
कहानी शैतान फिल्म की है. अजय देवगन के घर एक अजनबी आर माधवन बहाने से आते हैं और यहां आने से पहले वो उनकी बेटी को लड्डू खिलाकर उसे इस तरह वश में कर लेते हैं कि एक इशारे पर वो अपनी जान देने और मां-बाप की जान लेने को तैयार हो जाती है. फिल्म देखने के बाद जहां कुछ लोग अपने साथ हुए काले जादू या वशीकरण के अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं तो वहीं कुछ इसे फिल्मी बकवास बता रहे हैं. सवाल है कि क्या वाकई वशीकरण होता है? अगर हां, तो किस स्तर तक? कैसे? और क्या इससे बचा जा सकता है?
दिल्ली में रहने वाली क्लिनिकल हिप्नोथेरेपिस्ट ऋचा सुमन व्यास कहती हैं कि फिल्म में थोड़ा ज्यादा ड्रामेटिक कर दिया गया. ऐसा केस तो मैंने नहीं देखा है. लेकिन वशीकरण का मतलब है कि किसी ने किसी को अपने वश में कर लिया है और वो इंसान अपनी सुध-बुध खो बैठा हो. इससे दिमाग में कई तरह के इल्यूजन क्रिएट किए जाते हैं. एक केस मैंने सुना था, जिसमें लगेगा कि कोई सामने बैठा है, कोई बात कर रहा है, कोई शरीर को दबा रहा है. लगता है कि किसी ने बहुत बड़ा वजन रख दिया है.
ऋचा ने कहा कि इससे सबको डरने की जरूरत नहीं है. अगर आपका कर्मा अच्छा है, लाइफस्टाइल हेल्दी है, पॉजिटिव सोच है, आपके इरादे नेक हैं, तो आपपर इसका कोई असर नहीं होगा या बहुत कम असर होगा. पॉजिटिव-निगेटिव इमोशन ही वाइब्रेशन हाई और लो करते हैं. अगर वाईब्रेशन लो हो तो सुरक्षाकवच में छेद हो जाते हैं, जिससे ये ऑरा में जल्दी प्रवेश कर सकता है.
ऋचा उदाहरण देते हुए बताती हैं कि कहीं जंगली खेती या खरपतवार होती है, अगर उसे उखाड़कर हम सीमेंट वाली फ्लोर पर डालें तो वो वहां नहीं उगेगी क्योंकि उसे फर्टाइल जमीन नहीं मिली. वहीं अगर आपके पास ये फर्टाइल जमीन नहीं है, तो आपपर इस तरह की चीजें असर नहीं करेंगी. इसलिए अपने ऑरा को मजबूत रखें क्योंकि अगर आपका कोई पार्ट कमजोर है, तो वही ऐसी निगेटिव एनर्जी को प्रवेश करने की इजाजत देता है.
कुछ लोग हनुमान जी के भक्त होते हैं, तो कुछ मां दुर्गा के, तो कोई किसी गुरु का भक्त होता है. अगर बिलीफ सिस्टम मजबूत है कि मेरे साथ भगवान हैं, तो उसे कुछ नहीं होगा. पॉजिटिव लाइफस्टाइल होना चाहिए, गुरु में आस्था होनी चाहिए. ये सब नकारात्मक चीजों से बचाते हैं. ऑरा को मजबूत करते हैं.

पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी और सोल हीलिंग की एक्सपर्ट क्लिनिकल हिप्नोथेरेपिस्ट नोएडा की हरप्रीत शर्मा कहती हैं कि दुनिया भर में लोग वशीकरण कर लेते हैं. सबसे बड़ी चीज यही है कि आपका ऑरा कितना मजबूत है. अगर अंदर से मजबूत हैं तो ऐसे जादू का प्रभाव आप पर नहीं पड़ेगा. हम सभी दिव्य आत्माएं हैं. हम एक उद्देश्य से धरती पर आए हैं, हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं अपने माता-पिता के प्रति, ये कर्मभूमि है. हम ऐसे लोगों में यही इंटेशन डालते हैं, जिनका माइंड निगेटिव एनर्जी से प्रभावित हो जाता है. हम पॉजिटिव उर्जा के जरिए शख्स के भीतर ये इंटेशन डालते हैं. इससे असर पड़ता है. सकारात्मक उर्जाएं आपके साथ हो जाती हैं.
हरप्रीत भी कहती हैं कि ऑरा मजबूत होना चाहिए, इसके लिए पूजा पाठ करें. निगेटिव एनर्जी को दूर करने के कई उपाय ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र में बताए गए हैं. उनका इस्तेमाल कर सकते हैं.
होली और दिवाली के मौके पर चौराहों पर अक्सर जादू-टोने जैसा किया हुआ मिल जाता है? ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे बचा जाए? इस सवाल के जवाब में हरप्रीत का कहना है कि अमावस्या या पूर्णिमा की रात को लोग खूब तंत्र क्रिया करवाते हैं क्योंकि इस दौरान नकारात्मक शक्तियां काफी हाई होती हैं. ऋचा कहती हैं कि लेकिन अगर कुछ पड़ा हुआ दिख रहा है तो उससे बचकर निकलो. अगर गलती से पैर पड़ भी गया है, तो भूल जाओ कि आपसे ऐसा कुछ छुआ है. डरना नहीं है.
ऋचा क्लिनिकल हिप्नोथेरेपिस्ट हैं. वो कहती हैं कि मैं जो करती हूं एक क्लिनिकल सेटअप में करती हूं. ये एक बहुत ही साइंटिफिक तरीका है. मैं माइंड के ऊपर काम करती हूं कि क्या कंडीशंस थीं. कौन सा कमजोर पार्ट था, आपकी जिंदगी में क्या चल रहा था, जिसकी वजह से आप परेशान हुए. सबसे पहले मैं उस इंसिडेंट को हील करूंगी. फिर मैं माइंड के जरिए ही यकीन दिलाऊंगी कि ये चीज हील हो चुकी है.

वहीं हरप्रीत का कहना है कि निगेटिव एनर्जी का असर ऑरा कमजोर होने पर पड़ता है. इसलिए ऑरा मजबूत करना जरूरी है. हम पॉजिटिव एनर्जी देने का काम करते हैं. लोगों को हीलिंग प्रोसेस के दौरान नॉन वेज और शराब का सेवन न करने की सलाह देते हैं. इसके अलावा हम क्लिनिकल हिप्नोथेरेपी के जरिए इंसान को पास्ट में लेकर जाते हैं. जिससे पता चल सके कि उस तक वो निगेटिव एनर्जी कहां से आई है. पहले हम कमजोर ऑरा को ठीक करते हैं. उसके बाद निगेटिव एनर्जी पर काम करते हैं.
उदाहरण के तौर पर उस उम्र में अगर कोई बच्चा परीक्षा पास नहीं कर पाया. उसमें एक भावना आ गई, कि वो फेलियर है. उसने अपने भीतर यही चीज रखी हुई है. वो अपनी जिंदगी की हर चीज में फेल हो जाता है. चाहे उसने अपना 100 पर्सेंट ही क्यों न दिया हो. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसने अपने माइंड की प्रोग्रामिंग ही ऐसी कर ली है. तो हम उस स्टेट में जाकर उसकी स्क्रिप्ट बदल देते हैं और कहते हैं कि सब ठीक है.