उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में 5 दिन तक चली इनकम टैक्स की छापेमारी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इनकम टैक्स के सूत्रों के मुताबिक, जिस दिन बुलियन ट्रेडर्स और रियल एस्टेट कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की जानी थी, उसके ठीक 1 दिन पहले सभी व्यापारियों ने अपने फोन और लैपटॉप से पूरा डाटा डिलीट कर दिया था. अधिकारियों को शक है कि इन व्यापारियों को कार्रवाई का अंदेशा था या जानकारी मिल गई थी, जिसको लेकर सभी व्यापारी चौकन्ने हो गए थे.
रेड में शामिल इनकम टैक्स अधिकारियों का कहना है कि जब टीम रेड के लिए पहुंची और व्यापारियों के फोन जमा करवाकर उन्हें चेक करना शुरू किया तो देखा कि सारा डाटा ही गायब है. जब यह बात उच्च अधिकारियों को बताई तो दिल्ली और मुंबई से 8 फोरेंसिक टीमों को बुलाने का फैसला किया गया. दो दिन के अंदर ही फोरेंसिक टीमों ने सारा का सारा डाटा रिकवर कर लिया. अधिकारियों का कहना है कि डाटा से फर्जीवाड़े की जानकारी और सबूत मिल सकेंगे.
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व्यापारियों के फोन और डेस्कटॉप खंगालने के बाद पता चला कि यह व्यापारी पैरेलल बुक्स मेंटेन कर रहे थे. यानी इनकम टैक्स के लिए एक फर्जी ट्रांजेक्शन की बुक, साथ ही साथ असली ट्रांजेक्शंस का एक अलग रिकॉर्ड बना रखा था. सूत्रों का कहना है कि यह सभी व्यापारी एक हाईटेक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसमें इस सभी अवैध ट्रांजेक्शंस का पूरा रिकॉर्ड था.
फोरेंसिक टीमों ने सॉफ्टवेयर को किया क्रैक, खुला काटा चिट्ठा
फोरेंसिक टीमों ने व्यापारियों के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर को भी क्रैक कर लिया, जिससे पूरा काला चिट्ठा सामने आ गया. इनकम टैक्स अफसरों की मानें तो जिस तरीके से अब हाईटेक तकनीकों और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल फ्रॉड के लिए होने लगा है, विभाग भी खुद को नई तकनीक से लैस कर रहा है, जिसका उदाहरण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल है. इससे आसानी से अवैध ट्रांजेक्शन पर लगाम लगाई जा सकेगी.