संचार साथी (Sanchar Saathi) एक ऐप है जिसके माध्यम से उपभोक्ता यह जांच कर सकते हैं कि उनका फोन चोरी का है या असली. साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और मोबाइल फोन की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए संचार मंत्रालय ने सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों के लिए नया निर्देश जारी किया है, इसके अनुसार, अब हर नए फोन हैंडसेट में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा. यह नियम भारत में निर्मित ही नहीं, बल्कि आयात किए जाने वाले सभी नए मोबाइल फोनों पर भी लागू होगा.
आमतौर पर कंपनियां नए फोन की बिक्री से पहले कई ऐप प्री-इंस्टॉल करती हैं, और अब उनमें संचार साथी ऐप को भी शामिल करना आवश्यक होगा. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अगले 90 दिनों के भीतर इस निर्देश का पालन करना होगा और 120 दिनों के भीतर निर्माता कंपनियों को सरकार को अनुपालन रिपोर्ट भेजनी होगी. इसके अलावा मोबाइल अपडेट की तरह इस ऐप का ऑटो अपडेट फीचर भी उपलब्ध कराना जरूरी होगा.
संचार साथी पोर्टल वर्ष 2023 में शुरू हुआ था और इसका मोबाइल ऐप जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया. यह ऐप उपभोक्ताओं को फोन चोरी की शिकायत दर्ज करने और मोबाइल की वैधता जांचने की सुविधा देता है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल अक्टूबर तक संचार साथी के माध्यम से 50,534 चोरी हुए फोन बरामद किए जा चुके हैं, जो जून 2024 में रिकवर हुए 34,339 फोनों की तुलना में लगभग 47% अधिक है. अगस्त 2024 में 45,243 फोन की रिकवरी हुई थी. मंत्रालय का दावा है कि इस प्रणाली की मदद से हर मिनट एक चोरी या खोया हुआ फोन वापस मिल रहा है. उपभोक्ता एप के माध्यम से यह भी जांच सकते हैं कि उनका फोन चोरी का है या असली.
COAI के प्रस्ताव के तहत स्मार्टफोन में हमेशा लोकेशन ऑन रहने की मांग की गई है. Apple और Google ने इसे प्राइवेसी खतरा बताया. जानिए पूरा मामला.
संचार साथी के प्री इंस्टॉल का फैसला वापस, देखिए क्या बोले कांग्रेस नेता इमरान मसूद.
RJD नेता मनोज झा ने संचार साथी ऐप पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होनें कहा कि 'सरकार वॉटर टेस्ट करती है, कोई चीज बोलकर फिर कहते है हमारी ये मंशा नही थी, जब मैनें मंत्री जी को सुना तो मुझे बड़े विरोधाभासी लगे. उनके मंत्रालय का नोटिफिकेशन उनके जुबान के ठीक उल्टा बोल रहा था.'
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने संचार साथी ऐप पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होनें कहा कि 'सरकारी पक्ष और ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के बयान के बाद ये बहस बंद हो जानी चाहिए. उन्होनें कहा है कि इसका स्नूपिंग या टेपिंग से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है.'
आम आदमी पार्टी के नेता हरपाल सिंह चीमा ने 'संचार साथी' ऐप पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार पर सवाल उठाए है. उन्होनें कहा कि 'यह मोबाइल ऐप लोगों की निजता और निजी आजादी पर बड़ा हमला है. इस ऐप के माध्यम से आपके मोबाइल का पूरा डाटा सरकार के पास पहुंच जाएगा, जिसका दुरुपयोग होने का खतरा है.'
संचार साथी ऐप को एक दिन के अंदर बंपर डाउनलोड्स हासिल हुए हैं. संचार साथी ऐप ने मंगलवार के दिन करीब 6 लाख डेली डाउनलोड एवरेज को छुआ. इससे पहले डेली डाउनलोड का एवरेज 60 हजार डाउनलोड्स का रहता था. संचार साथी ऐप की विपक्ष की तरफ से भी आलोचना की जा रही है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
केंद्र सरकार के साइबर सिक्योरिटी और सेफ्टी ऐप संचार साथी ने डाउनलोड्स में नया रिकॉर्ड बनाया है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन में एक सोर्स ने 3 दिसंबर को बताया कि 10 गुना ज्यादा लोगों ने संचार साथी ऐप डाउनलोड किया है.
केंद्र सरकार ने भारी विरोध और गोपनीयता संबंधी चिंताओं के चलते मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए संचार साथी ऐप की प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में कहा कि संचार साथी ऐप के माध्यम से जासूसी न तो संभव है, न ही कभी संभव होगी.
केन्द्र सरकार ने भारी विरोध और गोपनीयता से जुड़ी चिंताओं के बाद 3 दिसंबर को मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए संचार साथी ऐप की प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्यता को खत्म कर दिया है.
देश में संचार साथी ऐप को लेकर एक बड़ा विवाद छिड़ा हुआ है.विपक्ष ने इस ऐप को लोगों की निगरानी और जासूसी के उपकरण के तौर पर आरोपित किया है. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि संचार साथी ऐप का इस्तेमाल जासूसी के लिए नहीं किया जा सकता और यह तब तक सक्रिय नहीं होगा जब तक उपयोगकर्ता इसे रजिस्टर नहीं करता.
लोकसभा में संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने को लेकर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के बीच तीखी बहस हुई. सिंधिया ने स्पष्ट किया कि नियम 7B में यूजर पर कोई पाबंदी नहीं है और ऐप को अनइंस्टॉल किया जा सकता है, यह नियम केवल निर्माता कंपनियों के लिए है और इसका उद्देश्य जनता को साइबर फ्रॉड से बचाना है.
भारत में संचार साथी एप पर विपक्ष ने जोरदार आपत्ति जताई है. सवाल है कि दुनिया की दूसरी महाशक्तियां अपने यहां साइबर फ्रॉड पर कैसे लगाम लगाती हैं. सिंगापुर और यूरोपियन यूनियन में ऐसा एक एप है, लेकिन क्या इसे इन्सटॉल करना बाध्यकारी है. ऐसे फ्रॉड को रोकने के लिए अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देश क्या तरीका अपनाते हैं.
भारत में संचार साथी ऐप पर विवाद, निगरानी बनाम सुरक्षा बहस. जानें USA, China, EU, Singapore और Russia साइबर सिक्योरिटी कैसे लागू करते हैं.
संचार साथी एप को लेकर सरकार ने सफाई दी है कि यह एप अनिवार्य नहीं है और इसे उपयोगकर्ता अपने फोन से डिलीट भी कर सकते हैं. विपक्ष ने नोटिफिकेशन वापस लेने की मांग की है और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की संभावना है. विपक्ष और सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर वार्ता कर रहे हैं कि शीतकालीन सत्र सुचारू रूप से चले या नहीं. विपक्ष इसे लेकर विरोध जता सकता है.
Sanchar Sathi App को लेकर खूब चर्चा हो रही है. इस दौरान कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. सरकार ने कुछ अफवाहों को दूर करते हुए सफाई दी है और संचार साथी ऐप की सच्चाई बताई है. ये ऐप बड़े ही काम का है, जिसमें जरूरी फीचर्स भी मिलते हैं. साथ ही सरकार ने सर्विलांसिंग के आरोप को पूरी तरह से गलत बताया है और कहा कि इस ऐप को यूजर्स चाहें तो डिलीट भी कर सकते हैं.
DoT की ओर से सभी मोबाइल फ़ोन निर्माता कंपनियों को 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश दिया गया. इस निर्देश को लेकर बवाल मच गया है. विपक्षी दलों का कहना है कि ये जासूसी ऐप है और यह साफ़ तौर पर प्राइवेसी का उल्लंघन है.
संसद में संचार साथी ऐप को लेकर जबरदस्त विवाद हुआ था. दूरसंचार विभाग के आदेश के तहत सभी मोबाइलों में यह ऐप अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टाल करने को लेकर हंगामा मचा था. इस मामले पर दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि संचार साथी ऐप अनिवार्य नहीं है और उपयोगकर्ता इस ऐप को अपने मोबाइल से हटा सकते हैं.
संचार साथी ऐप को लेकर काफी हंगामा हुआ है. DoT ने एक आदेश जारी कर मोबाइल मैन्युफैक्चर्र्स को भारत में इस्तेमाल होने वाले सभी फोन्स में इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करने के लिए कहा था. विपक्ष के इसका विरोध करते हुए सरकार पर लोगों की जासूसी का आरोप लगाया. वहीं ऐपल इस मामले में सरकार को इनकार करने की तैयारी में है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
आने वाले दिनों में सभी कंपनियों को अपने स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने को कहा है. इसके बाद Apple को लेकर जानकारी सामने आई है, जिसमें बताया है कि वह इसको लेकर सरकार से बातचीत करेगी और वह इस ऑर्डर को फॉलो नहीं करेगी.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि अब तक 26 लाख फोन ट्रेस किए गए हैं, जिनमें से 7 23 लाख फोन सफलतापूर्वक नागरिकों को लौटाए गए हैं. ऐप पर 20 करोड़ से अधिक लोग पोर्टल का उपयोग कर चुके हैं और 1.5 करोड़ से अधिक यूजर्स जुड़े हुए हैं. ये पहल डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और नागरिकों के विश्वास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
संचार साथी को लेकर जारी एक नोटिफिकेशन के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस ऐप के जरिए लोगों की जासूसी करना चाहती है. यहां तक की इसकी तुलना स्पाईवेयर पेगासस से भी हो रही है. हालांकि, सरकार इस तरह से सभी आरोपों से इनकार कर रही है. आइए जानते हैं संचार साथी ऐप से क्या किसी की जासूसी हो सकती है.