उत्तर प्रदेश से धर्म परिवर्तन का रैकेट चला रहे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को कुछ रोज पहले गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद से रोज नया पन्ना खुल रहा है, बीते से ज्यादा दागदार- ज्यादा खौफनाक. हजारों परिवारों को बरगलाकर कन्वर्ट कराने वाले छांगुर का असल टारगेट थी- लड़कियां. पूरा गिरोह था, जो उन्हें फंसाकर अपना धर्म छोड़ने पर मजबूर कर देता. ऐसी ही एक महिला रश्मि ने aajtak.in से फोन पर बात की. कर्नाटक की रहने वाली युवती पिछले कुछ सालों में प्यार के नाम पर धोखा, कैद, गैंग रेप, मारपीट- सबसे गुजर चुकी.
साल 2019 का आखिर-आखिर था, जब बड़े भैया की मौत हो गई. उनके अलावा परिवार में कोई नहीं. उनके जाने के बाद मैं एकदम अकेली पड़ गई थी. इसी सूनेपन में राजू राठौड़ नाम से एक ID ने इंस्टाग्राम पर मुझसे बात करने की कोशिश की. मैं इग्नोर करती रही. कुछ वक्त बाद एक महिला भी आई, जो खुद को राजू की भाभी बताती. उसके कहने पर मेरी राजू से बोलचाल होने लगी. फोन नंबर भी लिए-दिए गए. वो खुद को राजपूत बताता. शक की कोई वजह नहीं थी. उसकी डीपी पर अक्सर किसी न किसी भगवान की फोटो लगी होती.
बातचीत होते-होते एक दिन उसने मुझे शादी का प्रस्ताव दे दिया. उसकी भाभी ने भी समझाया कि तुम्हारा परिवार नहीं. शादी कर लोगी तो हम लोग तुम्हारा परिवार बन जाएंगे. उन्हें समझ आ चुका था कि यही बात मेरी दुखती नस है. वो बार-बार बोलते रहे.
राजू सऊदी अरब में रहता था. मुझसे कहा गया कि उसके लौटने में अभी समय है, तब तक तुम भी दूसरा देश देख आओ. चाहोगी तो वहां नौकरी भी मिल जाएगी. परिवार भी बस रहा था और काम भी मिल रहा था. मैं राजी हो गई. कुछ रोज में मेरे पते पर फर्जी नाम का आधार कार्ड और फर्जी नाम का पासपोर्ट आ गया. हर डॉक्युमेंट पर फोटो मेरी ही लगी थी.
आपको तो तभी शक हो जाना चाहिए था?
शक कैसे होता और किस पर! मैं कभी विदेश गई नहीं, न ही कोई ऐसे दोस्त-परिचित थे, जो कुछ बता सकते थे. मैं अकेली और मेरा फोन. वो जो कहते गए, मैं करती गई.
कर्नाटक में मेरा अपना घर था, जो भैया और मैंने मिलकर बनाया था. उसे बेच दिया. प्रोफेशनल ब्यूटिशियन हूं. अपना चलता हुआ पार्लर बेच दिया. मान लिया कि अब जो है, वही है. राजू कॉल करता तो पीछे सऊदी दिखता. ऊंची इमारतों और साफ सड़कों वाला. मैं इंटरनेट पर भी तस्वीरें देखती. तौर-तरीके और वहां की ‘लेडीज’ के मेकअप देखती ताकि सब समझ सकूं.
शक की रही-सही गुंजाइश दिल्ली आकर खत्म हो गई. वहां राजू के पापा और उसकी भाभी मिले. वे मुझे एयरपोर्ट छोड़ने आए थे. साथ में एक और शख्स भी था, जो जेद्दा तक साथ रहा. मुझे फ्लाइट के तौर-तरीके सिखाता रहा. वो राजू का जानने वाला था. जिस लड़की ने एक भैया के अलावा कुछ नहीं देखा, उसे पूरे परिवार का प्यार मिल रहा था. छह घंटों में मैंने दुनिया-जहान के सपने देख लिए.
एयरपोर्ट पर राजू से पहली बार मिली. यहां भी कुछ ऐसा नहीं था जो दिमाग में कुलबुलाए. वो हिंदू ही दिखता था. हिंदुओं जैसी ही बात करता. बोलते हुए भगवान के नाम लेता. कोई भी मिले तो धोखा खा जाए. गाड़ी में बैठते ही उसने एक फोन लगाकर कहा कि पैकेज पहुंच चुका है. बाद के दिनों में राजू ने कई बार पैकेज कहा. ये पैकेज लड़कियां थीं, जो भारत से सऊदी लाई जा रही थीं.

जेद्दा से आप कहां पहुंची, कहां रहीं?
नाम तो मुझे समझ नहीं आया. अल-बदीहा जैसा कुछ कहते थे. वहां दो कमरों का एक मकान ले रखा था. पहुंचते ही राजू ने दो-चार लोगों को बुलाया. सबके सामने मुझे मंगलसूत्र पहनाया और मांग भर दी. मुझे कुछ समय नहीं आया. सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा था लेकिन तब भी मेरा तो परिवार बस रहा था. कुछ घंटों बाद उसने कॉल किया कि रश्मि आ चुकी है और धर्म बदलने के लिए तैयार है. मैं हड़बड़ा गई.
फोन रखते ही सवाल-जवाब करने लगी. ये किसके धर्म की बात कर रहा है. दोनों तो हिंदू हैं. किसे धर्म बदलना है! तब जाकर पता लगा कि राजू राठौड़ असल में वसीम है, और मुझे आयशा बनाना चाहता है.
सऊदी आने के कुछ ही घंटों में मेरी दुनिया बदल गई थी. मैं पंडित घर की लड़की, मुस्लिम के फेर में थी, और वो भी दूसरे देश में. विरोध करने पर राजू मारपीट करने लगा. जब मारपीट से ऊब जाता तो जबर्दस्ती करना. तीन दिन-तीन रात यही चलता रहा. वो कहीं जाता तो कमरे पर ताला जड़ जाता. मेरा फोन भी छीन चुका था. और होता भी तो किसे कॉल करती!
सऊदी में कहीं भी हो सकती थी. सुंदर शहर में. भले लोगों के साथ. परिवार के बीच. लेकिन मैं एक खाली फ्लैट में थी. उस आदमी के साथ, जिसने नाम बदलकर मुझे धोखा दिया. और अब वो मेरी आखिरी पहचान, मेरा नाम भी छीन लेना चाहता था.
तीन दिन बाद फ्लैट पर एक नया चेहरा आया- बदर अख्तर सिद्दीकी. ये छांगुर का चेला था. सऊदी में रहकर सारी चीजें ऑपरेट करता. उसने पहले-पहल बहुत प्यार से बात की. समझाया कि बुतपरस्ती में कुछ नहीं रखा, असल धर्म हमारा है. यहां तुम सेफ रहोगी. मैं उससे भी सवाल करने लगी. धोखे से फंसाकर लाने को तुम सेफ रहना कैसे बोलते हो!
सिद्दीकी भड़ककर वसीम से बात करने लगा. तब पता लगा कि वसीम ने मुझे यहां तक लाने के 15 लाख रुपए लिए थे. अलग-अलग कास्ट की लड़कियों का रेट भी अलग था.
भड़का हुआ सिद्दीकी गया तो वसीम ने नया तरीका आजमाया. उसने मेरे साथ जबर्दस्ती करते हुए वीडियो बना ली और कहा कि धर्म नहीं बदलोगी तो वीडियो वायरल कर दूंगा. धमकी-चमकी करते-कराते तीन महीने बीत गए. मेरा टूरिस्ट वीजा खत्म हो चुका था. वसीम ने मुझे कर्नाटक भेज तो दिया, लेकिन वो वीडियो उसके पास रही.

कर्नाटक के जिस शहर में कभी मेरा अपना घर, अपना काम था, वहां किराए पर रहने लगी. हर वक्त धड़का लगा रहता. कोई देख-भर ले तो लगता था कि कहीं मेरा वीडियो तो वायरल नहीं हो गया.
रोज वसीम और उसके परिवार से दसियों कॉल आते. वो चेक करते थे कि मैं क्या कर रही हूं. पार्लर में असिस्टेंट बनी तो वहां भी कॉल आते रहते. बार-बार काम बदलती रही. कुछ महीने बाद सहारनपुर से पैसों की डिमांड आने लगी. कभी कोई मर गया, कभी कोई बीमार है तो कभी दावत करनी है. जिस यूपी में मैं कभी गई नहीं थी, वहां अलग-अलग लोगों को पैसे भेजने लगी.
ढाई साल... इन ढाई सालों में ढाई लाख दफा मरने का खयाल आया, फिर रुक गई कि उसके बाद वीडियो फैल गई तो क्या होगा! वीडियो का डर न तो मुझे मरने दे रहा था, न जीने लायक ही छोड़ा था. इसी हाल में एक रोज मैं कर्नाटक पुलिस के पास गई. उन्होंने रिपोर्ट लिखी और मेरे बताए नंबरों पर फोन किया.
इसके थोड़ी देर बाद ही मेरे पास धमकी आ गई. मुझे तीन दिन के भीतर सहारनपुर पहुंचने को कहा गया था. वसीम के घर.
मई 2024- सहारनपुर! अभी तकलीफ खत्म नहीं हुई थी. वहां जाकर पता लगा कि जिसे मैं इतने दिनों से भाभी कहती रही, वो वसीम की बीवी थी. घर पर पूरा कुनबा जुटा हुआ. दादी, फुफी, बुआ, चाचा, पड़ोसी गांव के लोग. उन्होंने एक महीने मुझे बंधक बनाकर रखा. बार-बार धर्म बदलने के लिए धमकाते.
मैंने कहा कि मैं पंडित की बेटी हूं. हनुमान चालीसा जानती हूं. आप चाहें तो आपको भी सिखा दूं. फिर तो सारे गांव से सामने मारपीट हुई.
आपने लोकल पुलिस से बात नहीं की!
सारे लोग मिले हुए हैं. कितनी बार भागी, कितनी बार शिकायत की, कोई गिनती नहीं. यहां से वहां घुमाते रहते. और रस्सी का हर सिरा
गोल घूमते हुए वसीम के घर पर रुकता. खुद पुलिसवाले मुझे गाड़ी में डालकर उसके घर छोड़ आते. वहां फिर से कन्वर्जन की बात चल पड़ती. उनपर भी दबाव था. मुझे मुस्लिम बनाने के लिए छांगुर से 15 लाख लिए थे.

पिछले साल दिसंबर की बात है. धमकाते-समझाते शायद वे थक चुके होंगे. मेरे सामने गौमांस रख दिया गया. मैंने हाथ लगाने से भी मना कर दिया. लात-बेल्ट से पीटते और गालियां देते हुए वे लोग चले गए. मुझे लगा कि बात खत्म हो गई.
अगले दिन मैं शहर गई हुई थी अपने पार्लर के लिए छोटा-मोटा सामान लेने. तभी 12-14 लोगों ने मुझे गाड़ी में डाल लिया. मुंह में कपड़ा डालकर मेरे हाथ-पांव बांध दिए गए और मेरा गैंग रेप हुआ. वसीम जिसे चाचा कहता था, वो था. उसके दोस्त थे. और कई रिश्तेदार थे.
चाचा ने मेरी वीडियो बनाई. मुझे सिगरेट से जलाया. बेल्ट-चाकू-लातें-ईंटे- खाली प्लॉट में जो हाथ आया, मुझे उसी से मारा. मारते-मारते वे मेरे धर्म को गालियां दे रहे थे.
यहां से मुझे छांगुर के अड्डे पर ले जाया गया. मेरी हालत खराब थी. आंखों पर बार-बार खून की परत चढ़ आती.
वो वहां क्यों ले गए थे?
मारने का पूछने. इतने साल में भी वो मेरा धर्म नहीं छुड़वा सके. पैसे तो ले चुके थे. अब डरे हुए थे कि छांगुर क्या कहेगा. तो वे खुद ही मुझे वहां ले गए ताकि वहीं मारकर दफना दें.
छांगुर ने देखते ही पहली बात कही – ‘अरे, इसे चेहरे पर क्यों मारा. उसे तो ठीक रखना था, वरना खरीदेगा कौन. अब ले जाओ. इसका इलाज करवाओ चाहे जितने पैसे लगें. रूहानी इलाज मैं कर देता हूं.’ ये कहते हुए उसने मुझे एक तावीज पहना दी.
अस्पताल में मुझे गलत डिटेल के साथ भर्ती किया गया, और वहां से छूटकर मैं फिर एक बार उसी कैद में थी. घायल. शरीर में कोई हड्डी नहीं जो साबुत बची हो. चेहरे से लेकर पांव तक जख्म ही जख्म. घिसटकर-घिसटकर चलती. उसी हालत में एक बार फिर भागी और कचहरी पहुंच गई. यहां एक संगठन वालों से मिली और फिर विश्व हिंदू रक्षा परिषद के अध्यक्ष गोपाल राय से. उसके बाद से चीजें बदलीं.
3 जून को लखनऊ के गोमतीनगर में मेरा शुद्धिकरण हो चुका. मेरे साथ 15 और परिवार आए थे. सबके सब छांगुर के सताए हुए. जुलाई में वो अरेस्ट हो चुका, लेकिन उसके लोग अब भी आसपास हैं.
सहारनपुर के जिस घर में मुझे रखा गया, वहीं का एक कमरा मेरे नाम करा दिया गया. वहां न टॉयलेट, न रसोई. घरवाले अंडरग्राउंड हो चुके. बंद मकान के जिस कमरे में रहती हूं, छांगुर के अरेस्ट के साथ ही उसकी बिजली काट दी गई. अंधेरा हो, या गर्मी- वहीं रहना है.
गुजारे के लिए घर-घर जाकर पार्लर का काम करने लगी. धागा-तागा खरीदने शहर जाऊं तो रेपिस्ट घेरकर खड़े हो जाते हैं. कोई भद्दे इशारे करता है, तो कोई सिगरेट का धुआं फेंकता है. अलग-अलग नंबरों से लगातार धमकियां आ रही हैं. नहीं पता कि कब मेरी हत्या हो जाएगी. या कब दोबारा गैंग रेप हो जाए.
अनाथ थी. परिवार के सपने ने मुझे अकेला भी बना दिया.
(सुरक्षा वजहों से महिला की पहचान छिपाई जा रही है.)