कहते हैं कि असली सीख का असली टेस्ट लाइव सिचुएशन में ही होता है. कुछ ऐसा ही हुआ राजधानी एक्सप्रेस में, जहां एक बुजुर्ग के लिए चार ट्रेनी नर्स फरिश्तों की तरह बनीं. सीपीआर के बारे में कहा जाता है कि अगर इसे समय पर दिया जाए, तो मरीज की जान भी बचाई जा सकती है.
यह घटना उस वक्त हुई जब रात के करीब 12:30 बजे थे. बुजुर्ग यात्री अचानक अपनी सीट पर बेहोश हो गए. बुजुर्ग की हालत ऐसी थी कि उन्हें फौरन मेडिकल इमरजेंसी की जरूरत थी. उसी डिब्बे में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला की चार ट्रेनी नर्स भी सवार थी. ट्रेन में बुजुर्ग की हालत देखकर उन्होंने फौरन अपना फर्ज निभाया. बुजुर्ग को सीपीआर दिया. नर्सों ने फोर्टिस में मिली अपनी बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग का इस्तेमाल करते हुए यात्री की जान बचाई.
ऐसे किया बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग का इस्तेमाल
सुमन, श्रेया दास, उमा मन्ना और श्री सिबसांकर गिरी ये चारों नर्सें कोलकाता से अपनी ट्रेनिंग पूरा करके राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली लौट रही थीं. ट्रेन के सफर के दौरान जब उन्होंने बुजुर्ग यात्री को बेहोश होते देखा, तो बिना वक्त गंवाए उन्होंने पहले उसकी हालत को जांचा. उमा ने देखा कि बुजुर्ग की सांसें नहीं चल रही थीं और उसकी नब्ज भी गायब थी. उन्होंने फौरन अपने साथी नर्सों के साथ मिलकर बुजुर्ग को सीट से नीचे उतारा और CPR देना शुरू किया.
इसी दौरान, नर्सों में से एक ने ट्रेन की इमरजेंसी चेन खींच दी, जिससे ट्रेन कानपुर जंक्शन पर रुकी. जैसे ही ट्रेन रुकी, वहांमौजूद मेडिकल टीम ने बुजुर्ग को अस्पताल पहुंचाने का इंतेजाम किया.
यात्रियों ने इस पूरी घटना को देखते हुए नर्सों के इस कदम की जमकर तारीफ की. एक यात्री ने कहा-अगर ये नर्सें सही समय पर मदद नहीं करतीं, तो शायद यात्री की जान नहीं बच पाती.
घटना पर बात करते हुए उमा मन्ना ने कहा-जब हमने देखा कि हमारे सहयात्री की हालत खराब हो रही है, तो हमने बिना देरी किए अपनी ट्रेनिंग का इस्तेमाल किया. फोर्टिस में मिली BLS ट्रेनिंग से हमें यह सिखाया गया कि किस तरह इमरजेंसी में मरीज की जान बचाई जा सकती है.