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अखिलेश के 'मॉनसून ऑफर' में कितना दम? जितनी सीटें सपा के पास, उतनी ही और लाने का दे रहे चैलेंज

यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. 10 सीटें खाली हैं. इन सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने हैं. विधानसभा में अभी कुल 393 सदस्य हैं. यानी बहुमत के लिए 197 विधायकों की जरूरत है. ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है कि अखिलेश ने जो कहा है, क्या वो संभव है? क्या वाकई में बीजेपी के 100 विधायक तोड़कर सपा या अखिलेश यूपी में नई सरकार बना सकते हैं? जानिए...

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यूपी बीजेपी और सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है. लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है.
यूपी बीजेपी और सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है. लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है.

लोकसभा चुनाव के परिणामों ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को बूस्टर डोज दे दिया है और सत्तारूढ़ बीजेपी के अंदर हफ्तेभर से खलबली मची है. 37 सीटें जीतने वाली सपा फिलहाल फुल फॉर्म में देखी जा रही है और गुरुवार को अखिलेश यादव ने बीजेपी के कथित बागी धड़े को मॉनसून ऑफर भी दे दिया है. हालांकि, ये वाकई सत्ता के समीकरण बनाने का कोई ऑफर है या सिर्फ तंज? इससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि सपा के इस दावे में कितना दम है? क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा सिर्फ 111 सीटें जीत सकी थी. अभी फिलहाल सपा के 105 सदस्य हैं. 

यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. 10 सीटें खाली हैं. इन सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने हैं. विधानसभा में अभी कुल 393 सदस्य हैं. यानी बहुमत के लिए 197 विधायकों की जरूरत है. ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है कि अखिलेश ने जो कहा है, क्या वो संभव है? क्या वाकई में बीजेपी के 100 विधायक तोड़कर सपा या अखिलेश यूपी में नई सरकार बना सकते हैं? जानिए उत्तर प्रदेश की सियासी गणित क्या है?

यूपी विधानसभा में क्या है दलीय स्थिति?

सत्ता पक्ष

बीजेपी 251
अपना दल (S) 13
राष्ट्रीय लोकदल 8
सुभासपा 6
निषाद पार्टी 5

विपक्ष

सपा 105
कांग्रेस 2


अन्य

जनसत्ता दल लोक तांत्रिक 2
बसपा 1

पहले जान लीजिए अखिलेश यादव ने क्या कहा...

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया और लिखा, मानसून ऑफर: सौ लाओ, सरकार बनाओ. इससे पहले अखिलेश ने एक और पोस्ट किया था और लिखा था, लौट के बुद्धू घर को आए. अखिलेश का ऑफर और तंज दोनों यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से जोड़कर देखे जा रहे हैं.

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केशव प्रसाद ने क्या पलटवार किया?

अखिलेश के पोस्ट पर केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को पलटवार किया और कहा था, सपा बहादुर अखिलेश यादव जी, भाजपा की देश और प्रदेश दोनों जगह मजबूत संगठन और सरकार है. सपा का PDA धोखा है. यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है. भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहराएगी.

यह भी पढ़ें: मानसून ऑफर: 'सौ लाओ, सरकार बनाओ!' यूपी बीजेपी में खटपट के बीच अखिलेश का ट्वीट

यूपी बीजेपी में कैसे अनबन की खबरें आईं?

दरअसल, बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक बयान दिया और सभागार कार्यकर्ताओं की तालियों से गूंज उठा. मौर्य ने कहा, संगठन, सरकार से बड़ा है. कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. संगठन से बड़ा कोई नहीं है. कार्यकर्ता ही गौरव हैं. मौर्य के इस बयान पर कयासबाजी शुरू हो गई. कहा जाने लगा कि यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच अनबन चल रही है. ये खबरें आग की तरह फैल गई हैं. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकें चलने लगीं. बुधवार देर रात प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उसके बाद अमित शाह की पीएम मोदी के साथ बैठक हुई. तमाम उठापटक के बीच बीजेपी के सामने उपचुनाव की भी चुनौती है और बीजेपी किसी भी कीमत पर यूपी की 10 की 10 सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने 10 सीटों की जिम्मेदारी तीस मंत्रियों को सौंपी है जो जिताऊ उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करेंगे. 

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अब समझिए अखिलेश के दावे में कितना दम?

क्या बीजेपी के 100 विधायक टूट सकते हैं? और क्या सरकार बदल सकती है? इसे समझने के लिए जरूरी है आंकड़ों का खेल समझना. उपचुनाव से पहले यानी आज की स्थिति में देखा जाए तो यूपी विधानसभा में कुल 393 सदस्य हैं. बहुमत के लिए 197 विधायकों की जरूरत है. अकेले बीजेपी के 251 विधायक हैं. एनडीए के मिलाकर यह संख्या 285 हो जाती है. बीजेपी को राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (सोनेलाल), सुभासपा और निषाद पार्टी के विधायकों का भी समर्थन है.

यह भी पढ़ें: यूपी बीजेपी में खटपट! पूर्व मंत्री सुनील भराला ने खुलकर किया केशव मौर्य का सपोर्ट, भूपेंद्र चौधरी का मांगा इस्तीफा

अखिलेश को चाहिए डबल बूस्टर

सपा का नंबरगेम देखा जाए तो अभी अखिलेश की पार्टी में 105 विधायक हैं. कांग्रेस के 2 विधायक हैं. यानी कुल 107 विधायक हैं. सपा (इंडिया ब्लॉक) को बहुमत के लिए 90 विधायकों की जरूरत होगी. यानी आंकड़े से सपा बहुत दूर है. इसके अलावा, विधायकों के लिए दल-बदल भी संभव नहीं है. क्योंकि दल-बदल कानून का भी पेच है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि अखिलेश यादव भी अच्छे से वाकिफ हैं कि 100 विधायक फिलहाल टूटना बहुत मुश्किल बात है, लेकिन फिर भी उन्होंने यह बयान देकर राजनीतिक चर्चाएं छेड़ दी हैं. ये एक तरह से साइकोलॉजिकल गेम है, जिसे अखिलेश यादव खेलने की कोशिश कर रहे हैं.

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कानूनी पेच क्या है?

किसी पार्टी से बागी होकर विधायक टूटते हैं और दूसरे दल में शामिल होते हैं तो उन्हें सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होता है. क्योंकि सदस्यता ना छोड़ने पर दल-बदल कानून के तहत एक्शन लिया जा सकता है. ऐसे विधायकों की सदस्यता चली जाती है और कानूनी पेच में फंस सकते हैं. हालांकि, कानूनी पेच के दायरे में तब नहीं आएंगे, जब किसी पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा विधायक बागी होते हैं और दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं. 

अखिलेश ने 2022 में भी केशव मौर्य को दिया था ऑफर

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सितंबर 2022 में भी बीजेपी विधायकों और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बड़ा ऑफर दिया था. अखिलेश ने केशव को 100 विधायकों के साथ पाला बदलने पर मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया था. अखिलेश का कहना था कि केशव प्रसाद मौर्य ने सपना तो देखा था मुख्यमंत्री बनने का. आज भी ले आएं 100 विधायक. जो बिहार में हुआ वो यूपी में क्यों नहीं करते हैं? अगर उनमें हिम्मत है और अगर उनके साथ विधायक हैं. एक बार वो बता रहे थे कि उनके पास 100 से ज्यादा विधायक हैं. आज भी विधायक ले आएं. समाजवादी पार्टी समर्थन कर देगी उनका.

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हालांकि, उस समय भी केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश के बयान पर पलटवार किया था. केशव ने कहा था, अखिलेश यादव खुद डूबने वाले हैं. वो मुझे क्या मुख्यमंत्री बनाएंगे? केशव का कहना था कि वे (अखिलेश यादव) अपने 100 विधायक बचाएं. वो सब बीजेपी में आने को तैयार हैं.

लोकसभा चुनाव में किसकी क्या परफॉर्मेंस रही?

लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 36 सीटें जीतीं. एनडीए को 28 सीटों का नुकसान हुआ है. 2019 में एनडीए ने 64 सीटें जीती थीं. इस बार बीजेपी ने 33, आरएलडी ने 2 और एक सीट अपना दल (एस) ने जीती. इंडिया ब्लॉक ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और 43 सीटें जीतीं. इंडिया ब्लॉक को 37 सीटों का फायदा हुआ. सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं. एक सीट पर आजाद समाज पार्टी ने चुनाव जीता है.

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