मेंटल हेल्थ (Mental Health) एक मानसिक स्थिति है जो लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, अपनी क्षमताओं का एहसास करने, अच्छी तरह से सीखने और अच्छी तरह से काम करने और अपने समाज में योगदान करने में सक्षम बनाती है. यह स्वास्थ्य और कल्याण का एक अभिन्न अंग है जो निर्णय लेने, रिश्ते बनाने और जिस दुनिया में हम रहते हैं उसे आकार देने की हमारी व्यक्तिगत और सामूहिक क्षमताओं को रेखांकित करता है.
मानसिक स्वास्थ्य एक बुनियादी मानव अधिकार है. यह व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है. मेंटल हेल्थ को बठावा देने के लिए 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है (World Mental Health Day).
कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान 37 साल के इंजीनियर की मौत का मामला हो,ये सब बताते हैं कि कैसे आज भी गंजापन एक ऐसी समस्या है जिसे लोग सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इस मनोस्थिति से उबरने का सही रास्ता क्या होना चाहिए.
भले ही दोनों देशों के बीच युद्ध विराम हो गया है. लेकिन माता-पिता के लिए ये समय बड़ी चुनौती बनकर आया जब वो समझ नहीं पा रहे थे कि बच्चे के मन से युद्ध का भय कैसे निकालें. एक्सपर्ट मानते हैं कि यही सही समय है जब बच्चों को भविष्य के युद्धों के लिए समझा सकते हैं और उनके मन से युद्ध का भय भी निकाल सकते हैं.
रूस-यूक्रेन और इस्राइल-फिलीस्तीन जैसे देशों में चल रहे संघर्षों ने मासूमों की जिंदगी को अंदर से तोड़ दिया है. भारत में भी जो पाकिस्तान से सैन्य और आर्थिक रूप से ज्यादा ताकतवर है, लोग इस ताकत पर गर्व करते हैं. लेकिन इस ताकत के बीच बच्चों और युवाओं का दर्द अक्सर अनदेखा रह जाता है.
LGBTQ+ बच्चों के लिए स्कूल में दोस्तों के ताने, परिवार की बातें, या समाज की नजरें आसान नहीं होतीं. फिर भी अगर आपका बच्चा अपनी सच्चाई आपके साथ शेयर करता है तो ये उसका आप पर भरोसा है. अब आपकी बारी है उसे गले लगाने की. आइए, एक्सपर्ट्स से जानें कि मम्मी-पापा को क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों में दूसरों की बात सुनने और खुद के बोलने का तालमेल नहीं बन पाता. मई माह को बाई पोलर पर्सनैलिटी डिसऑर्डर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस डिसऑर्डर के बारे में कुछ बातें...
ऑपरेशन सिंदूर, पाकिस्तान की प्रतिक्रियाएं, मॉक ड्रिल और बंकर में रहकर जान बचाने वाली खबरें सामान्य वयस्कों में भी वार एंजायटी के लक्षण दे रही हैं. आइए जानते हैं कि War Anxiety क्या होती है और इससे बचने का क्या उपाय होता है. अगर आप भी ऐसे लक्षण महसूस कर रहे हैं तो एक्सपर्ट की ये सलाह जरूर मानें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटापे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उद्योगपति आनंद महिंद्रा, अभिनेत्री श्रेया घोषाल समेत कई प्रमुख हस्तियों को नॉमिनेट किया। पीएम मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में मोटापे से बचने और तेल के सेवन को कम करने का आह्वान किया। इन हस्तियों ने इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए 10 अन्य लोगों को नॉमिनेट किया है।
जो भी लोग स्त्री पुरुष या बच्चे इन घटनाओं के साक्षी बने हैं, उनको इन हालातों से निपटने के लिए विशेष काउंसिलिंग की जरूरत है. विशेषज्ञों का मानना है कि PTSD का समय पर इलाज न किया जाए तो यह दीर्घकालिक मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है. इसके लिए विभिन्न थेरेपी और उपचार उपलब्ध हैं जो पीड़ितों को सामान्य जीवन में लौटने में मदद कर सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 10% गर्भवती महिलाएं और 13% नवजात बच्चों की माएं मानसिक विकारों, खासतौर पर डिप्रेशन से प्रभावित होती हैं. इसका सीधा असर मां के साथ-साथ बच्चे की सेहत, विकास और पूरे परिवार के माहौल पर पड़ता है.
अक्सर हम लोगों से सुन लेते हैं, यार फलां से मेरी वाइब मैच नहीं हुई. फलां ऑफिस में वाइब्स अच्छी नहीं थी. फलां से गुड वाइब्स आती हैं. ऐसे तमाम वाक्य आजकल काफी आम हो गए हैं. लेकिन असल जिंदगी में ये वाइब्स आखिर क्या होती हैं. इसके पीछे किस तरह का मनोविज्ञान काम करता है.
सबकुछ एकदम नॉर्मल होने के बावजूद क्या आपको भी थकावट का अहसास होता है. भूख लगती है, समय पर खाना खाते हैं, सोते हैं...कहने को सब नॉर्मल है फिर ऐसा क्या है जिसके कारण थकान पीछा नहीं छोड़ती. आइए जानते हैं इसके पीछे की क्या वजहें हैं.
क्या आपको कभी इतना गुस्सा आया है कि आसपास रखी चीजों को तोड़ देने का मन करने लगे. कभी-कभी लगता है कि भीतर एक ज्वालामुखी धधक रहा है जिसे कोई सुन ही नहीं रहा? ऐसे ही लोगों खासकर टीनेजर्स के गुस्से को डील करने के लिए दिल्ली समेत कई शहरों में रेज रूम का ट्रेंड सामने आ रहा है. जानिए- गुस्सा निकालने का ये तरीका कितना साइंटिफिक है.
क्लास 6 से 8 के बच्चों के लिए खास तौर पर यह प्रोग्राम डिजाइन किया गया है जिससे स्ट्रेस, एंग्जायटी और इमोशनल प्रेशर में बदलाव दिखने लगते हैं. मणिपुर के स्कूलों में इस प्रोजेक्ट पर सफल प्रयोग किया जा चुका है. जानिए क्या है टेक्नीक, एक्सपर्ट क्यों बच्चों के लिए इसे बेहतर विकल्प बता रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में गांजे की पोटेंसी यानी उसका नशा बढ़ाने वाला असर काफी ज्यादा हो गया है. पहले जहां गांजे में THC (tetrahydrocannabinol) नाम का केमिकल कम मात्रा में होता था, अब वह काफी बढ़ गया है. इससे लोगों को दिल की धड़कन तेज होना, घबराहट, बेहोशी, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, मांसपेशियों में सूजन (myocarditis) जैसी गंभीर समस्याएं हो रही हैं
भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन सकता है, जहां लोग प्रतिदिन 7 घंटे से भी कम सोते हैं. मोबाइल फोन का इस्तेमाल नींद की कमी का प्रमुख कारण है. एक सर्वे में 88% भारतीयों ने माना कि वे सोने से पहले मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं. मोबाइल की ब्लू लाइट नींद को प्रभावित करती है और मोटापे का कारण भी बनती है. VIDEO
बच्चों की कल्पना की दुनिया अनोखी होती है. कभी उनका दोस्त कोई टेडी बियर होता है, कभी कोई अदृश्य इंसान, तो कभी टमाटर का डिब्बा. रिसर्च बताती है कि 7 साल की उम्र तक 65% बच्चे अपने जीवन में कम से कम एक काल्पनिक दोस्त बना लेते हैं.
Minimalism एक जीवनशैली है, जिसमें फालतू चीजों को त्यागकर सिर्फ उन्हीं चीजों को रखा जाता है जो वास्तव में जरूरी हैं और हमें खुशी देती हैं. यह आंदोलन 1960 के दशक में कला और डिजाइन के क्षेत्र से शुरू हुआ था, लेकिन आज एक जीवनशैली का रूप ले चुका है.
पुलिस ने बताया कि सौरभ के हत्यारोपी साहिल शुक्ला और मुस्कान साथ में नशा करते थे. यही नहीं साहिल तंत्र मंत्र पर विश्वास करता था, उसने बयान में बताया है कि वो अपनी मृत मां के साथ संपर्क में रहता है और वो ही उसे आदेशित करती हैं. लेकिन क्रिमिनल साइकोलॉजी इसे बहुत अच्छे से परिभाषित करता है.
हाई हील्स पहनना पूरी तरह से फैशन और कम्फर्ट का मामला है लेकिन यह मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है. अगर यह आत्मविश्वास बढ़ाता है तो यह लगातार दर्द और तनाव का कारण भी बन सकता है. इसलिए अगर आपको हाई हील्स पसंद हैं तो इससे जुड़े फायदे नुकसान जरूर जान लें.
कम सोने के नुकसान तो ज्यादातर लोग समझते ही हैं, लेकिन अधिक सोने के भी कई नुकसान होते हैं. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिसर्च के मुताबिक, 9 घंटे से ज्यादा सोने वाले लोगों में स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा 20% तक बढ़ सकता है.
वर्ल्ड स्लीप डे पर एक नए सर्वे के मुताबिक भारत में 59% लोग बिना किसी खलल के लगातार 6 घंटे भी नहीं सो पाते. 72% लोगों की नींद वाशरूम ब्रेक से टूटती है, जबकि 25% के लिए खराब शेड्यूल समस्या है. मोबाइल फोन सिर्फ 6% लोगों की नींद में बाधा बनता है. नींद की कमी से स्वास्थ्य और कार्यक्षमता प्रभावित होती है. देखिए VIDEO