मारिया कोरीना माचाडो (Maria Corina Machado) का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को वेनेजुएला में हुआ. वे एक औद्योगिक इंजीनियर और राजनीति की क्षेत्र में सक्रिय नेता हैं. वर्तमान में वे वेनेजुएला में विपक्ष की प्रमुख नेता हैं. 10 अक्टूबर 2025 को माचाडो को उनके साहस, नेतृत्व और लोकतंत्र के लिए किए गए संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया (Nobel Peace Prize 2025).
माचाडो ने 2002 में राजनीति में कदम रखा और सुमाते (Súmate) नामक वोट-निगरानी समूह की स्थापना की, जिसमें उनके साथ अलेजांद्रो प्लाज भी थे. वे राजनीतिक दल वांटे वेनेजुएला (Vente Venezuela) की राष्ट्रीय समन्वयक हैं. 2018 में उन्हें बीबीसी की 100 महिलाएं सूची में शामिल किया गया, और 2025 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में सूचीबद्ध किया.
माचाडो का जीवन वेनेजुएला की राजनीतिक चुनौतियों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनके अदम्य साहस का प्रतीक है. वे न केवल विपक्ष की आवाज हैं, बल्कि देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने की प्रेरणा भी देती हैं.माचाडो ने 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की राष्ट्रीय विधानसभा की सदस्य के रूप में सेवा दी.
माचाडो वेनेजुएला में विपक्ष की एक प्रमुख नेता मानी जाती हैं. Nicolás Maduro सरकार ने उन्हें देश छोड़ने से प्रतिबंधित कर दिया है.
माचाडो 2012 के वेनेजुएला राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार थीं, लेकिन विपक्षी प्राथमिक चुनाव में हेनरिक कैप्रिल्स से हार गईं. 2014 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान, वे मादुरो सरकार के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन में अग्रणी रहीं. 2019 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति संकट के दौरान, माचाडो ने घोषणा की कि यदि अस्थायी राष्ट्रपति जुआन गुआइदो सफलतापूर्वक चुनाव कराते हैं, तो वे दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार होंगी. हालांकि, गुआइदो की यह कोशिश सफल नहीं हुई.
माचाडो 2023 में यूनिटी प्लेटफॉर्म की प्राथमिक चुनावों में वांटे वेनेजुएला के प्रीकैंडिडेट थीं, लेकिन 30 जून 2023 को वेनेजुएला के नियंत्रक महालेखाकार द्वारा 15 वर्षों के लिए अयोग्य घोषित कर दी गईं. जनवरी 2024 में वेनेजुएला के सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय की पुष्टि की. 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए माचाडो को विपक्षी उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें कोरीना योरीस से बदल दिया गया.
1 अगस्त 2024 को माचाडो ने The Wall Street Journal में एक पत्र प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने "मेरा और मेरे देशवासियों का जीवन और स्वतंत्रता बचाने के लिए" गुप्त रूप से खुद को छुपाया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार न मिलने पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि विजेता मारिया कोरिना मचाडो ने यह पुरस्कार उनके सम्मान में स्वीकार किया है. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने लाखों जानें बचाई हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सबसे बड़ा सपना टूट गया जब शांति का नोबेल पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया माचाडो को दे दिया गया. ट्रंप को इस साल यह पुरस्कार जीतने की बड़ी उम्मीद थी और इसके लिए व्हाइट हाउस ने जबरदस्त लॉबिंग भी की थी, लेकिन सारे प्रयास विफल रहे.
2025 का नोबेल शांति पुरस्कार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नहीं मिला है. ये पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को दिया गया है, जिन्हें नोबेल कमेटी ने 'बढ़ते अंधकार में भी लोकतंत्र की मशाल को जलाए रखने वाली' एक शांति समर्थक बताया. देखें ब्लैक एंड व्हाइट.
ऐसा पहली बार नहीं है जब नामांकन के बाद भी राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया. अब तक कुल तीन बार उनके नाम को इस पुरस्कार के लिए खारिज किया जा चुका है. पहली बार 2018 में, दूसरी बार 2021 और अब तीसरी बार 2025 में राष्ट्रपति ट्रंप को ये पुरस्कार नहीं दिया गया है.
नॉर्वे की नोबेल समिति ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्ष की नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचाडो को देने का ऐलान किया. मारिया बीते 20 वर्षों से वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार जीतने का सपना टूट गया है, क्योंकि 2025 का यह प्रतिष्ठित सम्मान वेनेज़ुएला की नेता मारिया कोरीना को प्रदान किया गया है. नोबेल समिति ने कहा, '2025 का नोबेल शांति पुरस्कार शांति की एक बहादुर और प्रतिबद्ध चैंपियन को जाता है. एक ऐसी महिला को जो बढ़ते अंधेरे के बीच लोकतंत्र की लौ जलाए रखती है."
डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 में शामिल नहीं किया गया है. कई देशों ने पहले उनका समर्थन किया था, लेकिन आखिरकार नोबेल पुरस्कार मरिया कोरिना मचाडो को दिया गया है. डोनाल्ड ट्रम्प ने विभिन्न स्थानों पर सीजफायर कराने के दावे किए थे और शांति की मध्यस्था करने का क्रेडिट लिया था.
नोबेल समिति ने कहा कि मारिया को यह पुरस्कार वेनेजुएला में लोकतंत्र के लिए उनके अथक संघर्ष और तानाशाही के खिलाफ लड़ाई के लिए दिया जा रहा है. वह लोकतंत्र की लौ को अंधेरे में जलाए रखने वाली महिला हैं.
कौन हैं Maria Corina Machado? जिन्होंने Donald Trump को पछाड़कर जीता नोबेल शांति पुरस्कार
डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है. अमेरिका के दुश्मन मुल्क वेनेजुएला के राजनेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इससे पहले 2024 में मारिया को यूरोपीय संघ का सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
डोनाल्ड ट्रंप को साल 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला है. ट्रंप ने कई बार दावा किया था कि उन्होंने जगह-जगह शांति स्थापित की है और सीजफायर कराए हैं, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच भी शांति प्रयास शामिल थे. हालांकि भारत की तरफ से स्पष्ट जवाब के बाद ट्रम्प का दावा विवादित रहा. कई देशों ने उनके समर्थन में आवाज़ उठाई थी, लेकिन आखिरकार नोबेल समिति ने इस पुरस्कार का अधिकार मरिया कोरिना मचाडो को दिया है.
नोबेल शांति पुरस्कार 2025 मारिया कोरिना मचाडो को देने का फैसला किया गया है. इस पुरस्कार के ऐलान से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की चर्चा थी, लेकिन नॉर्वे की समिति ने मचाडो को ये पुरस्कार दिया है. आइए जानते हैं इनके पास कितनी संपत्ति है और ये क्या करती हैं...
मारिया कोरिना मचाडो 2012 में दुनियाभर में पहली बार तब सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने वेनेजुएला के तत्कालीन राष्ट्रपति का भाषण बंद करा दिया था. वेनेजुएला के तत्कालीन राष्ट्रपति शावेज ने संसद में 9 घंटे 45 मिनट का भाषण दिया था लेकिन मचाडो ने उन्हें टोकते हुए लोगों की जब्त की गई संपत्ति को लौटाने की बात कही थी.
वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली के लिए अपने अथक संघर्ष के लिए, मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. नोबेल कमेटी ने वेनेजुएला में तानाशाही से लोकतंत्र की ओर बढ़ाने के लिए उनके नेतृत्व और संघर्ष को विशेष रूप से रेखांकित किया है.
नोबेल समिति ने मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित करने का फैसला किया है.. इस ऐलान के साथ ही, डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल पुरस्कार जीतने की उम्मीदों को झटका लगा है,
1991 में आन सांग सू की को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद पश्चिमी देशों ने जैसे म्यांमार की राजनीति में उलट-पलट करवाई गई. कहा जा रहा है कि वेनेजुएला में विपक्ष की नेता और 'आयरल लेडी' कही जाने वाली मारिया कोरीना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देकर म्यांमार की कहानी दोहराने की पटकथा लिखी गई है.
नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के लिए डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, यह प्रतिष्ठित सम्मान वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है. ट्रंप ने बराक ओबामा को मिले पुरस्कार की आलोचना करते हुए कहा, 'उन्हें (ओबामा को) राष्ट्रपति बनते ही कुछ महीनों के भीतर नोबेल पीस प्राइज दे दिया गया'. डोनाल्ड ट्रंप ने इस पुरस्कार के लिए जोरदार दावेदारी पेश की थी और गाजा समेत कई जगहों पर शांति स्थापित करने का श्रेय लिया था.
नोबेल शांति पुरस्कार 2025 का एलान हो चुका. वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो इसकी विजेता रही हैं, जिन्होंने अपने देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए लंबा संघर्ष किया. वहीं 8 युद्ध रोककर खुद को सबसे मजबूत दावेदार बता रहे डोनाल्ड ट्रंप के हाथ से ये मौका चला गया. आखिर कौन सी चीजें अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ चली गईं?