प्रज्ञा सिंह
प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Takhur), जिन्हें साध्वी प्रज्ञा (Sadhvi Pragya) के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. वह भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं (Sadhvi Pragya BJP) और भोपाल का प्रतिनिधित्व करती हैं. अपने कॉलेज के दिनों में, वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की एक सक्रिय सदस्य थीं और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विभिन्न संबद्ध संगठनों में शामिल हो गईं.
साध्वी प्रज्ञा ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ चल रहे भोपाल निर्वाचन क्षेत्र से 2019 का भारतीय आम चुनाव लड़ा. उन्होंने अपना पहला मुकाबला 364,822 मतों के अंतर से जीता था. वह 2019 के चुनाव की "प्रतीक" बन गई, जिसमें हिंदुत्व विचारधारा के अस्पष्ट तत्व मुख्यधारा बन गए. प्रज्ञा ठाकुर अपने बयानो को लेकर कफी चर्चा में रहती है (Sadhvi Pragya in Politics).
2008 के मालेगांव बम विस्फोट प्रज्ञा ठाकुर को आतंकवाद के आरोपों के तहत अक्टूबर 2008 में मुख्य आरोपियों में से एक के रूप में गिरफ्तार किया गया था. मुंबई के एटीएस ने दावा किया कि ठाकुर ने 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोटों का बदला लेने के लिए एक समूह बनाया था और बम विस्फोट में उसकी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया था. यह मोटरसाइकिल ठाकुर की गिरफ्तारी में एक महत्वपूर्ण सबूत थी.19 जनवरी 2009 को महाराष्ट्र पुलिस ने मालेगांव विस्फोटों के लिए आरोप पत्र दायर किया. हालांकि, 2009 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के खिलाफ लगाए गए आरोपों को हटा दिया गया क्योंकि प्रज्ञा इसके सदस्य साबित नहीं हुई थीं (Sadhvi Pragya Malegaon Blast).
प्रज्ञा ठाकुर का जन्म 2 फरवरी 1970 को मध्य प्रदेश में हुआ था (Sadhvi Pragya Age). उनके पिता, चंद्रपाल सिंह, मध्य प्रदेश के भिंड में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता थे (Sadhvi Pragya Father). प्रज्ञा ने लहार कॉलेज, भिंड से पढ़ाई की है (Sadhvi Pragya Education).
भोपाल में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि जो बेटी अपनी मर्जी से किसी दूसरे धर्म के युवक से शादी करे, उसकी टांगे तोड़ देनी चाहिए. साध्वी ने कहा कि जो बेटियां संस्कार नहीं मानतीं, उन्हें सख्ती से सिखाना जरूरी है. बयान वायरल होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई.
भोपाल में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का विवादित बयान सामने आया है, जिसने सियासी हलचल मचा दी है. एक धार्मिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर कोई लड़की अपनी मर्जी से किसी विधर्मी से शादी करें तो उसकी टांगे तोड़ देनी चाहिए. साध्वी ने कहा, जो बेटी संस्कारों से नहीं मानती, उसे प्रताड़ना देनी पड़ती है.
विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि हथियारों को जरा धार तेज करके रखना चाहिए क्योंकि, जब हमारी बेटियों-बहनों को घरों में से उठाकर उनके टुकड़े करके रोड पर बिखेर दिए जाते हैं तो हमारे अंदर बहुत पीड़ा होती है.
भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए विवादित और भड़काऊ बयान दिया. जिससे राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में हलचल मच गई है. साध्वी प्रज्ञा ने मंच से बोलते हुए हिंसा का खुला आह्वान किया और दुर्गा वाहिनी की महिलाओं से कहा कि से अपने-अपने घरों में हथियार रखना चाहिए और उनकी धार तेज करके रखनी चाहिए .
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मालेगांव 2008 धमाके के पीड़ितों द्वारा दायर की गई अपील पर सुनवाई की. अदालत ने पीड़ितों से पूछा है कि क्या वे ट्रायल में गवाह थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि हर कोई अपील दायर नहीं कर सकता है, क्योंकि एनआईए और एटीएस ने अभी तक कोई अपील दायर नहीं की है.
MP की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने वृंदावन में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात के दौरान लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ तीखा रुख अपनाया.
कर्नल पुरोहित के पुणे स्थित आवास के बाहर उनके स्वागत के लिए खड़े एक्टर नितीश भारद्वाज ने कहा, 'हमें बहुत खुशी है, यूपीए सरकार के नेताओं ने जो भगवा आतंक की शब्दावली बनाई थी, आज उसकी हार हुई है.
मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक आरोप सामने आया है. एक व्यक्ति ने बताया कि मालेगांव ब्लास्ट के दौरान उन पर कई लोगों के नाम लेने का दबाव बनाया जा रहा था. व्यक्ति के अनुसार, उन्हें नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत का नाम लेने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था.
साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि मैंने किसी का भी नाम नहीं लिया और इसलिए मुझे महाराष्ट्र एटीएस के तत्कालीन अधिकारियों के इशारे पर हिरासत में बहुत टॉर्चर किया गया. पूर्व बीजेपी सांसद ने कहा कि 2008 का मालेगांव विस्फोट कांग्रेस की साजिश थी.
मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पहली बार भोपाल पहुंचीं. भोपाल एअरपोर्ट पर उनके समर्थकों ने जबरदस्त तरीके से उनका स्वागत किया. आज तक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'सत्यमेव जयते'. उन्होंने यह भी बताया कि उनके ऊपर तमाम बड़े लोगों के नाम लेने का दबाव बनाया गया था, लेकिन वह टूटी नहीं.
साध्वी प्रज्ञा भोपाल सत्र न्यायालय में जमानत की शर्तों के तहत सिक्योरिटी फॉर्मेलिटी पूरी करने पहुंची थीं. बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखकर टॉर्चर किया गया. यह पहला मौका है जब प्रज्ञा ठाकुर ने सार्वजनिक रूप से इस तरह का दावा किया है. हालांकि, एनआईए की विशेष अदालत के 1036 पन्नों के फैसले में इस तरह के किसी आरोप का उल्लेख नहीं किया गया है.
मालेगांव धमाका केस में 17 साल बाद कोर्ट का फैसला आया और सभी 7 आरोपी बरी कर दिए गए. मालेगांव केस में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं मिले. अब सवाल है कि क्या मालेगांव ब्लास्ट केस के जरिए 'भगवा' को बदनाम करने की कोशिश की गई. देखें ब्लैक एंड व्हाइट.
आजतक के शो बहस बाजीगर में 'हिंदू आतंकवाद' के मुद्दे पर गहन चर्चा हुई. बहस में मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपियों की रिहाई और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए. भगवा आतंकवाद और वोट बैंक राजनीति के साथ बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक राजनीति पर भी चर्चा हुई.
मालेगांव ब्लास्ट केस पर आए कोर्ट के फैसले के साथ ही महाराष्ट्र से दिल्ली तक जुबानी जंग शुरू हो गई है. कोर्ट ने इस मामले में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. फैसले में कोर्ट ने साफ कहा कि भगवा आतंकवाद की थ्योरी सिर्फ एक फेक नैरेटिव थी.
मालेगांव बम धमाके के 17 साल बाद अदालत ने फैसला सुनाया है कि जांच एजेंसियों द्वारा जिन लोगों पर आरोप लगाए गए थे, वे सातों आरोपी निर्दोष हैं. अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत और गवाह मौजूद नहीं हैं. पीड़ित परिवारों ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है.
मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल के बाद एनआईए की विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया. हालांकि, जमीयत ने इस फैसले पर असंतोष जताया. देखें मुंबई मेट्रो.
मालेगांव धमाके में इस्तेमाल दोपहिया वाहन पर बम लगाए जाने का आरोप था. ATS ने दावा किया था कि वह स्कूटर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का था, लेकिन कोर्ट ने कहा कि उस वाहन का चेसिस और इंजन नंबर पूरी तरह स्पष्ट नहीं थे. कोर्ट ने पूरी जांच में इस तरह की कई खामियां पाईं.
मालेगांव धमाके के 17 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने सात आरोपियों को निर्दोष साबित कर बरी किया. इस फैसले ने असली गुनहगारों की पहचान पर सवाल खड़े किए हैं. महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए की जांच पर भी सवाल उठे हैं. कोर्ट ने कहा कि संदेह के आधार पर दोषी ठहराना उचित नहीं.
मालेगांव बम धमाका मामले में 17 साल बाद विशेष एनआईए अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. इस फैसले ने 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी पर सवाल खड़े किए हैं, जिसे तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व द्वारा गढ़ा गया बताया गया था. अदालत ने सबूतों में छेड़छाड़ और जांच प्रक्रिया में खामियों का उल्लेख किया.
आज 31 जुलाई 2025 को एनआईए की विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. यह वही मामला था जिसके बाद देश में 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी गढ़ी गई थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि घटनास्थल पर कोई एहतियात नहीं बरता गया, सबूतों के साथ छेड़छाड़ हुई और बैरिकेडिंग तक नहीं की गई.
एक मामले में 17 साल का लंबा समय बीत जाने के बाद भी सवाल अधूरे हैं, उन पीड़ितों के लिए भी और उन लोगों के लिए भी जिन्हें आरोपी बनाया गया. इस निर्णय के बाद एक वक्ता ने कहा कि जांच एजेंसियां अपराधी नहीं ढूंढ रही थीं, वे भगवा को अपराधी सिद्ध करने के प्रयत्नों में थीं. उन्होंने कहा कि ऋषि परंपरा को लांछित करने का प्रयत्न किया गया और भगवा आतंकवाद का वातावरण बनाने की कोशिश की गई.