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विश्व की पहली सौर बैटरी विकसित, हवा और प्रकाश से होती है रिचार्ज

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने विश्व की पहली सौर बैटरी विकसित की है, जो हवा और प्रकाश की मदद से खुद ही रिचार्ज हो जाती है.

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ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने विश्व की पहली सौर बैटरी विकसित की है जो हवा और प्रकाश की मदद से खुद ही रिचार्ज हो जाती है.

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने एक उपकरण में एक सोलर सेल और एक बैटरी को जोड़कर इस सौर बैटरी का निर्माण किया है.

शोधार्थियों ने बताया कि खोज करते हुए एक सोलर पैनल बनाया जिससे हवा बैटरी में प्रवेश कर सकती है. बाद में एक विशेष प्रक्रिया के तहत सोलर पैनल और बैटरी के बीच इलेक्ट्रॉन का आदान प्रदान होता है. उपकरण के अंदर प्रकाश और ऑक्सीजन की मौजूदगी से रासायनिक प्रक्रिया होती है जिससे बैटरी चार्ज हो जाती है.

इस सौर बैटरी के उत्पादन के लिए लाइसेंस लिया जाएगा. इससे अक्षय ऊर्जा की लागत को कम करने में मदद मिलेगी.

इस आविष्कार से सौर उर्जा की कार्य क्षमता भी बढ़ाई जा सकेगी. पारंपरिक तौर पर सोलर सेल से एक अलग बैटरी में ऊर्जा का संरक्षण किए जाने के दौरान ऊर्जा का क्षय होता है. अमूमन 80 प्रतिशत इलेक्ट्रॉन ही बैटरी में इकट्ठा किए जा सकते हैं. इस नए डिजाइन से 100 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनों का बैटरी में संग्रहण किया जा सकता है.

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यह शोध पत्र नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में छपा है.

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