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बंगाल में SIR, दहशत में सोनागाछी के सेक्स वर्कर्स... क्यों सता रहा वोटिंग अधिकार छिनने का डर?

कोलकाता में चुनाव आयोग के स्टेटवाइड इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रोसेस से सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स में चिंता बढ़ गई है. डॉक्यूमेंट्स की कमी के कारण उन्हें डर है कि उनके नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं. कई NGO ने चुनाव आयोग से अपील की है कि उनके वोटिंग अधिकार सुरक्षित रखे जाएं.

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कोलकाता के सोनागाछी में करीब 7000 सेक्स वर्कर्स रहते हैं. (Representative Image)
कोलकाता के सोनागाछी में करीब 7000 सेक्स वर्कर्स रहते हैं. (Representative Image)

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने कोलकाता में स्टेटवाइड इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रोसेस शुरू किया है. इस फैसले के बाद, नॉर्थ कोलकाता में एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट एरिया सोनागाछी के रहने वालों में चिंता फैल गई है. बूथ-लेवल के अधिकारियों ने वोटर लिस्ट के फॉर्म बांटने के लिए घरों का दौरा करना शुरू कर दिया है, जिससे सेक्स वर्कर्स में यह डर पैदा हो गया है कि उनको मुश्किल से मिले वोटिंग अधिकार अब खतरे में पड़ सकते हैं.

सोनागाछी की कई सेक्स वर्कर्स को चिंता है कि डॉक्यूमेंट्स की कमी की वजह से उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे. दशकों पहले रोज़ी-रोटी की तलाश में अपना घर छोड़ने के बाद, उनमें से ज़्यादातर लोगों के पास कोई फैमिली रिकॉर्ड, पते का सबूत या अपने माता-पिता से कोई संपर्क नहीं है.

उनकी अनिश्चित कानूनी स्थिति और ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स की कमी की वजह उनके लिए SIR प्रोसेस के तहत ज़रूरी माता-पिता की चुनावी जानकारी देना लगभग नामुमकिन है.

चुनाव आयोग से अपील...

दुर्बार महिला समन्वय समिति और ऑल इंडिया नेटवर्क फॉर सेक्स वर्कर्स सहित कई NGO ने इस मुद्दे को इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के सामने उठाने का फैसला किया है. उन्होंने ECI से अपील की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि नौकरशाही की रुकावटों के कारण सेक्स वर्कर्स अपने वोट देने के अधिकार से वंचित न रहें. इन संगठनों का कहना है कि 2002 के बाद कई सेक्स वर्कर्स को वोट देने का अधिकार मिला और वोटर ID कार्ड भी मिले, लेकिन कई अन्य अपनी अस्थिर रहने की स्थिति और माइग्रेटरी बैकग्राउंड की वजह से छूट गए.

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एक्टिविस्ट्स के मुताबिक, सोनागाछी में करीब 7,000 लोग रहते हैं, जिनमें से कई भारतीय नागरिक हैं, जबकि अन्य नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आए हैं.

सेक्स वर्कर्स के सामने किस तरह की मुश्किलें?

ऑल इंडिया नेटवर्क फॉर सेक्स वर्कर्स की कोर कमिटी मेंबर भारती डे ने आजतक को बताया, “जो लोग यहां काम करने के लिए अपना गांव छोड़कर आते हैं, वे भविष्य में अपने घर वापस नहीं जा पाते, इसलिए वे हमेशा यहीं रहते हैं. कई लोगों के अब परिवार से कोई रिश्ते नहीं रहे, इसलिए उनके लिए घर जाकर अपने माता-पिता की वोटर लिस्ट इकट्ठा करना मुमकिन नहीं है. जो लोग दशकों से यहां रह रहे हैं, वे इस बात से परेशान हैं कि कुछ डॉक्यूमेंट्स की कमी की वजह से उन्हें यहां से जाना पड़ सकता है.”

यह भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल: बर्दवान के बाद अब राजगंज, BDO ऑफिस के पास जंगल में बिखरे मिले वोटर कार्ड

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो असल में नेपाल से आई हैं लेकिन लंबे वक्त से यहीं रह रही हैं. तो उनका क्या होगा? इसलिए, हम बहुत जल्द इस मुद्दे को नेशनल इलेक्शन कमीशन के सामने उठाने वाले हैं. हम सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स के लिए एक पक्का समाधान चाहेंगे. उन्हें अचानक बाहर नहीं निकाला जा सकता या वोटर लिस्ट से उनका नाम नहीं हटाया जा सकता. अगर ऐसा होता है, तो भविष्य में उनके बच्चों को भी दिक्कतें हो सकती हैं.”

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NGOs आने वाले दिनों में इलेक्शन कमीशन से संपर्क करने का प्लान बना रहे हैं, ताकि सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स के चुनावी अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए जाएं और यह पक्का किया जा सके कि किसी भी नागरिक का वोट देने का अधिकार प्रोसीजरल टेक्निकल दिक्कतों की वजह से न छीना जाए.

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