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शुद्ध सोने का ताबूत, रोल्स रॉयस कार से निकली शव यात्रा... ऐसे दी गई शख्स को अंतिम विदाई

पिता के अंतिम विदाई को भव्य और यादगार बनाने के लिए बेटों ने सोने के ताबूत में रखकर उनकी रोल्स रॉयस कार में शव यात्रा निकाली. शव यात्रा भी अनोखी थी. परिवार वाले शव को रोल्स रॉयस कार में रखकर एक सप्ताह तक अलग-अलग स्थानों का दौरा किया.

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एक शख्स को सोने के ताबूत में रखकर और रोल्स रॉयस पर शव यात्रा निकालकर अंतिम विदाई दी गई (Photo - AI Generated)
एक शख्स को सोने के ताबूत में रखकर और रोल्स रॉयस पर शव यात्रा निकालकर अंतिम विदाई दी गई (Photo - AI Generated)

एक शख्स को मरने के बाद ऐसी अंतिम विदाई दी गई, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है. परिवार वालों ने उनकी रोल्स रॉयस कार पर शव यात्रा निकाली. एक सप्ताह तक अलग-अलग जगह भ्रमण होता रहा. इसके बाद सोने के ताबूत में उन्हें दफनाया गया.     

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, 69 वर्षीय फ्रैंक थॉम्पसन को उनके परिवार शुद्ध  और ठोस सोने के ताबूत में दफनाया. साथ ही रोल्स रॉयस पर उन्हें एक सप्ताह के विदाई दौरे पर ले गए.  थॉम्पसन एक सम्मानित ट्रैवलर यानी की जिप्सी परिवार के मुखिया को थे. 

ताबूत बनाने में लाखों रुपये किए खर्च
थॉम्पसन के ताबूत को बनाने में उनके बेटों ने लाखों रुपये खर्च किए. वहीं अंतिम विदाई में करोड़ों खर्च किया. उनके परिवार ने कहा कि पिता के सम्मान के आगे पैसा कोई चीच नहीं है. जब फ्रैंक थॉम्पसन का 69 साल की उम्र में सीने में संक्रमण के कारण निधन हुआ , तो एक पारिवारिक मित्र ने बताया कि पूरा परिवार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतिम विदाई देने के लिए तत्पर था. 

परिवार के लोगों ने एक ठोस सोने का ताबूत खरीदा और एक रोल्स रॉयस कार में शव को लेकर नॉटिंघम और मैनचेस्टर के उन स्थानों की एक एक सप्ताह लंबी विदाई यात्रा पर निकली, जहां फ्रैंक ने व्यवसाय और टारमैक यार्ड संचालित किए थे. साथ ही उन कब्रिस्तानों का भी दौरा किया, जहां उनके दोस्तों और परिवार को दफनाया गया था.

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दफन करने के लिए संगमरमर का कब्र बनवाया
उनके एक मित्र ने बताया कि उन्होंने दक्षिण लंदन के कब्रिस्तान में उनके प्लॉट पर एक विशाल संगमरमर का मकबरा बनवाया जा रहा है. इसके निर्माण में एक वर्ष का समय लगेगा. मित्र ने बताया कि फ्रैंक को सम्मानित करने तथा दुनिया को यह दिखाने के लिए उसे भव्य विदाई दी जा रही है. उनके परिवार वालों ने सोने का ताबूत बनवाया. 

फ्रैंक के मित्र ने बताया कि इस ताबूत को उनके बेटे ने इसे विदेश से मंगवाया था. इसे आने में कई हफ्ते लग गए. उनकी मृत्यु को लगभग एक महीना हो गया था, तब जाकर हम उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर पाए. जैसे-जैसे यह प्रक्रिया आगे बढ़ती गई, यह और भी बड़ी होती गई.

एक साल में पूरा होगा मकबरे का निर्माण कार्य
पहले हम सबसे अच्छा ताबूत बनाना चाहते थे. फिर ताबूत के लिए सामग्री पर चर्चा हुई. फिर हमें एहसास हुआ कि हमें उन्हें जमीन में दफनाने की जरूरत नहीं है - हम अलग से एक कब्र भी बना सकते हैं. इसके बाद संगमरमर का सुंदर सा कब्र बनाया गया. इसके साथ ही संगमरमर का भव्य मकबरा बनाया जा रहा है.

फ्रैंक का 2 जुलाई को निधन हो गया था. उनके परिवार में उनकी पत्नी और बच्चे बचे हैं. उनका अंतिम संस्कार 23 जुलाई को शुरू हुआ और अंततः 29 जुलाई को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. वर्तमान में उनके ताबूत के चारों ओर संगमरमर के स्मारक का काम चल रहा है, जिसके लगभग 12 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है.

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