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मनोज मुकुंद नरवणे

मनोज मुकुंद नरवणे

मनोज मुकुंद नरवणे

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) भारतीय सेना के 28वें थलसेनाध्यक्ष रहे हैं, जिन्होंने 31 दिसंबर 2019 से 30 अप्रैल 2022 तक इस पद पर सेवा दी. उनका सैन्य करियर चार दशकों से अधिक लंबा और विविध अनुभवों से भरपूर रहा है.

मनोज मुकुंद नरवणे का जन्म 22 अप्रैल 1960 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था. उनके पिता मुकुंद नरवणे भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर थे, जबकि उनकी माता सुधा ऑल इंडिया रेडियो में उद्घोषिका थीं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पुणे के ज्ञान प्रबोधिनी प्रशाला से पूरी की. इसके बाद वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर भारतीय सेना में शामिल हुए. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम.फिल. की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला से रक्षा और रणनीतिक अध्ययन में पीएच.डी. कर रहे हैं.

जनरल नरवणे को जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री की 7वीं बटालियन में कमीशन मिला. अपने 42 वर्षों के सेवा काल में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया, साथ ही श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल (IPKF) के सदस्य के रूप में भी सेवा दी. उन्होंने म्यांमार में भारतीय दूतावास में सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य किया.

वे सेना प्रशिक्षण कमान (ARTRAC) और पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-in-C) रहे। 1 सितंबर 2019 को उन्हें भारतीय सेना का उप-सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया. 31 दिसंबर 2019 को उन्होंने जनरल बिपिन रावत से सेनाध्यक्ष का पदभार संभाला. उनके कार्यकाल के दौरान, भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई, जिसमें उन्होंने सेना का नेतृत्व किया.

जनरल नरवणे को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए कई सैन्य सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें परम विशिष्ट सेवा पदक (PVSM), अति विशिष्ट सेवा पदक (AVSM), सेना पदक (SM) और विशिष्ट सेवा पदक (VSM) शामिल हैं.

जनरल नरवणे की पत्नी, श्रीमती वीणा नरवणे, शिक्षिका और आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष रही हैं. उनकी दो बेटियां हैं. 

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