मेंटल हेल्थ (Mental Health) एक मानसिक स्थिति है जो लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, अपनी क्षमताओं का एहसास करने, अच्छी तरह से सीखने और अच्छी तरह से काम करने और अपने समाज में योगदान करने में सक्षम बनाती है. यह स्वास्थ्य और कल्याण का एक अभिन्न अंग है जो निर्णय लेने, रिश्ते बनाने और जिस दुनिया में हम रहते हैं उसे आकार देने की हमारी व्यक्तिगत और सामूहिक क्षमताओं को रेखांकित करता है.
मानसिक स्वास्थ्य एक बुनियादी मानव अधिकार है. यह व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है. मेंटल हेल्थ को बठावा देने के लिए 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है (World Mental Health Day).
सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट ने साफ किया है कि देश की जेलें सिर्फ भीड़भाड़ से नहीं बल्कि व्यवस्था की पुरानी लापरवाहियों से भी जूझ रही हैं. FSL रिपोर्टों में देरी से मौत मामलों की जांच अटक जाती है, ट्रायल और अपील वर्षों तक शुरू नहीं होते और कैदियों के काम-काज में आज भी जातिगत भाषा और भेदभाव दिखता है. रिपोर्ट सवाल उठाती है कि क्या सच में सुधार हो रहे हैं?
बिगड़ रही है Delhi-NCR वालों की मेंटल हेल्थ. सर्दी और पॉल्यूशन बढ़ा रहा टेंशन!
सर्दियां आते ही दिल्ली-NCR की हवा ज़हरीली होने लगती है और इसका असर सिर्फ फेफड़ों पर नहीं बल्कि दिमाग और मूड पर भी गहराई से पड़ता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि बढ़ता पॉल्यूशन लोगों में चिड़चिड़ापन, चिंता, ब्रेन-फॉग और थकान जैसी मानसिक परेशानियां बढ़ा रहा है.
दिल्ली ब्लास्ट में कार से मिले बॉडी पार्ट का डीएनए टेस्ट कराने के बाद पक्का हो गया है कि कार में डॉ उमर उन नबी ही था. एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति जिसे पैसे या संसाधन का लालच देकर आत्मघाती नहीं बनाया जा सकता था. फिर कैसे उसके भीतर इतनी हिंसक सोच आई. क्या पढ़-लिखे इंसानों को भी ब्रेन वॉश करके कट्टर बनाया जा सकता है, ऐसे तमाम सवाल लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं. हमने मनोविश्लेषकों से इसका जवाब जानने की कोशिश की.
बच्चा घंटों तक किताबों में खोया रहता है लेकिन बहुत कम बोलता है. मां को फिक्र होती है कि मेरा बच्चा 'नॉर्मल' तो है ना? पर क्या हर देर से बोलने वाला बच्चा पीछे रह जाता है? इतिहास और साइंस दोनों कहते हैं 'नहीं'. आइंस्टीन, न्यूटन और टैगोर जैसे कई जीनियस भी बचपन में ‘लेट टॉकर’ थे. चुप बच्चे अकसर सबसे गहराई से सोचते हैं.
अभी कुछ ही वक्त बीता है, जब भारत की स्टार क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स सोशल मीडिया पर नफरत और ट्रोलिंग का शिकार थीं. उन्हें उनके धर्म को लेकर धमकियां दी गई थीं. लेकिन आज वही जेमिमा भारत की वर्ल्ड कप चैंपियन टीम का चेहरा बन चुकी हैं और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चित खिलाड़ी हैं. जानिए- वर्ल्ड कप में जीत के बाद सोशल मीडिया पर कौन कितना फेमस हुआ है.
सेमी फाइनल मैच में टॉप स्कोर और जीत के बाद जेमिमा के आंसू सिर्फ हार या जीत के नहीं थे वो राहत के आंसू थे. उस डर से बाहर आने के जो महीनों से भीतर पल रहा था. एंजायटी से जूझने के दौरान हर मैच से पहले मन में डर और बेचैनी का तूफान उठना, कभी धड़कनें तेज हो जाना, कभी सांस रुकने जैसी घुटन होना, फिर भी वो हर दिन मैदान पर गईं मुस्कुराईं, खेलीं और लड़ीं.
मुंबई अपहरण कांड में आरोपी रोहित आर्या के वीडियो सामने आने के बाद अब चर्चा सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी पर भी हो रही है. उनके बयानों और व्यवहार ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ये केस सिर्फ एक क्राइम स्टोरी है या फिर अनट्रीटेड मेंटल हेल्थ का नतीजा. विशेषज्ञों का कहना है कि जब दिमाग को वक्त पर इलाज न मिले तो हादसे होना तय है.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 8 हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है कि कॉलेजों और कोचिंग सेंटर्स में स्टूडेंट्स के सुसाइड रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए. कोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य सुधार और काउंसलर नियुक्ति पर 15 गाइडलाइन्स जारी कीं.
भारत में अब 30 की उम्र पार करते ही कई महिलाएं हार्मोनल बदलाव महसूस करने लगी हैं. ये बदलाव उन्हें मेनोपॉज के उस स्टेज पर ले जा रहे होते हैं जिसमें शरीर मासिक चक्र से निवृत्त होता है. भारत में पेरी मेनोपॉज यानि तय उम्र से पहले मेनोपॉज के केसेज बढ़े हैं. ये सिम्प्टम्स बहुत अच्छे नहीं हैं. आइए यहां जानते हैं कि अपनी लाइफ में कौन से बदलाव लाकर हार्मोन चेंज की इस साइकल की रफ्तार धीमी कर सकते हैं.
World Suicide Prevention Day: कुछ कहानियां सुनने पर दिल थम सा जाता है…विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर प्रिंस विलियम रियान मैनिंग्स की ऐसी ही दर्दनाक कहानी सुनकर भावुक हो उठे. साल 2012 में रियान का एक साल का बेटा अचानक दुनिया छोड़ गया और पांच दिन बाद उनके पति पॉल ने खुद को खो दिया. इस दर्दभरी कहानी ने ये याद दिलाया कि आत्महत्या पर खुलकर बात करना और मदद मांगना कितना जरूरी है.
मैं बकलावा खाने दुबई जाती हूं, दाल खाने दिल्ली और कॉफी पीने ताजमहल के पीछे का पार्क...इन दिनों सोशल मीडिया पर बिग बॉस-19 की कंटेंस्टेंट तान्या मित्तल की अमीरी का बखान हर तरफ है. कुछ लोग इसके मजे ले रहे हैं तो कुछ लोग उनके भीतर मानसिक विकार खोज रहे हैं तो कई इसे सिर्फ उनकी फेम पाने की चालाकी बता रहे हैं. लेकिन इसके पीछे क्या सच्चाई हो सकती है, हमने एक्सपर्ट्स से ये जानने की कोशिश की.
1,628 कॉलेज छात्रों पर हुए अध्ययन में तनाव को लेकर चिंताजनक परिणाम सामने आए. करीब 70 प्रतिशत युवा एंग्जाइटी और 50 प्रतिशत डिप्रेशन के शिकार हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने साल 2023 में हुई खुदकुशी को लेकर रिपोर्ट जारी की. इसमें कई अलग-अलग बातें और पैटर्न दिखे. उम्र पर ध्यान दें तो 30 से 45 साल के लोगों ने सबसे ज्यादा सुसाइड किए. वहीं महिलाओं की तुलना में लगभग तीन गुना पुरुषों ने मौत को गले लगाया. पूरी दुनिया में पुरुषों की आत्महत्या की दर, महिलाओं से दोगुनी या उससे ज्यादा है.
गर्भ में पल रही जिंदगी मां-बाप के लिए सबसे बड़ी उम्मीद होती है, लेकिन जब डॉक्टर डाउन सिंड्रोम जैसे शक जताते हैं तो यह उम्मीद डर और बेचैनी में बदल जाती है. हर अल्ट्रासाउंड, हर रिपोर्ट दिल की धड़कनें तेज कर देती है. सवाल सिर्फ बच्चे के क्रोमोसोम का नहीं होता, बल्कि पूरे परिवार के भविष्य का होता है. क्या वे इस कठिन सफर के लिए तैयार हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला सच सामने आय़ा है. दुनिया भर में महिलाएं मानसिक बीमारियों के बोझ तले दब रही हैं, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी के मामले कहीं ज्यादा पाए जा रहे हैं.
आपने अक्सर किसी न किसी महिला से ये कहते जरूर सुना होगा कि पता नहीं क्यों मुझे तो इतना दर्द नहीं हुआ, जितना फलां को होता है. लेकिन अब रिसर्च ने इसे साबित कर दिया है कि दर्द का कारण हर महिला में एक जैसा नहीं है. इसलिए कभी भी एक की तुलना दूसरे से नहीं हो सकती. अगली बार अगर किसी का ताना सुनें तो उन्हें ये जरूर बताएं.
बच्चे के जन्म के बाद नई मां की देखभाल में कौन ज्यादा असर डालता है, अपनी मां या पति की मां यानी सासू मां? एक इंटरनेशनल स्टडी में इसका चौंकाने वाला जवाब सामने आया है. रिसर्चर्स ने हजारों महिलाओं से बातचीत की और पाया कि देखभाल करने वाले के आधार पर जच्चा की सेहत और रिकवरी में बड़ा फर्क पड़ता है. आखिर कौन साबित हुईं बेहतर केयरगिवर? जवाब जानकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे.
प्रयागराज की घटना ने जेंडर आइडेंटिटी, मानसिक उलझनों और समाज के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ये बताती है कि काउंसिलिंग और सही गाइडेंस क्यों बेहद जरूरी है. अगर सही समय पर सही काउंसिलिंग मिल जाए तो ऐसे खतरनाक हादसे टल सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है जेंडर से जुड़ी पहचान को अपनाने का सही तरीका.
LSD को अक्सर एक नशे की ड्रग समझा जाता है, लेकिन अब विज्ञान कह रहा है कि इसमें दिमाग को रीवायर करने और नई सोच बनाने की क्षमता है. अगर आने वाले ट्रायल्स भी ऐसे ही पॉजिटिव रहे तो Anxiety से जूझ रहे लाखों लोगों को रोज-रोज की दवाओं से छुटकारा मिल सकता है.
देखा जाए तो आत्महत्या को सिर्फ डिप्रेशन या मानसिक बीमारियों से जोड़ा जाता है. लेकिन रिसर्च और डेटा बताते हैं कि इसके पीछे कई और गहरी वजहें होती हैं. इनमें सोशल-इकोनॉमिक प्रेशर, पारिवारिक तनाव, रिलेशनशिप इश्यूज, नशे की लत, साइबर बुलिंग और बेरोजगारी भी बड़ी भूमिका निभाते हैं.