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'भगवा आतंकवाद कहने वालों का मुंह हुआ काला', मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले पर बोलीं साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि मैंने किसी का भी नाम नहीं लिया और इसलिए मुझे महाराष्ट्र एटीएस के तत्कालीन अधिकारियों के इशारे पर हिरासत में बहुत टॉर्चर किया गया. पूर्व बीजेपी सांसद ने कहा कि 2008 का मालेगांव विस्फोट कांग्रेस की साजिश थी.

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मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद भोपाल पहुंचीं साध्वी प्रज्ञा. (Photo: PTI)
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद भोपाल पहुंचीं साध्वी प्रज्ञा. (Photo: PTI)

मालेगांव ब्लास्ट केस में स्पेशल एनआईए कोर्ट द्वारा बरी होने के बाद पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पहली बार रविवार को भोपाल पहुंचीं. राजा भोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाहर जुटे समर्थकों ने साध्वी प्रज्ञा का जोरदार स्वागत किया. यहां आज तक से बातचीत में उन्होंने कहा, 'सत्यमेव जयते. मेरे ऊपर बड़े लोगों का नाम लेने के लिए बहुत दबाव था पर मैं नहीं टूटी'.

साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि मैंने किसी का भी नाम नहीं लिया और इसलिए मुझे महाराष्ट्र एटीएस के तत्कालीन अधिकारियों के इशारे पर हिरासत में बहुत टॉर्चर किया गया. पूर्व बीजेपी सांसद ने कहा कि 2008 का मालेगांव विस्फोट कांग्रेस की साजिश थी. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की और कहा कि भगवा आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ने वालों का मुंह काला हुआ है. 

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मेरे साथ जो हुआ उसपर मैं कार्रवाई करूंगी: साध्वी प्रज्ञा

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि मेरे साथ जो हुआ है उसपर मैं कार्रवाई तो करूंगी, आगामी दिनों में देखूंगी क्या करना है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने एक विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए मालेगांव ब्लास्ट केस में 'भगवा आतंकवाद' का नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने हमेशा मुसलमानों के लिए तुष्टिकरण की राजनीति अपनाई है. उन्होंने हिंदुओं को हर तरह से प्रताड़ित किया, उन्हें जेल में डाला और उन पर झूठे मुकदमे लगाए. भगवा आतंकवाद और हिंदुत्व आतंकवाद जैसे नाम गढ़े. कांग्रेस ऐसी ही ओछी मानसिकता रखती है. यह कांग्रेस की साजिश थी और यह देशद्रोह के बराबर है.'

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मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को बरी किया

महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल शहर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मोटरसाइकिल में रखा इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) फटने से छह लोग मारे गए और लगभग 100 घायल हो गए. सत्रह साल बाद, 31 जुलाई 2025 को मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने विश्वसनीय और ठोस सबूतों के अभाव में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया.

प्रज्ञा ने कहा कि सत्य की जीत हुई है और इस फैसले ने उन राष्ट्र विरोधियों और देशद्रोहियों के चेहरे पर कालिख पोत दी है, जिन्होंने 'भगवा आतंकवाद' का हौवा खड़ा किया था. उन्होंने आगे कहा, 'देशद्रोहियोंके चेहरे काले पड़ गए हैं... यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो इसे भगवा आतंकवाद कहते थे. सत्य की जीत हुई है. धर्म और सत्य हमारे पक्ष में थे.'

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आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाली प्रज्ञा ने यह भी दोहराया कि महाराष्ट्र एटीएस के तत्कालीन अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया और इस मामले में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया था. अदालत ने पाया कि विस्फोट में कथित तौर पर इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था, और यह साबित करने के लिए कोई ठोस या विश्वसनीय सबूत नहीं था कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर उस गाड़ी की मालिक थीं. 

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