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खाक आशियाने, जलती बसें और सड़कों पर उपद्रवी...10 तस्वीरों में देखें वक्फ कानून के विरोध में कैसे जल उठा मुर्शिदाबाद

Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध के दौरान हिंसा भड़क गई. उपद्रवियों ने पुलिस को निशाना बनाते हुए पथराव, आगजनी की. इस हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो गई हैं, जबकि पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 150 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया है.

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वक्क कानून के विरोध में धधका मुर्शिदाबाद.
वक्क कानून के विरोध में धधका मुर्शिदाबाद.

वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई. उपद्रवियों ने कई इलाकों में पथराव किया. आगजनी की. ट्रेनें रोकीं. कई दफ्तरों को नुकसान पहुंचाया. साथ ही पुलिस वालों को भी निशाना बनाया. हिंसा में 3 लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसक झड़प में 15 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और अब तक 150 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

वहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुर्शिदाबाद में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. हिंसा प्रभावित इलाकों में ये जवान तैनात रहेंगे और कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में राज्य की मदद करेंगे. साथ ही पुलिस ने लोगों से किसी तरह की अफवाह से बचने की अपील की है.

इसी बीच पश्चिम बंगाल पुलिस ने जिले में अशांति को देखते हुए मुर्शिदाबाद में राज्य भर से चुने गए 23 स्पेशल अधिकारियों को तैनात किया है.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, इनमें 10 डीएसपी रैंक के अधिकारी, 10 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी और 3 सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी हैं, जिन्हें पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों और यूनिटों से चुना गया है. इन 23 अधिकारियों को अगले 4 दिनों के लिए जिले में तैनात किया गया है.

DGP पहुंचे मुर्शिदाबाद

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पश्चिम बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार शनिवार देर रात हिंसाग्रस्त मुर्शिदाबाद पहुंचे, जहां उन्होंने राज्य के सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ शमशेरगंज थाने में मीटिंग की और जरूरी निर्देश दिए. इसके बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर इलाके में देर रात को रूट मार्च किया. डीजीपी ने हिंसा के पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी ली है.

डीजीपी पश्चिम बंगाल के साथ बैठक के बाद बीएसएफ के साउथ बंगाल फ्रंटियर में आईजी करणी सिंह शेखावत ने कहा, 'हमें इस स्थिति में उनके साथ मिलकर काम करना है. इसी पर चर्चा हुई. हमने पुलिस की मदद के लिए अपनी 5 कंपनियां भेजी हैं. हम यहां पुलिस की मदद करने के लिए हैं, स्वतंत्र कार्रवाई के लिए नहीं. हम राज्य पुलिस की मांग के अनुसार काम करेंगे. हमें उम्मीद है कि यहां जल्द ही शांति बहाल हो जाएगी. अगर पुलिस को और कंपनियों की जरूरत होगी तो हम उन्हें मुहैया कराएंगे. बीएसएफ हर स्थिति के लिए तैयार है.'

वहीं, मुर्शिदाबाद में स्थानीय रूप से मौजूद करीब 300 बीएसएफ कर्मियों के अलावा पश्चिम बंगाल सरकार के अनुरोध पर राज्य में 5 और कंपनियों को  तैनात किया गया है.

जल रहा है बंगाल

इसी बीच बीजेपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से मुर्शिदाबाद के धुलियान से 400 से अधिक हिंदू नदी पार कर लालपुर हाई स्कूल, देवनापुर-सोवापुर जीपी, बैसनबनगर, मालदा में शरण लेने को मजबूर हुए.

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उन्होंने कहा कि बंगाल में धार्मिक उत्पीड़न वास्तविक है. टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति ने कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा दिया है. हिंदुओं का शिकार किया जा रहा है, हमारे लोग अपनी ही धरती पर जान बचाने के लिए भाग रहे हैं! कानून-व्यवस्था को इस तरह से खराब होने देने के लिए राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए.

बीजेपी नेता ने कहा कि मैं जिले में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, राज्य पुलिस और जिला प्रशासन से इन विस्थापित हिंदुओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने और इस जिहादी आतंक से उनकी जान बचाने का आग्रह करता हूं. बंगाल जल रहा है. सामाजिक ताना-बाना टूट चुका है. बस, बहुत हो गया.

केंद्र सरकार से मांगा जाना चाहिए जवाब

इसके इतर शनिवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर कहा, 'याद रखें, हमने वह कानून नहीं बनाया, जिसे लेकर कई लोग आक्रोशित हैं. कानून केंद्र सरकार ने बनाया था. इसलिए जो जवाब आप चाहते हैं, वह केंद्र सरकार से मांगा जाना चाहिए.'

उन्होंने पूछा, 'हमने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है - हम इस कानून का समर्थन नहीं करते हैं. ये कानून हमारे राज्य में लागू नहीं होगा तो फिर दंगा किस बात को लेकर है?'

रिपोर्ट नजरअंदाज नहीं कर सकते: HC

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इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में हुई तोड़फोड़ की खबरों को नजरअंदाज नहीं कर सकता.

न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'हम विभिन्न रिपोर्ट्स को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जिनमें प्रथम दृष्टया पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में बर्बरता की बात सामने आई है.'

पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्रीय बल राज्य प्रशासन के साथ सहयोग करते हुए काम करेंगे. पीठ ने कहा, 'जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो, तो संवैधानिक न्यायालय मूकदर्शक बनकर तकनीकी बचाव में उलझे नहीं रह सकते.' साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया.

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