रंप का डंपिंग ग्राउंड यानी कचरा फेंकने की जगह, कचराघर नहीं है. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) की प्रवक्ता ने एस्वातिनी भेजे गए प्रवासियों को खतरनाक बताते हुए उन्हें 'दुष्ट राक्षस' कहा है और ऐसे खतरनाक अपराधियों के अपने देश में आने से एस्वातिनी के लोग गुस्से में हैं.

एस्वातिनी न्यू जर्सी के आकार जितना बड़ा देश है जो पहले स्वाजीलैंड के नाम से जाना जाता था. एस्वातिनी में राजशाही है और देश की पूरी शक्ति राजा के हाथ में है. बुधवार को अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका से निर्वासित पांच लोगों को उनकी जेलों में अलग-थलग रखा गया है. 

अधिकारियों से जब सवाल किया गया कि देश में खतरनाक अपराधियों को क्यों आने दिया जा रहा है तो उन्होंने कहा, 'निर्वासित लोग देश या उसके नागरिकों के लिए कोई खतरा नहीं हैं.'

एस्वातिनी के कार्यवाहक सरकारी प्रवक्ता थबिले मदलुली ने शुक्रवार को अमेरिकी ब्रॉडकास्टर सीएनएन को बताया कि पांचों लोगों को एकांत कारावास में रखा गया है. हालांकि, सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें किस जेल में रखा गया है और वो कब तक वहां रहेंगे.

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इससे पहले उन्होंने कहा था कि यह निर्वासन अमेरिका और एस्वातिनी के बीच 'महीनों तक चली मजबूत हाई लेवल बातचीत का नतीजा है.

लेकिन आलोचना का कहना है कि अमेरिका जिन लोगों को अपने यहां जेल में रखने लायक भी नहीं मान रहा, उन्हें एस्वातिनी भेज रहा है क्योंकि वो अफ्रीकी देश को कूड़े का मैदान समझ रहा है.

अफ्रीकी देशों पर बढ़ता अमेरिकी दबाव

ट्रंप प्रशासन बड़े पैमाने पर अमेरिका के विदेशी कैदियों को अल सल्वाडोर की जेल में भेज रहा है. इसके अलावा व्हाइट हाउस चुपचाप कई अफ्रीकी देशों से साथ विदेशी अपराधियों को रखने के लिए समझौता करने की कोशिश कर रहा है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इमिग्रेशन पर की गई आक्रामक कार्रवाई में भी कई दिक्कतें हैं जैसे कुछ देश अपने लोगों को वापस लेने से इनकार कर रहे हैं या फिर केवल सीमित आधार पर ही लोगों को ले रहे हैं.

ऐसे में ट्रंप प्रशासन अफ्रीकी देशों पर दबाव डाल रहा है कि वो अपने देश में अपराधियों को लें. नाइजीरिया के विदेश मंत्री यूसुफ टुगर ने पिछले सप्ताह एक इंटरव्यू में कहा था, 'अमेरिका अफ्रीकी देशों पर दबाव डाल रहा है कि वो अमेरिका से निर्वासित वेनेजुएला के नागरिकों को अपने देश में लें. कुछ को तो वो सीधे जेल से निकालकर अफ्रीकी देशों में भेजने की बात कर रहा है.'

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उन्होंने कहा कि अमेरिका एक तरफ जहां अफ्रीकी देशों पर टैरिफ बढ़ा रहा है और उनके वीजा की वैधता खत्म कर रहा है वहीं दूसरी तरफ उन्हें इस तरीके से इस्तेमाल की कोशिश भी कर रहा है.

एस्वातिनी में अमेरिका से निर्वासित कैदी कौन हैं?

डीएचएस की प्रवक्ता ट्रिशिया मैकलॉगलिन ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट में कहा कि एस्वातिनी भेजे गए पांचों कैदी जमैका, लाओस, क्यूबा, यमन और वियतनाम के नागरिक थे.

उन्होंने लिखा, 'इस उड़ान में इतने अनोखे और बर्बर लोग थे कि उनके अपने देशों ने उन्हें वापस लेने से इनकार कर दिया. ये दुष्ट राक्षस अमेरिकी लोगों को डरा रहे थे लेकिन ट्रंप प्रशासन की बदौलत अब वो अमेरिकी धरती से बाहर हैं.'

उन्होंने बताया कि कैदियों को बच्चों के साथ बलात्कार, हत्या और डकैती सहित विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था.

एस्वातीनी सरकार के प्रवक्ता मदलुली ने कहा कि देश अब अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के साथ सहयोग करेगा ताकि कैदियों को उनके मूल देशों तक पहुंचाने में सुविधा हो.

हालांकि, उन्होंने गुरुवार को कहा कि उन्हें कब तक उनके देश भेजा जाएगा, इसे लेकर कोई समय-सीमा तय नहीं है.

एस्वातिनी के लोग नाराज क्यों हैं?

अमेरिका अपनी जेलों में बंद विदेशी अपराधियों को एस्वातिनी भेज रहा है जो यहां के लोगों के लिए अपमानजनक माना जा रहा है. दस लाख से ज्यादा की आबादी वाला यह देश पहले से ही गरीबी, बेरोजगारी, उच्च अपराध दर से जूझ रहा है जहां की जेलें भरी हुई हैं. विश्व बैंक के अनुसार, इसकी आधी से ज्यादा आबादी प्रतिदिन 4 डॉलर से भी कम पर गुजारा करती है.

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देश की विपक्षी पार्टी पीयूडीईएमओ ने कहा कि अमेरिका से निर्वासित विदेशी लोगों को स्वीकार करना 'हमारे पहले से ही कमजोर समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है.' समूह ने सीएनएन को भेजे एक बयान में कहा, 'हमारे देश को उन लोगों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं माना जाना चाहिए जिन्हें कहीं और रहने के लिए अयोग्य समझा जाता है.'

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