भारत में रियल एस्टेट वर्षों से अनियमितताओं और धोखाधड़ी की समस्याओं से जूझता आ रहा है. ऐसे में खरीदारों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने 2016 में RERA (Real Estate Regulation and Development Act, 2016) नाम से एक अहम कानून लागू किया .
इस कानून के तहत RERA अथॉरिटी की स्थापना की गई, जो हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को रेगुलेट करती है.
रेरा कानून लागू होने से पहले बिल्डर समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं करते थे. खरीदारों से वादे तो किए जाते थे लेकिन पूरे नहीं होते थे. फ्लैट हैंडओवर करने में सालों लग जाते. साथ ही खरीदारों के पास कानूनी सहारा बहुत सीमित था. इन समस्याओं के समाधान के लिए RERA लाया गया.
रेरा आने से पारदर्शिता (Transparency)बढ़ी है. बिल्डर को प्रोजेक्ट की हर जानकारी यानी नक्शा, अनुमतियां, समयसीमा आदि रेरा वेबसाइट पर अपलोड करनी होती है. अगर बिल्डर समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं करता, तो खरीदार को मुआवजा मिल सकता है. हर बिल्डर को अपने प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराना जरूरी है, बिना रजिस्ट्रेशन कोई प्रोजेक्ट बेचा नहीं जा सकता. बिल्डर फ्लैट में बदलाव नहीं कर सकता जब तक खरीदारों की 2/3 बहुमत से मंजूरी ना मिले. बिल्डर को खरीदार से मिली 70% राशि को एक अलग बैंक खाते में रखना होगा, जिससे सिर्फ उसी प्रोजेक्ट में खर्च किया जा सके. वहीं अगर कोई खरीदार ठगा गया है, तो वह रेरा अथॉरिटी के पास ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है.
अब जानिए कि रेरा कैसे काम करता है. बिल्डर पहले रेरा पोर्टल पर प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन करता है. फिर सभी डॉक्युमेंट्स की जांच होती है. हर प्रोजेक्ट को एक यूनिक RERA नंबर मिलता है. खरीदार उस नंबर के आधार पर प्रोजेक्ट की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं.
आप जानिए कि आप रेरा नंबर कैसे चेक कर सकते हैं- हर राज्य की अपनी RERA वेबसाइट होती है जैसे-
महाराष्ट्र- https://maharera.mahaonline.gov.in/
उत्तर प्रदेश- https://www.up-rera.in/
दिल्ली- https://rera.delhi.gov.in/ इन वेबसाइट्स पर जाकर खरीदार प्रोजेक्ट का नाम, बिल्डर का नाम या RERA नंबर से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
हजारों खरीदारों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर BBA पर साइन करते समय उन लोगों को अधूरे फ्लैट देने के लिए मजबूर कर रहे हैं. रेरा के नोटिस में ये कहा गया है कि अधूरे घर का कब्जा देना रियल एस्टेट अधिनियम 2016 का उल्लंघन है.
रेरा को लागू हुए करीब 9 साल बीत गए हैं, लेकिन लोगों की यही शिकायत है कि रेरा महज कागजी शेर है. दिल्ली-एनसीआर में आज भी सैकड़ों ऐसी इमारतें हैं, जो खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, तो कुछ इमारतों में इतना स्लो काम हो रहा है कि उसकी डेड लाइन ही पूरी नहीं हो पा रही है.
पिछले कुछ सालों में दिल्ली -एनसीआर में कई ऐसे प्रोजेक्ट देखने को मिले हैं, जिसमें हजारों लोगों ने कहीं फ्लैट बुक किया है, तो किसी ने प्लॉट लिया, लेकिन उनको वक्त पर वो मिला नहीं.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मौजूद आम्रपाली आदर्श आवास योजना से सैकड़ों घर खरीदार इस प्रोजेक्ट में घर लेकर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. लोगों ने अपने घर का सपना देखकर यहां फ्लैट बुक किया था, लेकिन पहले आम्रपाली से धोखा मिला और अब लोगों का आरोप है कि NBCC भी काम पूरा नहीं कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सुनवाई में कहा था कि हजारों घर खरीदार एक ऐसे सबवेंशन योजना से प्रभावित हुए हैं, जिसमें बैंक, बिल्डरों को होम लोन की 60 से 70 फीसदी अमाउंट एडवांस में दे देते हैं. जबकि प्रोजेक्ट तय वक्त पर पूरा नहीं हो पाता.
न्यूक्लियर फेमिली के चलते बुजुर्गों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में सीनियर सिटीजन के लिए सीनियर लीविंग होम्स और रिटायरमेंट होम्स की जरूरत बढ़ रही है, जिसको देखते हुए कई कंपनियां लग्जरी प्रोजेक्ट लेकर आ रही हैं.
दिल्ली-एनसीआर में घर का सपना लिए हजारों लोगों ने लाखों रुपये लगाकर अपने लिए सपनों का घर बुक किया. सालों से बैंक की किस्त चुका रहे थे, लेकिन उनको तब झटका लगा जब पता चला कि उनका बिल्डर दिवालिया हो गया. अब उनको ना घर मिल रहा है न पैसे वापस मिल रहे हैं.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में Rudra Palace Heights का प्रोजेक्ट 2010 में लॉन्च हुआ था. 2015 में बिल्डर ने पजेशन देने का वादा किया था, लेकिन 2018 में प्रोजेक्ट ब्लैक लिस्ट हो गया. करीब 900 लोगों ने इस प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराया था, लेकिन गृह प्रवेश से पहले ही उनके सपनों पर ग्रहण लग गया और कंस्ट्रक्शन का काम ठप हो गया.
गुड़गांव के सेक्टर 89 में Greenopolis प्रोजेक्ट में करीब 1800 लोगों ने अपने सपनों का आशियाना बुक कराया था, लेकिन दो बिल्डरों के आपसी विवाद के चलते लोगों को उनके घर की चाबी नहीं मिली और सालों से उनका इंतजार खत्म नहीं हो रहा है. इस प्रोजेक्ट में करोड़ों के फ्लैट हैं, लोगों ने अपनी सारी सेविंग्स लगा दी, लेकिन उनको अब ये तक पता नहीं है कि उनका फ्लैट कभी मिलेगा भी की नहीं.
नोएडा के सेक्टर 117 में स्थित Uniworld Gardens के 200 से अधिक फ्लैट खरीदारों का 15 साल लंबा इंतजार अब टूटने लगा है. बिल्डर ने घर बेच दिए, लेकिन कंश्ट्रक्शन का कोई अता-पता नहीं. सरकार से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला!
Greater Noida West के Shivalik Homes 2 में लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर फ्लैट बुक कराए. सपनों का घर पाने की उम्मीद जगी लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली. कुछ समय तक कंस्ट्रक्शन चला, फिर अचानक काम रुक गया और अब 10 साल से यह प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है. जहां लग्जरी होम बनने थे, वहां अब एक खंडहर खड़ा है. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.
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