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किर्गिस्तान में फंसे 12 लोगों में से 9 पीलीभीत लौटे, नौकरी के दिलाने के नाम पर एजेंट ने भेजा था

पीलीभीत के 12 लोग किर्गिस्तान में फंस गए थे. बताया जाता है कि सभी को एक ट्रैवेल एजेंट ने फर्जी वीजा के जरिए नौकरी के नाम पर किर्गिस्तान भेज दिया था. जहां सभी को बंधक बना लिया गया और ऐसी नौकरी दी गई, जो उनके लिए योग्य भी नहीं थी.

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किर्गिस्तान में फंसे लोग भारत लौटे. (Photo: Representational )
किर्गिस्तान में फंसे लोग भारत लौटे. (Photo: Representational )

पिछले तीन महीनों से किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 9 लोग शनिवार को सुरक्षित घर लौट आए. एक अधिकारी ने एक एजेंसी को बताया कि बाकी तीन लोगों के 30 दिसंबर तक लौटने की उम्मीद है, क्योंकि उनके वीज़ा 31 दिसंबर, 2025 तक वैलिड हैं. 

पीलीभीत के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक ने सभी से धोखेबाजों से सावधान रहने की अपील भी की. उन्होंने कहा कि सभी 12 लोग, जो इस स्कैम का शिकार हुए पीलीभीत के बरखेड़ा, पूरनपुर, दियोरिया और गजरोला पुलिस स्टेशन इलाकों के रहने वाले हैं.

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आरोप है कि पीलीभीत शहर में एक रिक्रूटिंग एजेंसी के मालिक ने उन्हें विदेश में नौकरी का झांसा दिया था. साथ ही उनसे 2.5 लाख रुपये लिए थे. इस स्कैम का खुलासा किर्गिस्तान में फंसे 12 लोगों में से एक रोहित के एक वीडियो से हुआ.

खुलासा होने के बाद 5 दिसंबर को उसकी पत्नी प्रेमवती और मध्य एशियाई देश में फंसे कई और लोगों के रिश्तेदारों ने अधिकारियों से संपर्क किया. रवि कुमार, अजय, चंद्रपाल, संतराम, रोहित, रमेश, हरस्वरूप, श्यामाचरण, संजीव, प्रेमपाल, रामासरे और हरिशंकर लगभग तीन महीनों से किर्गिस्तान के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए थे.

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इन सभी को एक फर्जी कॉन्ट्रैक्ट के साथ 59 दिन के वीज़ा पर भेजा गया था. किर्गिस्तान पहुंचने पर इन लोगों को वादे के मुताबिक नौकरियां नहीं मिलीं और आरोप है कि उन्हें बंधक बना लिया गया. साथ ही ऐसी नौकरी करने के लिए मजबूर किया गया जिसके लिए उन्होंने साइन नहीं किया था.

पीड़ितों ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करके अपनी आपबीती सुनाई. वीडियो में पीड़ितों ने कहा कि उन्हें सैलरी नहीं दी जाती है और मारपीट भी जाती है. वतन वापसी के लिए सभी ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई थी.

पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच सर्किल ऑफिसर (सिटी) को सौंप दी है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने दिल्ली में पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की और उनकी वापसी में मदद के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क किया.

किसान नेता देव स्वरूप पटेल ने शनिवार को बरेली में वापस लौटे मज़दूरों से मुलाकात की. पटेल ने बताया कि जिरोनिया गांव के हरिशंकर, भूदा पिपरिया गांव के रामासरे और बैजू नगर गांव के श्याम चरण के लिए अभी तक टिकट का इंतज़ाम नहीं हुआ है. जब मज़दूर गांव लौटे तो उनके परिवारों में खुशी लौट आई.

पटेल ने पीलीभीत के सांसद प्रसाद से गुज़ारिश की कि जिन्होंने उनके साथ धोखा किया, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और उनका पैसा वापस दिलाने में मदद करें.

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